राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : नक्सल बंद अब बेअसर ?
05-Apr-2024 2:29 PM
राजपथ-जनपथ :  नक्सल बंद अब बेअसर ?

नक्सल बंद अब बेअसर ?

आम तौर पर धुर नक्सल इलाके बीजापुर, और सुकमा में ऐसा होता रहा है कि नक्सलियों की एक चि_ी पर जिला बंद हो जाता था। मगर यह अब गुजरे जमाने की बात है।

पिछले दिनों सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में एक दर्जन से अधिक नक्सलियों को मार गिराया, तो बीजापुर में नक्सलियों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सुरक्षाबलों की कार्रवाई के विरोध में नक्सलियों ने 3 अप्रैल को जिला बंद का आह्वान किया। मगर बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डेय, और एसपी जितेन्द्र यादव ने व्यापारियों से आम दिनों की तरह अपने प्रतिष्ठान खुले रखने की अपील की। 

बताते हैं कि जिला प्रशासन, और पुलिस ने बंद को बेअसर करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। इसका प्रतिफल यह रहा कि दुकानें खुली रही, और आम दिनों से ज्यादा खरीदारी हुई। यही नहीं, जिला प्रशासन और सुरक्षाबलों ने भी व्यक्तिगत तौर पर खरीदारी की। कलेक्टोरेट के एक चपरासी ने तो बंद के विरोध में पेन खरीद लिया। दशकों बाद ऐसा हुआ है जब नक्सलियों को अपने गढ़ में मुंह की खानी पड़ी। 

चुनाव में जमीन विवाद 

लोकसभा चुनाव में प्रचार अब धीरे-धीरे तेज हो रहा है। कांग्रेस और भाजपा नेताओं में जुबानी जंग तेज हो गई है। इन सबके बीच एक कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ जमीन की अफरा-तफरी का मामला चर्चा में है। हालांकि इसकी अभी कोई लिखित शिकायत नहीं हुई, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि चुनाव के बीच में मामला तूल पकड़ सकता है। 

सुनते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी, और एक कारोबारी नेता के बीच पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। एक जमीन कारोबारी नेता ने कांग्रेस प्रत्याशी से मिलकर जमीन खरीदी थी। नामांतरण आदि का काम अटका था। ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने जमीन अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर करा ली है। कारोबारी फिलहाल तो यहां वहां कागज दिखाते घूम रहे हैं। हालांकि वो खुद भी कई तरह के विवादों से घिरे रहे हैं। मगर प्रकरण आगे क्या रूप लेता है, यह देखना है। 

ताम्रध्वज के बुरे दिन 

महासमुंद में कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू को पार्टी के भीतर अंतर विरोधों से जूझना पड़ रहा है। वैसे तो महासमुंद में साहू वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, लेकिन उन्हें अपने समाज का पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है। समाज के लोग बिरनपुर प्रकरण के चलते उनसे खफा हैं। ऐसे में ताम्रध्वज ने समाज के वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया है। दुग्ध महासंघ के पूर्व अध्यक्ष विपिन साहू, लगातार बैठक लेकर ताम्रध्वज के लिए मेहनत कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सबसे ज्यादा उम्मीद धमतरी, और गरियाबंद जिले की सीटों से है। मगर यहां रोज उन्हें झटका लग रहा है। पहले धमतरी के किसान नेता दिग्विजय सिंह कृदत्त ने कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया था, और अब चार बार के कांग्रेस विधायक दिवंगत केसरीमल लुंकड़ के पुत्र राजेन्द्र लुंकड़ भी भाजपा में शामिल हो गए। चूंकि प्रभारी मंत्री रहते हुए ताम्रध्वज ने कांग्रेस नेताओं से मिलने जुलने में परहेज करते थे। इसलिए कांग्रेस के नेता उनसे अब तक नाखुश चल रहे हैं। अब आगे क्या होता है यह देखना है।

थाने के बाहर गांजा किसका

 राजधानी पुलिस नशीले पदार्थों खासकर गांजा के खिलाफ लगातार अभियान चलाए हुए है। अब सौ किलो से अधिक गांजा जब्त कर चुकी है। यह गांजा बस्तर और सराईपाली से लगे पड़ोसी राज्य ओडिशा के दोनों हिस्सों से अलग अलग तरीकों की पैकिंग में आ रहा है। तस्करी के लिए कार, ट्रक,यात्री बसों ट्रेन का इस्तेमाल हो रहा है। शहर के बीच पहुंचा गांजा आजाद चौक पुलिस थाने के बाहर गांजे का झुरमुट खड़ा है। अब वही थाना स्टाफ के लिए मुसीबत बन गया है। अपने ही थाना परिसर से लगकर उगे गांजे के लिए किसे दोषी माने  और नारकोटिक्स का मामला दर्ज करें। एएसपी,सीएसपी थानेदार सोच में डूबे हैं कि किस पर मामला बनाए। 

किसी ने कहा किसी अज्ञात के गांजे का बीज फूल फेंकने से थाना परिसर में पेड़ उग गया है, इसके लिए मिट्टी, हवा धूप (पंचतत्व)को दोषी ठहराए जा सकता है। तय हुआ कि जब सभी थानों में जब्त नशीले  पदार्थों का सामूहिक विनष्टीकरण होगा तो इसे भी उखाड़ फेंक दिया जाएगा। वैसे गांजे के ऐसे लावारिस पौधे ग्रामीण इलाकों के और भी थानों में ऐवें ही जग जाते हैं।

सर जितना बोलेंगे उतना कर देंगे

कुछ महीने पहले तक पुलिसिंग कैसी थी, उसकी बानगी यह कहानी है। एक इंस्पेक्टर ने एक नए एसपी को सीधा पैसे का ऑफर दे दिया। इंस्पेक्टर ने जिस आत्मविश्वास और प्रोफेशनल्स के साथ यह ऑफर दिया कि एसपी हड़बड़ा गए। पहले तो इंस्पेक्टर को दुत्कार के भगाया, फिर सस्पेंड भी कर दिया। एसपी ने अपने कुछ करीबियों से यह वाकया शेयर किया, तब इंस्पेक्टर के सस्पेंशन का किस्सा सामने आया। इंस्पेक्टर का पाला इससे पहले किसी ऐसे एसपी से नहीं पड़ा था, जो पैसे का ऑफर ठुकरा दे। 

हिल स्टेशन भी सुकून नहीं देने वाले

 

छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर प्रदेश है। जंगल, पहाड़, नदियां, घाटियां इस सुंदरता को बढ़ाती है और सुकून देती है। पर यह क्या हमेशा बना रहेगा। अप्रैल महीने के पहले सप्ताह से ही मौसम गर्म होने लगा है। स्कूलों में तो समय बदल ही गया है, दफ्तरों में कूलर-एसी के बिना काम नहीं चल रहा है। ऐसे में राहत पाने के लिए हम जंगलों की ओर रुख करते हैं। मगर, वास्तव में गर्मी से राहत कितनी मिल पाती है? तीन बजे तापमान अधिकतम होकर दो तीन डिग्री बढ़ जाता है, पर आज सुबह 11 बजे का आंकड़ा देखते हैं - रायपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ सभी जगह का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहा। दशमलव में एक दो का अंतर हो सकता है। इनमें से रायगढ़ और कोरबा में खूब जंगल हैं तो बड़ी-बड़ी खदानें और कल कारखाने भी हैं। खदानों और संयंत्रों के लिए जंगलों की खूब कटाई हुई थी। दंतेवाड़ा और कांकेर उस बस्तर संभाग में है, जहां छत्तीसगढ़ का सबसे सघन वन है। लेकिन इन सब शहरों का तापमान राजधानी रायपुर और बिलासपुर के लगभग बराबर है। कांकेर जिले में गडिय़ा पर्वत और दंतेवाड़ा में बैलाडीला हिल स्टेशन हैं। इन हिल स्टेशनों में भी तापमान 32-33 डिग्री सेल्सियस है। अंबिकापुर में सुबह 11 बजे तापमान 34 डिग्री सेल्सियस है। मगर इसी संभाग में चिरमिरी एक हिल स्टेशन है, जहां का तापमान यहां से एक डिग्री सेल्सियस अधिक 35 है।  प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन इसी संभाग में मैनपाट है। वहां का तापमान इस समय सिर्फ दो डिग्री कम 33 डिग्री सेल्सियस है। वहां कोई शीतल वहां नहीं मिलेगी। यहां भी लोग एसी कूलर चला रहे हैं। यानि आप राजधानी में रहते हों या सरगुजा में बस्तर में शहर के बीच। यदि बढ़ी हुई गर्मी से राहत पाने के लिए हिल स्टेशनों में जाना चाहते हैं तो तापमान में बहुत अधिक अंतर नहीं मिलने वाला। यह जरूर है कि वहां जाकर आप इसलिए सुकून महसूस कर सकते हैं क्योंकि आप रोजमर्रा के काम से मुक्त रहेंगे और झरनों पेड़ों के बीच रहेंगे, वाहनों का शोरगुल परेशान नहीं करेगा।

बॉर्डर संभालो आबकारी

छत्तीसगढ़ सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड जुटाने में मदद के लिए समाज की बुराई शराब के एक अप्रैल से दाम बढ़ा दिए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि गारंटियों को पूरी करने का बोझ काफी हद तक पीने वाले ही उठा लेंगे। मगर, यह भी देखना होगा कि छत्तीसगढ़ में केवल छत्तीसगढ़ की शराब बिके। दूसरे राज्यों की नहीं। वरना सरकार के मंसूबों पर पानी फिर जाएगा। बस्तर पुलिस ने एक मकान में छापा मारकर दो युवकों को अंग्रेजी शराब के जखीरे के साथ पकड़ा है। एक युवक ओडिशा का है, जहां से शराब लाई गई थी। दूसरा युवक केरल का है, जिसे तस्करी के धंधे में यहां संभावना दिखी होगी। जो शराब पकड़ी गई है वह एक नंबर पर ओडिशा में 1500 से 1700 रुपये बोतल में मिल जाती है। यदि ठेकेदार ने डिस्काउंट दे दिया तो और भी सस्ती। वही शराब दाम बढऩे के बाद छत्तीसगढ़ की दुकानों में 3200 से 3500 रुपये की हो गई है। सरकारी संचालन के बाद वैसे भी शराब दुकानों में डिस्काउंट बंद हो गया, जबकि पड़ोसी राज्यों में अब भी शराब ठेकेदार डिस्काउंट के साथ शराब बेच रहे हैं और दाम भी कम है। मध्यप्रदेश और ओडिशा से आने वाली शराब महासमुंद, रायगढ़, जीपीएम जिलों में अक्सर पकड़ी जाती रही है। अब तस्करी की संभावना बढ़ गई है क्योंकि रेट में फर्क के कारण अंतर भी बढ़ गया है। आबकारी विभाग को अब इस तस्करी को रोकने के लिए ज्यादा मुस्तैदी दिखानी चाहिए। अभी तो उसका ज्यादा जोर केवल देशी भ_ियों पर छापा मारने की ओर दिखाई दे रहा है।

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