राजपथ - जनपथ
देवेन्द्र की उम्मीदवारी के मायने
राज्यसभा के लिए सरोज पांडेय की जगह भाजपा ने राजा देवेन्द्र प्रताप सिंह का नाम घोषित किया, तो हर कोई चौंक गए। खुद देवेन्द्र को भी इसका अंदाजा नहीं था। वो ओडिशा में थे।
भाजपा के प्रमुख नेता तो पूर्व संगठन मंत्री रामप्रताप सिंह का नाम फाइनल मानकर चल रहे थे। कुछ लोगों का अंदाजा था कि लक्ष्मी वर्मा अथवा रंजना साहू में से किसी को तय किया जा सकता है। मगर देवेन्द्र के नाम के ऐलान के बाद उनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिशें शुरू हुई।
पार्टी के अंदरखाने से यह खबर उड़ी कि देवेन्द्र उत्तरप्रदेश के पूर्व विधायक हैं। लेकिन कुछ देर बाद स्थिति साफ हुई कि देवेन्द्र प्रताप रायबरेली वाले नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के ही हैं। रायगढ़ राजघराने के मुखिया देवेन्द्र प्रताप सिंह संघ परिवार और अनुसूचित जनजाति मोर्चा में ही सक्रिय रहे हैं। वो लैलूंगा से टिकट चाह रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह सुनीति राठिया को प्रत्याशी बना दिया।
वैसे देवेन्द्र प्रताप सिंह का परिवार कांग्रेस से जुड़ा रहा है। उनके पिता राजा सुरेन्द्र कुमार सिंह राज्यसभा के सदस्य रहे हैं, और दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के नजदीकी माने जाते थे। देवेन्द्र की बहन उर्वशी सिंह भी कांग्रेस संगठन में कई पदों पर रही हैं। देवेन्द्र खुद कांग्रेस में थे, बाद में वो भाजपा में चले गए। वो संघ परिवार और अनुसूचित जाति मोर्चा में काम करने लगे।
बताते हैं कि देवेन्द्र को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने एक बड़ा दांव खेला है। देवेन्द्र गोंड़ आदिवासी समाज से आते हैं, और समाज के भीतर उनका काफी सम्मान है। प्रदेश में आदिवासी समाज में सबसे ज्यादा गोड़ बिरादरी के हैं। पार्टी के रणनीतिकारों ने देवेन्द्र को प्रत्याशी बनाकर गोड़ आदिवासी समाज को साधने की कोशिश की है। इसका फायदा न सिर्फ रायगढ़ बल्कि कोरबा और सरगुजा लोकसभा में भी मिल सकता है।
कोरबा में पिछले लोकसभा चुनाव में पाली-तानाखार विधानसभा सीट में 60 हजार वोटों से पिछड़ गई थी, इस वजह से भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार गए। विधानसभा चुनाव में गोंड़ बिरादरी पर पकड़ रखने वाली पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वोटों का प्रतिशत बढ़ा है। पाली-तानाखार सीट पर गोंगपा का कब्जा हो गया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि देवेन्द्र को राज्यसभा में भेजने से गोड़ समाज के वोटों का रूख भाजपा की तरफ आ सकता है। क्या वाकई ऐसा होगा, यह तो लोकसभा चुनाव में पता चलेगा।
न्याय यात्रा की चर्चा सदन में भी
राहुल गांधी की न्याय यात्रा के छत्तीसगढ़ पड़ाव की चर्चा विधानसभा में भी हुई। इस पर भाजपा के विधायकों ने तंज कसे तो कांग्रेस के विधायक बचाव के मुद्रा में रहे। दरअसल, सोमवार को कांग्रेस के ज्यादातर सदस्य सदन से अनुपस्थित रहे। ऐसे में भाजपा विधायकों ने कांग्रेस पर जमकर तंज कसे। विधायक अजय चंद्राकर ने कहा पूरा विपक्ष न्याय यात्रा में जुटा है। सदन की चिंता करनी छोड़ पूरी पार्टी यात्रा पर निकली है। राजेश मूणत ने कहा, पूरी पार्टी युवराज के स्वागत में लगी है। भूपेश बघेल का नाम हटाकर अपना नाम लिखने की होड़ मची है। इस पर जब अजय चंद्राकर ने कहा कि यात्रा पर भी आप स्थगन ले आइए तो कांग्रेस के सदस्य लखेश्वर बघेल ने जवाब दिया कि सदन की कार्रवाई के लिए हम मौजूद हैं।
राजिम कुंभ में रहेगी रौनक
रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से चारों शंकराचार्य दूर रहे, और कुछ विषयों को लेकर सार्वजनिक तौर पर मोदी सरकार की आलोचना भी करते रहे। मगर राजिम कुंभ में शंकराचार्यों के शामिल होने की उम्मीद है।
बताते हैं कि पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने व्यक्तिगत तौर पर उनसे मिलकर राजिम कुंभ में शामिल होने का न्यौता दिया है। वे पहले भी राजिम कुंभ में शामिल होते रहे हैं। न सिर्फ शंकराचार्य बल्कि बागेश्वर धाम के पं. धीरेन्द्र शास्त्री, कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा, साध्वी रितम्भरा सहित अन्य प्रतिष्ठित अखाड़ों के प्रमुख भी रहेंगे। बृजमोहन अग्रवाल ने पिछले दिनों ने अमरकंटक जाकर वहां संतों से मुलाकात कर राजिम कुंभ में शामिल होने का न्यौता दिया था जिसे उन्होंने मान लिया है। कुल मिलाकर पांच साल बाद होने वाले राजिम कुंभ में इस बार रौनक ज्यादा रहेगी।