राजपथ - जनपथ
साफग़ोई और खरी-खरी की तारीफ़
राजनांदगांव में पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुरेन्द्र दास वैष्णव के बेबाकी की राजनीतिक हल्कों में खूब चर्चा हो रही है। सुरेन्द्र दास ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल की मौजूदगी में एक तरह से विधानसभा चुनावों में हार के कारणों को भी गिना दिया।
उन्होंने गिरीश देवांगन का नाम लिए बिना राजनांदगांव विधानसभा से बाहरी को टिकट देने के फैसले पर कटाक्ष करते हुए कह गए, कि पार्टी चाहे तो रायपुर और दुर्ग के नेताओं को पंचायत चुनाव लडऩे के लिए यहां (राजनांदगांव) भेज सकती है। हम इसका स्वागत करेंगे।
गिरीश देवांगन, पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह के खिलाफ बुरी तरह हारे थे। हार के कारणों का कोई स्पष्ट कारण नजर नहीं आ रहा था। जबकि भूपेश बघेल ने गिरीश के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, और सारे संसाधन लगा दिए थे। अब जाकर सुरेन्द्र दास की टिप्पणी से सब कुछ साफ हुआ है। यानी बाहर से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाने को कार्यकर्ताओं ने स्वीकार नहीं किया, और इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा।
महासमुंद में बिरनपुर की गूंज
महासमुंद में कांग्रेस ने पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को सिर्फ इसलिए प्रत्याशी बनाया है कि वहां साहू समाज के मतदाता निर्णायक हैं। मगर ताम्रध्वज को समाज का पूरा-पूरा साथ मिलता नहीं दिख रहा है। वजह यह है कि बिरनपुर कांड की गूंज अब महासमुंद में भी सुनाई देने लगी है।
भाजपा ने महासमुंद में बिरनपुर के भुवनेश्वर साहू हत्याकांड के मसले पर कांग्रेस की घेराबंदी शुरू कर दी है। ताम्रध्वज को जवाब देना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है कि वो गृहमंत्री रहते भुवनेश्वर साहू की हत्या के बाद कभी बिरनपुर गए ही नहीं। न ही उनके परिजनों से मुलाकात की थी। साहू समाज में इसको लेकर ताम्रध्वज के खिलाफ नाराजगी अभी तक बरकरार है। जबकि विधानसभा चुनाव में इसका नतीजा ताम्रध्वज भुगत चुके हैं। अब लोकसभा चुनाव में क्या होता है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।
संसदीय सचिव बनाएंगे या नहीं?
करीब बीस वर्ष पहले भाजपा सरकार ने ही संसदीय सचिवों की नियुक्ति की शुरूआत की थी। इसके जरिए जातीय, क्षेत्रीय, दलीय संतुलन बनाया जाता रहा है। यह भी सच है कि इनमें से कई संसदीय सचिव अगला चुनाव हारते रहे या टिकट नहीं मिलती। संसदीय सचिवों की नियुक्ति को कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर ने चुनौती दी थी। हालांकि कांग्रेस सरकार में 13 संसदीय सचिव बनाए गए थे। बाद में विधानसभा में यह व्यवस्था भी आई कि संसदीय सचिव ना तो विधायक की तरह सवाल कर पाएंगे, ना ही मंत्री की तरह जवाब दे पाएंगे। भाजपा सरकार में जो संसदीय सचिव थे, उन्हें कभी-कभी जवाब देने का मौका मिलता था। बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर यह छिन गया था। विधायकों के मन में एक बड़ा सवाल यह भी है कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति की जाएगी, या नहीं। यदि नियुक्ति की जाएगी तो 12 से अधिक फिर बनाए जाएंगे या सिर्फ 11 । इस हिसाब से विधायकों के मन में गाड़ी-बंगला मिलने की उम्मीद बंधी रहेगी।
सहानुभूति या नुकसान?
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित महादेव सट्टा ऐप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ ईडी के प्रतिवेदन पर एसीबी, ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर ली है। पूर्व सीएम के खिलाफ अनेक धाराओं में मामला दर्ज होने की एक कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है लेकिन अब तक आधिकारिक बयान नहीं आया है। एसीबी की ओर से कोई खंडन नहीं आया है, इसलिए इसे लोग असली मान कर चल रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान ईडी ने ऐसा ही एक प्रेस नोट जारी किया जिसमें सिर्फ बघेल सरनेम का जिक्र था। सबने मान लिया कि बात भूपेश बघेल की हो रही है।
राजनांदगांव से उम्मीदवार बनने के बाद जाहिर हुई इस ताजा रिपोर्ट ने बघेल को और आक्रामक बना दिया है। इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए उन्होंने ऐलान किया है कि वे अग्रिम जमानत की अर्जी नहीं लगाएंगे। दूसरी तरफ तमाम भाजपा नेताओं के सोशल मीडिया पेज बघेल पर हमलावर टिप्पणियों से भरे पड़े हैं।
विधानसभा चुनाव बघेल अपनी सीट से जीत गए थे लेकिन कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। सरकार दोबारा नहीं बन पाई। देखना दिलचस्प होगा की राजनांदगांव से उनकी लड़ाई इस खुलासे के बाद किस मुकाम पर पहुंचेगी। बघेल की छवि को नुकसान होगा या उन्हें सहानुभूति मिलेगी?
रुक गई ट्रांसफर लिस्ट
बीते एक महीने से स्कूल शिक्षा विभाग में यह जमकर चर्चा हो रही थी कि तबादले की जम्बो लिस्ट तैयार हो रही है। बताते हैं कि यह सूची धीरे-धीरे घटती बढ़ती रही। इसके चलते समय पर तैयार नहीं हो सकी। बंगले से रवाना हुई फाइल महानदी में अज्ञात कारणों से दो दिन तक रुकी रही। और इधर चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। अब सारा मामला कम से कम जून महीने तक लटक गया है। लोकसभा चुनाव के बाद यह विभाग किसके पास रहेगा, कुछ भरोसा नहीं।
एक खूबसूरत शाम
पानी पर ढलते सूरज की रोशनी और नौकायन। यकीन नहीं होगा मगर यह तस्वीर हाल ही में शिवरीनारायण में महानदी के तट से ली गई है।