राजपथ - जनपथ
कांग्रेस में संयोग या प्रयोग
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से चार में दुर्ग जिले के उम्मीदवार खड़े हैं। यह एक संयोग है। कांग्रेस के नेता इसे प्रयोग के रूप में भी देख रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेश बघेल की उम्मीदवारी से राजनांदगांव में तो ताम्रध्वज साहू की उम्मीदवारी से महासमुंद में मुकाबला रोचक होने जा रहा है। बिलासपुर में भी देवेंद्र यादव के आने से भाजपा की मेहनत बढ़ जाएगी, क्योंकि स्थानीय नेता भले भीड़ बढ़ाने के काम आएं, लेकिन काम करने के लिए देवेंद्र ने अपनी टीम उतार दी है। वैसे, यह भी एक संयोग है कि कई नेताजी को इस बात से सुकून मिला है कि उन्हें चुनाव नहीं लडऩा पड़ा, इसलिए बाहर से प्रत्याशी उतारने पर भी कोई विरोध में आगे नहीं आ रहा।
मिशन नांदगांव
भाजपा की सरकार बनने के कुछ दिन बाद ही आरएसएस में अंदरखाने थोड़ी नाराजगी है। आरएसएस की ओर से जो सिफारिशें की गईं, उनमें बड़ी संख्या में नहीं मानी गईं। ज्यादातर नियुक्तियों के संबंध में थी। आरएसएस ने बाद में खामोशी ओढ़ ली। अब लेकिन फिर से आरएसएस के लोग सक्रिय हो गए हैं। बताया जा रहा है कि राजनांदगांव को मिशन के तौर पर लिया जा रहा है। यहां संघ और संगठन के करीबी संतोष पांडेय के खिलाफ भूपेश बघेल कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। अपनी सरकार में भूपेश आरएसएस के खिलाफ बयानबाजी का कोई मौका नहीं छोड़ते थे, इसलिए आरएसएस ने भी कमर कस ली है।
ओएसडी ही भगवान
भाजपा की 15 साल की सरकार जब गई तब मंत्रियों के हार के कारणों में ओएसडी नामक शब्द काफी चर्चा में रहा। इनमें कई ओएसडी तो बाद में कांग्रेस की सरकार में भी हाई प्रोफाइल हो गए। अभी फिर से ओएसडी बन गए हैं। नियुक्तियों के समय ही आपत्ति आई, लेकिन मंत्रियों ने जैसे जैसे संगठन को मैनेज कर लिया, लेकिन कई ओएसडी के भगवान बनने की चर्चा फिर शुरू हो गई है। एक ओएसडी को तो मंत्री ने बाहर कर दिया है। बाकी मंत्री संभलकर रहें। नहीं तो पिछले परिणाम अच्छे नहीं रहे हैं।
राशन कटौती का जोखिम चुनाव में?
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने सोशल मीडिया और बयानों में आरोप लगाया कि प्रदेश के 13 हजार 771 दुकानों में से 7985 दुकानों को भाजपा सरकार ने नॉन एक्टिव खाते में डाल दिया है। बिना भौतिक सत्यापन के ही ऐसा किया गया। जनवरी में राशन का आवंटन 37 प्रतिशत तथा फरवरी में 44 प्रतिशत कम कर दिया गया। प्रति यूनिट कांग्रेस सरकार ने 7 किलो राशन वितरित कर रही थी जिसे भाजपा सरकार ने घटाकर 5 किलो प्रति यूनिट कर दिया है। इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया पर ही आवंटन के डिटेल निकालकर पोस्ट डाली है, जिसमें उन्होंने कहा कि कुछ लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं कि पीडीएस संबंधित पिछली सरकार की योजनाओं को सरकार ने बंद कर दिया है। पिछली सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की जन हितैषी योजनाओं का नाम बदलकर ही आगे बढ़ाया था। पीडीएस से संबंधित सभी लाभ यथावत जारी है। भाजपा के मंत्रियों और अन्य नेताओं ने भी इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है।
मालूम हो कि पिछली सरकार में राशन दुकानों में बिना स्टाक को अपडेट किए ही करोड़ों रुपये के अतिरिक्त चावल की आपूर्ति की इस समय जांच होनी है। स्टाक की जांच की प्रक्रिया हाल-फिलहाल की जानकारी के मुताबिक अब तक अपडेट नहीं है। इसलिए कांग्रेस का आरोप एकबारगी सही लग सकता था। पर चुनावी माहौल में भाजपा सरकार ने राशन में कटौती जैसा कोई जोखिम नहीं उठाया है। अनुमान यही है कि जिन राशन दुकानों पर गड़बड़ी का आरोप है और उसमें अधिकारियों की मिलीभगत मिली है, उनके खिलाफ चुनाव के बाद ही कार्रवाई होगी। यह जरूर हुआ है कि डोंगरगांव में भाजपा के कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं ने थाने में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर शिकायती पत्र सौंपा है। बघेल ने भी छत्तीसगढ़ कांग्रेस के ट्विटर हैंडल की पोस्ट को साझा किया था। इसमें उन्होंने बेरोजगारी भत्ता बंद कर देने और भविष्य में महतारी वंदन योजना में राशि की कटौती किए जाने की आशंका भी व्यक्त की है। थाने में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि आचार संहिता के दौरान भ्रामक प्रचार करने को लेकर बघेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। हालांकि थानेदार ने कह दिया है कि शिकायत की जांच करेंगे, तब कोई कार्रवाई होगी। वैसे भी इस मामले में ज्यादा भूमिका निर्वाचन अधिकारियों की हो जाती है।
आपदा में अवसर...
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत नहीं मिली और कथित शराब घोटाले में अभी जेल में हैं। उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल कल सामने आईं और उन्होंने दो वाट्सएप नंबर जारी कर दिल्ली और देश की जनता से केजरीवाल के लिए शुभकामनाएं और दुआएं लिख भेजने की अपील की। मगर, केजरीवाल के खिलाफ डट कर मुहिम चला रही सोशल मीडिया टीम के लोग कहीं आगे निकल गए। वाट्सएप पर उन्हें शुभकामनाएं और आशीर्वाद हजारों लोगों ने दिए होंगे, पर उनके विरोधियों ने इसका खूब इस्तेमाल किया। ट्विटर पर वाट्सएप नंबर पर भेजे जाने वाले ऐसे संदेशों के स्क्रीन शॉट छा गए, जिनमें उनको तमाम अपशब्द कहे जा रहे हैं। जबकि सुनीता केजरीवाल का आटो रिप्लाई आ रहा है, जिसमें सभी का आभार व्यक्त किया जा रहा है। इनमें अनेक पोस्ट ऐसे हैं जिनमें नाम के साथ मोदी का परिवार भी लिखा हुआ है, यानि वे भाजपा कार्यकर्ता या फिर उसके समर्थक हैं। केजरीवाल सोशल मीडिया कैंपेन में कभी आगे रहे होंगे। उन्होंने वाट्सएप से ही सुझाव मांग कर पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में भगवंत मान को चुना था। पर आज इस मीडिया का भाजपा से बेहतर इस्तेमाल और कौन कर पा रहा है? शाम तक यह जानकारी दी गई कि जो दो वाट्सएप नंबर जारी किए गए थे, उन्हें बंद कर दिया गया। केजरीवाल से सहानुभूति रखने वालों की जगह इन नंबरों पर उनके विरोधियों ने कब्जा कर लिया था।