राजपथ - जनपथ
गांधी के बाद की डायरियाँ
डायरी लेखन भी एक कला है,साहित्य लेखन की तरह। बेहतरीन डायरी लेखन के कई ख्याति प्राप्त उदाहरण है। कुछ डायरी तो जेल में भी लिखी गई। उसे देख, सुनकर कालांतर में कारोबारी, राजनेता भी डायरी मेंटेन करने लगे। लेकिन यह भी सच है कि नकल मारने भी अकल की जरूरत होती है। अकल न लगाया जाए तो डायरी के यही पन्ने जेल जाने का मार्ग प्रशस्त करते है। छत्तीसगढ़ के दो दर्जन से अधिक नेता, अफसर कारोबारी जेल जा चुके हैं और कई रास्ते में हैं। हम आज ऐसी दो डायरियों या उल्लेख कर रहे।
पहली कोल लेवी वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग और दूसरी सरगुजा के पुनर्वास पट्टे की। दोनों ही डायरियों में करोड़ों के लेनदेन का हिसाब लिखा गया है। लेखकों ने इतना बिंदास और सुस्पष्ट हिज्जों के साथ लिखा गया कि अनपढ़ भी पढ़ लें। फिर आयकर, ईडी अफसरों की क्या बिसात। कोल लेवी डायरी में तो तालिका बनाकर हिसाब लिखा गया। पन्ने के बाईं ओर देनदार का तो दाईं ओर देनदार का। यानी किससे लिया, किसको दिया साफ साफ।
सूची में अफसर, नेता, विधायक, कार्यकर्ता, पत्रकार और समाज के अन्य वर्ग के प्रमुख लेनदारों के नाम। दूसरी डायरी सरगुजा पुनर्वास पट्टा घोटाले की। किस बंगाली शरणार्थी की जमीन, किसके नाम से लिया, हल्का-खसरा, नामांकरण, बटांकन सब साफ-साफ। यही नहीं, एक सरकारी विभाग में भर्तियों में जो लेनदेन हुआ है उसका भी डायरी में हिसाब-किताब है। ये अलग बात है कि जांच के भय से पोस्टिंग ऑर्डर जारी नहीं हो पाए हैं। यानी डायरी से सीबीआई को काफी कुछ मसाला मिल सकता है, जो कि पीएससी घोटाले की जांच कर रही है। डायरियां अब राज उगल कर मुसीबत बन गई हैं।
बाकी सब नूरा कुश्ती
गीता पर हाथ रख कर लोग सच नहीं बोल पाते ऐसे लोगों से शराब सब सच बुलवा देती है। चाहे वह एक ही दल के नेता हे या परस्पर धुर दलीय विरोधी। वैसे राजनीति के कारोबार में कोई दुश्मन नहीं होता। इनके बीच मतभेद होते हैं मन भेद नहीं। सरकार किसी की भी रहे,ताली दोनों ही बजाते हैं। परसों रात राजधानी में जो देखा सुना उसका भी सार यही है। बी नाम से शुरू होने वाले जिले के एक निर्वाचित नेता जी सच बोल रहे थे। तरे गले की हालत में भगत सिंह चौक पर ये बताते हुए गर्व महसूस कर रहे थे कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में भी उनकी हाउस में पूरी दखल थी। और आज तो अपनी ही सरकार है। इसी पिछले दरवाजे से अंदर जाते और छोडक़र बाहर आ जाते। इसलिए एक बात पुख्ता हो गई कि ये कारोबारी नेता एक ही राजनैतिक कारोबार के लोग है बाकी सब नूरा कुश्ती है।
महतारी और नारी के बीच टक्कर
इसके पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 25 मार्च 2019 को कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि देश के 20 फीसदी गरीब परिवारों के खाते में 72 हजार रुपये हर वर्ष डाले जाएंगे। उन्होंने कहा था कि जब मोदी अमीरों के जेब में रुपये डाल सकते हैं तो कांग्रेस पार्टी भी गरीबों के खाते में डाल सकते हैं। यह आश्वासन छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के बाद का था, जिसमें किसानों की कर्ज माफी का वादा पूरा किया गया था।
कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान में यह घोषणा शामिल किया गया था। मगर, परिणाम आया तो इतिहास मे सबसे कम सीटें कांग्रेस को मिली। इसके बाद यह जरूर हुआ कि किसानों और गरीबों के खाते में भाजपा ने सीधे रकम डालने की योजना बनाई, जिसका किसान जन-धन योजना से लेकर महतारी वंदन योजना तक विस्तार हुआ। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस तरह की योजनाओं से परहेज रहा। उन्होंने अपने भाषणों में कई बार- मुफ्त की रेवड़ी का जिक्र किया।
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीपीएल परिवार की महिलाओं को एक-एक लाख रुपये सालाना देने का ऐलान किया है। इसे नारी न्याय योजना नाम दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव सचिन पायलट ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे घर-घर जाकर महिलाओं से इस योजना का फॉर्म भरवाएं। यह कार्यक्रम ठीक वैसा ही है, जैसा भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान चलाया था। भाजपा ने अपनी गारंटी की विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए घर-घर जाकर महतारी वंदन योजना के फॉर्म भरवाये। भाजपा ने महतारी वंदन का फॉर्म भरने का ऐलान नहीं किया था, पार्टी के निर्देश पर कार्यकर्ता खामोशी से काम कर रहे थे। उन्हें मालूम था कि यह प्रलोभन की श्रेणी में आता है। चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। ऐसा हुआ भी। कांग्रेस की शिकायतों के बाद कई जिलों में कार्रवाई हुई। फॉर्म भरने वाले कुछ भाजपा कार्यकर्ता गिरफ्तार भी किए गए।
कांग्रेस ने महतारी वंदन फॉर्म भरने की भाजपा की योजना को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना था। मगर अब वह खुले तौर पर नारी न्याय योजना का फॉर्म भरे जाने का ऐलान कर रही है। क्या भाजपा उसे ऐसा करने देगी?
कुदरत की चित्रकारी
छत्तीसगढ़ में बहुतायत मिलने वाले पलाश फागुन के दिनों में खिल उठते हैं। मैकल पर्वत श्रेणियों के नीचे और अचानकमार अभयारण्य से लगे खोंगसरा की सडक़ से गुजरते हुए इसकी बादशाही देखी जा सकती है।
लोकसभा की कब कितनी थी सीटें..?
अतीत पर नजर डालें तो कुछ दिलचस्प आंकड़े हमारे सामने आ जाते हैं। सन् 1951 में छत्तीसगढ़ में कुल सात लोकसभा सीटें थीं। सरगुजा और रायगढ़ मिलाकर एक लोकसभा सीट होती थी। बिलासपुर अलग सीट थी, बिलासपुर के कुछ हिस्सों को दुर्ग और रायपुर से जोडक़र तीसरी लोकसभा सीट बनाई गई थी। चौथी सीट थी महासमुंद, पांचवी सीट दुर्ग, छठवीं सीट में दुर्ग का कुछ हिस्सा और बस्तर और सातवीं सीट केवल बस्तर।
इस तरह से 1951 में कुल सात लोकसभा सीटें थीं। 1957 में सीटें थीं, दुर्ग, बस्तर, रायपुर, बलौदाबाजार, सरगुजा, जांजगीर और बिलासपुर। यानि इस बार भी सीटें सात रहीं। 1962 में सरगुजा, रायगढ़, दुर्ग, बस्तर, रायपुर, जांजगीर, महासमुंद, कांकेर, बिलासपुर और राजनांदगांव लोकसभा सीटें थीं। यानि सीटों की संख्या बढक़र 10 हो गईं। 1977 में सारंगढ़ अलग सीट बना दी गई, जिसके बाद सीटों की संख्या बढक़र 11 हो गई। यह सिलसिला 2009 के पहले तक चला। सीटों की संख्या 11 ही रही लेकिन सारंगढ़ विलुप्त हो गई। सरगुजा, रायगढ़, दुर्ग, जांजगीर, बिलासपुर, कोरबा, रायपुर, राजनांदगांव, महासमुंद, बस्तर और कांकेर सीटें तब से अब तक हैं। लगे हाथ बता दें कि सन् 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में सेंट्रल प्रोविंस को मिलाकर छत्तीसगढ़ में कुल 184 सीटें थीं, जिसमें 232 विधायक चुने गए थे। विधायकों की संख्या सीटों से ज्यादा थी, क्योंकि कुछ पर दो-दो विधायकों का चुनाव हुआ था। नया परिसीमन 2026 में प्रस्तावित है, तब विधानसभा और लोकसभा सीटों में फेरबदल देखा जा सकता है।
महतारी के मुकाबले नारी
प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए भाजपा के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। मसलन, विधानसभा चुनाव में जिस तरह भाजपा ने महतारी वंदन योजना का फार्म भरवाकर माहौल को अपने पक्ष में कर लिया था, कुछ इसी तरह का फार्मूला कांग्रेस भी अपना रही है। यानी नारी न्याय योजना का फार्म भरवाकर कांग्रेस चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है।
प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने सभी प्रत्याशियों को सलाह दी है कि अधिक से अधिक महिलाओं को नारी न्याय योजना का फार्म भरने के लिए प्रेरित किया जाए। सभी प्रत्याशियों ने फार्म छपवाना भी शुरू कर दिया है। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को 8333 रूपए प्रतिमाह उनके खाते पर जमा होंगे। वैसे तो विधानसभा चुनाव में कर्ज माफी, और महतारी वंदन योजना से ज्यादा राशि देने का वादा किया गया था। तब भी सरकार नहीं बना पाई। अब नारी न्याय योजना से कितना फायदा मिल पाता है, यह देखना है।