राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : विश्वविद्यालय की हिन्दी
25-Feb-2024 6:47 PM
राजपथ-जनपथ : विश्वविद्यालय की हिन्दी

विश्वविद्यालय की हिन्दी

आम इस्तेमाल में हिन्दी और अंग्रेजी सबका हाल बदहाल रहता है। कुछ ऐसे अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया पेज हैं, जिन पर दुनिया भर में अलग-अलग नोटिस बोर्ड या इश्तहारों की सूचना की मजेदार गड़बडिय़ां दिखती हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का यह नोटिस बोर्ड कहता है- विश्वविद्यालय परिसर में हेलमेट लगाकर दोपहिया वाहन चलाना अनिवार्य है।

अब होना तो यह चाहिए था कि दोपहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट लगाना अनिवार्य बताता जाता, लेकिन इस नोटिस बोर्ड के मुताबिक अगर किसी ने हेलमेट लगा लिया है, तो उससे दोपहिया चलाना अनिवार्य है, मानो हेलमेट लगाकर कोई पैदल चले, तो उस पर जुर्माना कर दिया जाएगा।

बाजारों के कारोबारी बोर्ड पर तो भाषा की गलतियां समझ आती हैं, लेकिन लाखों रूपए खर्च करके जब सरकारें बड़े-बड़े बोर्ड लगाती हैं, तो उन पर भी इसी तरह की कई गलतियां दिखती हैं। महान लोगों के नाम गलत दिखते हैं, देश के सबसे बड़े कवियों या शायरों की लिखी हुई सबसे मशहूर लाईनें गलत दिखती हैं, और उन्हें देखते हुए हिन्दी-अंग्रेजी के जाने कितने ही शिक्षक-प्राध्यापक रोज निकल जाते हैं। अब अगर सार्वजनिक जगहों पर भाषा नहीं सुधरेगी, तो उसका एक नुकसान उन बच्चों को भी होगा जो आते-जाते ऐसे ही गलत हिज्जों, या गलत नामों को पढ़ते हैं।

मंत्री ने हाथ जोड़ लिए

रायपुर के वीआईपी रोड में कुछ दिन पहले एक बार-रेस्टोरेंट में शूटआउट की घटना के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। बाहरी इलाकों के होटल-ढाबे, और बार को रात्रि 12 बजे तक बंद करने की हिदायत दी गई है। इससे होटल-बार संचालकों में खलबली मची हुई है। क्योंकि शहर के बाहरी इलाके के होटल-ढाबे आधी रात के बाद ही गुलजार होते हैं। प्रशासन के फरमान के बाद होटल-बार संचालक, दो दिन पहले गृहमंत्री विजय शर्मा से मिलने पहुंच गए।

 होटल-बार संचालकों के पदाधिकारियों ने गृहमंत्री को अपनी दिक्कतें  बताई। गृहमंत्री ने शहर के भीतर के एक होटल संचालक की तरफ देखकर बताया कि कॉलेज के दिनों में कैसे उनके होटल में डोसा खाने के लिए साइकिल से जाते थे। बारी-बारी से उन्होंने बाकी होटलों के खानपान की खूब तारीफ की। और जब संचालकों ने प्रशासन के ताजा तरीन फरमान के बारे में बताया, तो गृहमंत्री ने यह कहकर हाथ जोड़ लिए कि आप लोगों के यहां ही गोली चली है। ऐसे में आप लोगों को प्रशासन को सहयोग करना चाहिए।

गृहमंत्री ने सुझाव दिया कि आप लोग चाहे, तो सुबह एक घंटा पहले होटल खोल सकते हैं। होटल-बार संचालकों की मांग तो पूरी नहीं हुई, लेकिन  गृह मंत्री ने अपने व्यवहार से उनका दिल जीत लिया।

बकरे की माँ कब तक खैर...

विधानसभा में सत्ता पक्ष के सदस्य काफी मुखर हैं, और रोजाना अलग-अलग विभागों के भ्रष्टाचार के मामले उठ रहे हैं। सरकार के मंत्री बिना किसी लाग-लपेट के जांच की घोषणा कर दे रहे हैं। इससे विपक्षी दल कांग्रेस के नेता जरूर असहज हैं क्योंकि तकरीबन सभी मामले उन्हीं की सरकार के समय के हैं।

इन सबके बीच खादी ग्रामोद्योग के एक सवाल को लेकर काफी चर्चा रही। गड़बड़ी के इस सवाल पर सरकार की तरफ से स्वाभाविक तौर पर जांच की घोषणा हो सकती थी। मगर प्रकरण से जुड़े धमतरी के  कांग्रेस के नेता-सप्लायर ने अपने भाजपा के साथियों के साथ काफी भागदौड़ की। और जब सवाल सदन में नहीं आए, तो राहत की सांस ली। लेकिन अभी सत्र में एक हफ्ता और बाकी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि प्रकरण पर मामले पर किसी न किसी रूप में चर्चा हो गई, तो जांच की घोषणा हो सकती है। फिलहाल कांग्रेस नेता को राहत तो मिली है, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। देखना है आगे क्या होता है।

जहर कम मगर आकर्षक सांप

दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला में दुर्लभ प्रजाति का एक सांप लौडांकिया वाइन स्नेक मिला । इससे पहले यह असम और ओडिशा में मिला है। छत्तीसगढ़ में पहली बार देखा गया। एक काम अच्छा हुआ कि वन विभाग और यहां के एक सक्रिय संगठन प्राणी संरक्षण कल्याण समिति ने सांप को जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया। वरना इसे किसी जू में प्रदर्शन के लिए भी रखा जा सकता था।

इस सांप की लंबाई साढ़े चार फीट तक हो सकती है, रंग हल्का भूरा होता है। पहचान इसके सिर से होती है, जो थोड़ा नुकीला होता है। खूबसूरत दिखाई देती है, जहर कम होता है। किसी को काटे तो असर कम होता है, समय पर इलाज मिले तो बच जाता है।  छोटे कीड़े, छिपकली, बर्ड्स एग इसके आहार हैं। बैलाडीला में एनएमडीसी के स्क्रीनिंग प्लांट के पास यह सांप मिला, जो पहाड़ी क्षेत्र है। यह वाइन स्नेक प्रजाति का है, जिसकी भारत में करीब 8 प्रजातियां हैं। जब इसका आकार और रंगरूप दूसरे वाइन स्नेक से मैच नहीं हुआ, तो इसकी जांच के लिए तस्वीर विशेषज्ञ के पास भेजी गईं। जांच में सांप की पहचान लौडांकिया वाइन स्नेक के रूप में हुई।

तो यह समझ लीजिए कि छत्तीसगढ़ तमाम तरह की संपदाओं से भरी धरती है। पर, एक्सप्लोर करने के लिए बहुत काम बाकी है।

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