राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : शिक्षकों का नैतिक पतन
14-Mar-2024 5:20 PM
राजपथ-जनपथ : शिक्षकों का नैतिक पतन

शिक्षकों का नैतिक पतन
तिल्दा-नेवरा के केसदा गांव में एक शिक्षक पैन सिंह चंदेल को पुलिस ने गिरफ्तार किया जिसे कोर्ट ने जेल भेज दिया है। नारायणपुर में तीन शिक्षकों धर्मेंद्र देवांगन, नारायण देवांगन और नरेंद्र ठाकुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद तीनों शिक्षक फरार हैं। बिल्हा में एक शिक्षक कमलेश साहू को गिरफ्तार किया गया है। मल्हार मस्तूरी में भी एक शिक्षक संजय साहू को गिरफ्तार कर लिया गया है। कुनकुरी में हाईस्कूल के व्याख्याता संजय साहू को गिरफ्तार किया गया। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग कोने के इन सभी शिक्षकों पर अपने स्कूल में पढऩे वाली छात्राओं के साथ छेडख़ानी, अश्लील मेसैज भेजने जैसे आरोप हैं। हर एक मामले में क्षोभ की बात यह रही है कि शाला के प्राचार्य, प्रधान पाठकों ने बच्चियों की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। कहीं पर छात्रों और ग्रामीणों को स्कूल प्रबंधन का घेराव करना पड़ा तो कहीं पीडि़त परिवार को खुद जाकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी, तब जाकर कार्रवाई हुई। कानून सख्त होने के कारण पुलिस ऐसी शिकायतों को टाल नहीं पाती, अगर शिकायतकर्ता जागरूकता दिखाए। मगर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों के निलंबन आदि की कार्रवाई भी तब की जब रिपोर्ट दर्ज हो गई, या फिर गिरफ्तारी हो गई।

ये सब घटनाएं बीते 15-20 दिन के भीतर हुई हैं। इस बीच हमने महिला अंतरराष्ट्रीय दिवस भी मना लिया। पीडि़त छात्राओं की सराहना करनी होगी कि उन्होंने फेल करने, निष्कासित करने की धमकी मिलने के बावजूद शिकायत लेकर सामने आईं। मगर, प्रदेश के दूसरे स्कूलों में और भी पीडि़त छात्राएं हो सकती हैं, वे सकता हैं वे सहमी हों, सहन कर रही हों।

छत्तीसगढ़ में स्कूलों का शैक्षणिक स्तर पूरे देश में 27वें नंबर पर है, यानि बेहद बुरी स्थिति में। अब ऐसे शिक्षक अपनी करतूतों से साबित करने में लगे हैं, कि वे स्कूलों का शैक्षणिक स्तर ही नहीं गिराएंगे बल्कि गुरुजनों की नैतिकता नापने का कोई पैमाना हो तो उसमें भी वे सबसे नीचे तक ले आएंगे। ऐसे शिक्षक जो अपने अधिकारियों के संरक्षण में शिकायत को दबाने और गिरफ्तारी तथा निलंबन की कार्रवाई को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे थे। पॉक्सो एक्ट में कड़ी सजा का प्रावधान होने के बावजूद वे जमानत पाने और अदालत से बरी होने के लिए भी अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर सकते हैं। पर बच्चियों के लिए इससे बुरा कुछ नहीं होगा कि ये शिक्षक दोबारा स्कूल में पढ़ाने के लिए आ जाएं।

चार कॉलेजों के एक प्राचार्य
जशपुर जिले के कांसाबेल स्थित सरकारी कॉलेज से बागबहार की दूरी 17 किलोमीटर, बगीचा की दूरी 46 किलोमीटर और सन्ना की दूरी 75 किलोमीटर है। इन तीनों स्थानों में भी सरकारी कॉलेज हैं। खास बात यह है कि इन चारों कॉलेजों में किसी में भी स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की गई है। कांसाबेल में इतिहास विषय की पढ़ाई कराने वाले सहायक प्राध्यापक को प्रभारी प्राचार्य बनाकर रखा गया है। पर उनको इसी एक कॉलेज की जिम्मेदारी नहीं उठानी है, बल्कि जिन बाकी तीन कॉलेजों की बात की जा रही है, वहां का प्रभार भी उनको ही दे दिया गया है। यानि एक साथ, एक छोर से दूसरे छोर वाले चार कॉलेजों के प्रभारी। उच्च शिक्षा विभाग कॉलेजों की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कितना गंभीर है, इससे समझा जा सकता है।


आत्मनिर्भर किसान
मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 2019 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया था। एक किसान से 10 क्विंटल अधिकतम खरीदी करना था और यह खरीदी 28 फरवरी तक ही की जानी थी। धमतरी जिले में करीब 500 हेक्टेयर में इस बार मक्के की खेती की गई। एक अनुमान के अनुसार करीब 26 हजार क्विंटल उत्पादन हुआ। पर किसी भी किसान ने सोसायटी में जाकर मक्का नहीं बेचा। वजह, बाजार में उन्हें समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा कीमत मिली।

छत्तीसगढ़ में धान की खूब पैदावार ली जाती है। धान के सरकारी प्रोत्साहन में हजारों करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। धान में बहुत पानी भी लगता है। मक्के में जरूरत कम पड़ती है। सरकार मिलेट्स को बढ़ावा देने की बात करती है। तब उसे ऐसे आत्मनिर्भर किसानों की सुध जरूर लेनी चाहिए।

नेता बच्चों के ट्यूटर 
स्कूल शिक्षा विभाग में जिला शिक्षाधिकारियों की तबादला सूची को लेकर काफी हलचल रही। सूची में जयनारायण पांडेय स्कूल के प्राचार्य मोहन सावंत और दानी स्कूल के प्राचार्य विजय खंडेलवाल का भी नाम है। दोनों को प्रभारी जिला शिक्षाधिकारी बनाकर क्रमश: महासमुंद और रायपुर में पदस्थ किया गया है।

बताते हैं कि दोनों ही अफसर पिछले डेढ़ दशक से एक ही स्कूल में पदस्थ थे। उन्हें हटाने की खूब कोशिश भी हुई लेकिन दोनों अपने अपार संपर्कों की वजह से पद पर बने रहे। दोनों ही अच्छे शिक्षक भी माने जाते हैं, और स्थानीय बड़े नेताओं के बच्चों के ट्यूटर भी रहे हैं।

यही वजह है कि जब-जब तबादला सूची में उनका नाम जोड़ा जाता था, बड़े नेता नाम हटवा देते थे। अब जब दोनों को मनचाही पोस्टिंग मिली है, तो उनकी जगह लेने के लिए शिक्षकों में होड़ मच गई है। देखना है आगे क्या होता है।

पीडि़तों की मुख्य धारा
कांग्रेस शासनकाल में पीडि़त रहे अधिकारी कर्मचारियों ने बड़ी अच्छी उक्ति लगाई है। इनके तबादले पोस्टिंग के लिए एक टैग लाइन, पंच लाइन चल पड़ी है। पीडि़तों को मुख्य धारा में लाना है। भाईसाहबों के हाथ लिखी ये लाइन देखते ही पीडि़त मुख्य धारा में लौटने लगे हैं।  दो दिन पहले ही रानु कुनबे के ऐसे ही दागी दो खनिज अधिकारी, माइनिंग डिस्ट्रिक्ट कहे जाने वाले फील्ड में पदस्थ कर दिए गए। जबकि इनके यहां ईडी विजिट कर चुकी थी। वैसे विभाग में चर्चा है कि इन दोनों ने काफी कुछ इनपुट दिया था। सो इनाम मिलना ही था। इसी तरह से स्कूल शिक्षा विभाग ने निलंबित व्याख्याता को न केवल बहाल किया बल्कि प्रभारी डीईओ बना दिया। यह कहकर की नक्सल जिलों में कोई जाना नहीं चाहता। इन्हें पिछले ही माह सदन में निलंबित किया गया था। ये पीडि़त भी मुख्य धारा में लौट आए। 

बस्तर के बर्तन...
बस्तर संभाग के, बस्तर जिले के, बस्तर ब्लॉक के, बस्तर पंचायत के, बस्तर गांव का सोमवार बाजार। गर्मी में मांग बढ़ जाती है, पर बहुत से स्थानीय आदिवासी परिवार हैं जो हर मौसम में मिट्टी के घड़ों से ही काम चलाते हैं। वैसे मौसम विभाग का आंकड़ा बताता रहता है कि घने जंगलों वाले बस्तर और घनी बिल्डिंग वाली राजधानी रायपुर के तापमान में अब ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। आज की ही बात करें तो बस्तर में अधिकतम तापमान 35 डिग्री है, जबकि रायपुर में 36 डिग्री सेल्सियस।

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