राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : चुनावी टिकिट, जितने मुँह उतनी बातें
05-Mar-2024 3:33 PM
राजपथ-जनपथ : चुनावी टिकिट, जितने मुँह उतनी बातें

चुनावी टिकिट, जितने मुँह उतनी बातें 

कांग्रेस में लोकसभा प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। इन सबके बीच रायपुर लोकसभा सीट से बृजमोहन अग्रवाल को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सोशल मीडिया में कई सुझाव आए हैं। यह भी सुझाव दिया गया है कि रायपुर की सीट इंडिया गठबंधन को दे देनी चाहिए और बदले में कांग्रेस के नेता, आम आदमी पार्टी से पंजाब या फिर हरियाणा से अथवा वामपंथी गठबंधन से केरल में एक सीट छोडऩे के लिए कहा जाना चाहिए। 

इसी तरह कुछ कांग्रेस नेताओं ने फेसबुक पर राजनांदगांव सीट से गिरीश देवांगन को टिकट देने की वकालत की है। यह भी नारा दिया है-राजनांदगांव की जनता कहे पुकार जीडी (गिरीश देवांगन) भईया अब की बार...। एक कांग्रेस नेता ने सहमति जताते हुए फेसबुक पर लिखा कि उन्होंने इतनी मेहनत की है, वो निकाल सकते हैं। कांग्रेस नेता हरदीप सिंह बेनीपाल ने जीडी की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए लिखा कि उनका इतना प्रभाव है कि राजनांदगांव लोकसभा से लगी हुई मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, और आंध्र की सीटें भी जीत लेंगे। 

महंगे होटल में नई शिक्षा नीति

केंद्र सरकार ने तार वर्ष पहले ही एक पूरी मुकम्मल उच्च शिक्षा नीति बनाकर राज्यों को दे दी है। यह नीति छत्तीसगढ़ के भी आठ आटोनामस कालेजों में लागू हो गयी है। इसकी अच्छाई और खामियां भी दूर की जा रही  हैं। इतना ही नहीं दो शिक्षा सत्रों सी परीक्षा छात्र पार कर चुके है।  इसे अब सभी कॉलेजों में लागू कर वृहद रूप दिया जाना शेष है। इसके बाद भी उच्च शिक्षा विभाग और संचालनालय अभी टास्क फोर्स गठित करने, नीति के अध्ययन, सुझाव और निष्कर्षों का प्रतिवेदन देने जैसी  महंगी औपचारिकताएं कर रहा है। 

महंगी इसलिए कह रहे हैं कि उच्च शिक्षा संचालनालय कल बुधवार को राजधानी के फाइव स्टार होटल में ऐसे ही एक टास्क फोर्स की बैठक बैठक कर रहा है । इसमें चार दर्जन प्रोफेसर,और अन्य अधिकारी बुलाए गए है। सुबह 8 बजे से दिनभर चलने वाले इस वर्कशाप पर ब्रेक फास्ट, लंच,शाम की हाई टी ,और किराए पर करीब डेढ़ दो लाख रूपए खर्च किए जा रहे हैं। इसका निष्कर्ष तो भविष्य पर निर्भर है लेकिन इतने बड़े खर्च को लेकर उंगली उठाई जा रही है। 

केवल हॉल या सभागृह के नाम पर इतना बड़ा खर्च। जबकि राजधानी के हर बड़े कॉलेज में एक एसी सभागृह उपलब्ध है। सरकारी से अधिक निजी विवि,या एनआईटी, आईआईएम, एचएनएलयू, ट्रिपल आईटी में तो और भी सुविधाजनक हॉल है। ये दूर हैं तो शहर के बीच न्यू सर्किट हाउस है। वैसे पूर्ववर्ती रमन सरकार के कार्यकाल में जीएडी का आदेश भी है कि शासकीय बैठकें महंगे होटलों के बजाए न्यू सर्किट हाउस के सभा गृह में की जाए।

400 पार के लिए दौड़

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले प्रियंका गांधी ने महिला मैराथन का आयोजन- लडक़ी हूं लड़ सकती हूं, स्लोगन के साथ किया था। पर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम नहीं आए। उसके बाद के चुनावों में इस तरह का कोई प्रयोग कांग्रेस ने नहीं किया। पर भाजपा ने अलग तरह का कार्यक्रम बनाया है। मोदी की प्रमुख गारंटी में से एक नारी वंदन योजना से जोड़ते हुए हर जिले में महिला कार्यकर्ताओं की दौड़ कराई जा रही है। यह जशपुर की तस्वीर है, जहां दौड़ के बहाने महिला मोर्चा अपने कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए रिचार्ज कर रही हैं। देशभर में ऐसे कार्यक्रम रखे जा रहे हैं।

केंद्र से राशि अब मिलती रहेगी?

हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों के राज्यांश का करीब 4900 करोड़ रुपया जारी कर दिया। कांग्रेस को पूरे पांच साल के कार्यकाल में केंद्र से शिकायत रही कि उनके हक की राशि रोक ली जाती है। पर राज्यांश राशि बिना किसी शोरगुल के राज्य के पास आ गया। कांग्रेस सरकार तब कोल रायल्टी पेनाल्टी की रुकी हुई करीब 4400 करोड़ रुपये और केंद्रीय बलों की तैनाती पर आये खर्च के करीब 12 हजार करोड़ रुपये की मांग भी करती रही, उसके रहते नहीं मिली। अब जब दोनों जगह सरकार एक ही पार्टी की है, हो सकता है कि ये बड़ी राशि भी जल्दी मिल जाएं।

भवन भी बचा, कुर्सी भी

छत्तीसगढ़ में भाजपा संगठन केंद्रीय नेतृत्व से मिले इस टास्क को भली-भांति पूरी कर रही है जिसमें कहा गया है कि दूसरे दलों के नेताओं के दरवाजे उदारता से खोल दिए जाएं। कल भी प्रदेश कार्यालय में यह सिलसिला चला जिसमें कांग्रेस व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के कई नेताओं का भाजपा में स्वागत किया गया।

बिलासपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान की निष्ठा तब भी नहीं डगमगाई थी, जब डॉ. रेणु जोगी ने जेसीसी की टिकट पर 2018 का चुनाव लड़ा। जोगी के करीबी होने के बावजूद वे साथ नहीं गए। पिछले दो चुनावों में वे टिकट की मांग करते रहे। पर, जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाकर उन्हें संतुष्ट किया गया। इस बार विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस को साथ दिया। निकट भविष्य में न कोई चुनाव होने वाला है और न ही उनके वर्तमान पद को तत्काल खतरा है, फिर उन्होंने भाजपा में जाने का फैसला क्यों लिया? दरअसल वे नहीं जाते तो दो अन्य जिला पंचायत सदस्य तो तैयार बैठे ही थे, जो साथ में शामिल हुए हैं। आने वाले दिनों में कुछ और लोग कांग्रेस छोड़ देते तो उनके बहुमत पर खतरा मंडराता और अविश्वास प्रस्ताव आ जाता। अब कम से कम उनकी कुर्सी इस सरकार में भी बची रहेगी। लेकिन उन्हें जानने वालों के बीच एक दूसरे कारण की अधिक चर्चा रही। इन दिनों कई जिलों में अवैध निर्माण पर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई चल रही है। चर्चा के मुताबिक कुछ साल पहले चौहान ने बिलासपुर में एक व्यावसायिक भवन बनवाया। नगर-निगम में कांग्रेस की सरकार के रहते ही उसके कुछ हिस्से को लेकर आपत्ति आ गई थी, जिससे वे नाराज चल रहे थे। अब वह परेशानी भी खत्म हो जाएगी।  

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