राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बृजमोहन के लिए मेहनत का राज
31-Mar-2024 3:02 PM
राजपथ-जनपथ :  बृजमोहन के लिए मेहनत का राज

बृजमोहन के लिए मेहनत का राज 

रायपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल ने अच्छी मार्जिन से जीत के लिए अलग ही रणनीति बनाई है। उन्होंने सबसे ज्यादा बढ़त दिलाने वाले मंडल, और बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत करने का ऐलान किया है। उन्होंने ईनाम के लिए बेस्ट मंडल, और बेस्ट बूथ जैसी कैटेगरी बनाई है। 

सुनते हैं कि बेस्ट मंडल, और बेस्ट बूथ के पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को टूर पर भेजा जा सकता है। उन्हें टूर पर कहां भेजा जाएगा, यह साफ नहीं है, लेकिन बृजमोहन उदार नेता हैं। उनसे जुड़े लोग मानते हैं कि बेहतर काम करने वाले, और अच्छी मार्जिन के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को विदेश प्रवास पर भी भेजा जा सकता है। 

दूसरी तरफ, रायपुर दक्षिण में सबसे ज्यादा मेहनत हो रही है। यहां उपचुनाव की संभावनाओं को देखते हुए कई दावेदार अभी से सक्रिय हैं, और बृजमोहन को भारी बढ़त दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। मौजूदा सांसद सुनील सोनी भी रायपुर दक्षिण में ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। इसके अलावा सुभाष तिवारी, मीनल चौबे, केदार गुप्ता, मोहन एंटी, मृत्युंजय दुबे, और पार्षद मनोज वर्मा सहित कई विधानसभा टिकट के दावेदार बृजमोहन के लिए पसीना बहाते दिख रहे हैं। 

बस्तर पर खास मेहनत 

बस्तर की दोनों सीटों पर भाजपा ने अपनी ताकत झोंक दी है। यहां संगठन के दो प्रमुख नेता अजय जामवाल, और पवन साय खुद ही प्रचार की रणनीति देख रहे हैं। बस्तर में नया प्रत्याशी होने की वजह से कई बड़े नेताओं का अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के पदाधिकारियों को प्रचार में झोंक दिया गया है। 
इससे परे कांकेर में कांग्रेस से पिछले प्रत्याशी को रिपीट करने से इस बार मुकाबला कांटे का हो सकता है। इससे निपटने के लिए पार्टी के रणनीतिकारों ने विधानसभा वार रणनीति बनाई है। सीएम विष्णुदेव साय यहां कई सम्मेलनों में शिरकत कर चुके हैं। पार्टी का सभी 11 सीटों को जीतने का लक्ष्य है। राज्य बनने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बहुत बढिय़ा रहा है। लेकिन अधिकतम 10 सीट ही जीत पाई है। वर्ष 2019 के चुनाव में 9 सीट ही जीत पाई थी। मगर इस बार पार्टी सभी सीट जीतने के लिए भरपूर दम खम लगा रही है। वाकई ऐसा होगा, यह तो चार जून को चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। 

सुरक्षा की मांग कौन पूरी करेगा?

लोगों के लाइसेंसी हथियार गन, बंदूक, रिवाल्वर आदि चुनाव के समय थानों में जमा करा लिए जाते हैं। इधर, मुख्यमंत्री निवास के करीब रहने वाले कांग्रेस नेता रामकुमार शुक्ला ने इस आधार पर अपनी रिवाल्वर वापस मांगी है कि उनके ऊपर हमला हो सकता है। हमला इसलिये, क्योंकि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ बयान दिए थे। बघेल पर मंच से तीखा हमला करने वाले राजनांदगांव के कांग्रेस नेता ने सुरेंद्र वैष्णव ने इसी आधार पर पुलिस सुरक्षा मांगी है। वहीं बघेल के करीबी विनोद वर्मा व पार्टी कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल पर 5 करोड़ 90 लाख रुपये की गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले एआईसीसी सदस्य अरुण सिसोदिया ने भी पुलिस सुरक्षा मांगी है। दो दिन पहले उन्होंने पीसीसी चीफ दीपक बैज को चि_ी लिखकर स्लीपर सेल वाले बयान पर बघेल के खिलाफ फिर कार्रवाई की मांग की है। यह देखना होगा कि चुनाव आचार संहिता लागू है तो पुलिस खुद रिवाल्वर लौटाने या किसी को सुरक्षा देने का फैसला क्या कर सकेगी। यह तो कम से कम जिला दंडाधिकारी या उसके ऊपर के अधिकारी कर सकते हैं। बयान देने वाले नेताओं को सचमुच सुरक्षा की जरूरत है या नहीं इसका आकलन भी निर्वाचन के अधिकारी ही करेंगे। मगर,  पुलिस सुरक्षा की मांग कांग्रेस के भीतर व्याप्त भारी अंतर्कलह को उजागर कर रहा है, जिसमें जुबानी राजनीतिक हमले की प्रतिक्रिया  में शारीरिक हमले की आशंका जताई जा रही है। भाजपा ने भी मौका नहीं छोड़ा। सीनियर विधायक अजय चंद्राकर तो यहां तक कह गए कि यदि बघेल के मुताबिक कांग्रेस के भीतर कुछ लोग स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे हैं तो इसका मतलब तो यह हुआ कि यह आतंकी संगठन है। सुरक्षा मांगना जायज है।

साहब के तेवर !!

पीएम और रेल मंत्री,सुविधाएं बढ़ाकर रेलवे की छवि सुधारने में जुटे हुए हैं लेकिन उनके अपने अफसर उस पर बट्टा लगाने से पीछे नहीं हट रहे। टैक्स पेयर के पैसे से मिलने वाले वेतन और मुफ्त की सुविधाओं के भोगी ये अफसर उसी यात्री से दुर्व्यवहार करने लगे हैं । 15 लाख की आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले आधा दर्जन संगठनों के पदाधिकारियों ने पिछले दिनों बड़े साहब  से मुलाकात की। वे लोग एक वंदे भारत ट्रेन की मांग करने गए थे। यह ट्रेन छत्तीसगढ़ को मिलने के बाद भुवनेश्वर को दे दी गई। ये जन प्रतिनिधियों न धरना दे रहे थे, न नारेबाजी कर रहे थे । 

केवल ज्ञापन देकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी पूरा करना चाहते थे। साहब ने पहले घंटों इंतजार कराया और मिले तो पेशानी पर गुस्से के बल थे। उस पर कहने लगे आप लोगों को कोई काम नहीं है क्या? क्यों आए हैं? अब क्या कहे, आप अपना काम नहीं कर पाए इसलिए तो याद दिलाने गए थे। रायपुर की ट्रेन छीन ली गई, और आपने अपना काम नहीं किया। रेलवे बोर्ड ने इंटरनल सूचना भेज वंदेभारत के लिए टीटीई,गार्ड ड्राइवर रिजर्व करने कह दिया था। टाइम टेबल भी जारी कर दिया गया। उसके बाद ट्रेन को भुवनेश्वर  में हरी झंडी दिखाई गई। शायद अपनी इस ट्रेन को हासिल करना आपका काम था। आपने नहीं किया। क्योंकि आपके पास कोई काम न था। अब आपके काम को याद दिलाने इन संगठनों ने पीएमओ और एमओआर को पत्र मेल किया। कुछ हो न हो, पीएमओ तो जवाब मांगता है। जवाब देना तो आपका काम है न साहब।

संघ सदैव की तरह साथ !

आरएसएस खुद को गैर राजनीतिक एक सांस्कृतिक संगठन बताता है लेकिन भाजपा का सहयोग करती है। भाजपा की हर जीत में संघ की खास भूमिका होती है। भाजपा का जनसंपर्क दिखाई देता है, पर संघ का प्रचार आम तौर पर नहीं। संघ की खामोशी से कई बार चर्चा निकल जाती है कि भाजपा सरकार और उसके शीर्ष नेताओं से उसकी नाराजगी चल रही है, या उनमें दूरी बढ़ गई है। हाल ही में तो और गजब हो गया। महाराष्ट्र में जनार्दन मून नाम के किसी व्यक्ति ने कई जगहों पर प्रेस कांफ्रेंस लेकर बयान दिया कि आरएसएस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन कर रहा है। सामान्य जानकारी है कि आरएसएस पंजीकृत संगठन नहीं है। इस व्यक्ति ने आरएसएस नाम की एक सोसाइटी का पंजीयन कराने की भी कोशिश कथित रूप से की थी, पर वे सफल नहीं हुए। अब नागपुर में आरएसएस ने मून के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है कि वे भ्रामक खबर फैला रहे हैं। निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखा गया है कि वह वैमनस्यता और भ्रम फैलाने वाले इस व्यक्ति पर कार्रवाई करे। मून की प्रेस कांफ्रेंस यू ट्यूब पर भी अपलोड है। निर्वाचन आयोग से उसे भी हटाने की मांग की गई है। तो ऐसे माहौल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत छत्तीसगढ़ के अल्प प्रवास पर आए। प्रचारकों और स्वयंसेवकों से अपने बिलासपुर कार्यालय में मिले। भाजपा के कुछ विधायक-नेता भी खबर मिलने पर वहां पहुंचे। हमेशा की तरह मीडिया से उनकी दूरी बनी रही। अधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं बताया गया है कि वे यहां क्या मंत्र अपनी टीम को देकर गए, पर यह साफ है कि संघ हमेशा की तरह भाजपा के साथ है।

बार में टाइगर..

बार नवापारा के सिरपुर की ओर वाली गेट के पास कुछ पर्यटकों को बीते 29 मार्च को टाइगर नजर आया। इस अभयारण्य में तेंदुआ व दूसरे वन्य जीव बड़ी संख्या में हैं, पर तीन दशकों में पहला मौका है, जब टाइगर दिखा। यह बाघ किसी दूसरे जंगल से भटककर आया होगा। वन विभाग इसके बारे में जानकारी जुटा रहा है। इसकी मौजूदगी से पार्क की रौनक और बढ़ गई है। आने वाले दिनों में यहां आने वाले सैलानियों की संख्या और बढ़ सकती है।

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