राजपथ - जनपथ
चिंतामणि महाराज की चिंता
कांग्रेस, और भाजपा प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिए हैं। इन सबके बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है। सरगुजा में तो भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के खिलाफ 16 बिन्दुओं पर आरोप पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिससे माहौल गरमा गया है। दिलचस्प बात यह है कि आरोप पत्र, बलरामपुर-रामानुजगंज जिला भाजपा अध्यक्ष के नाम से जारी किया गया है। भाजपा प्रत्याशी पर जो आरोप लगाए गए हैं, उस पर नजर डालें तो पहली नजर में किसी जानकार व्यक्ति द्वारा काफी मेहनत कर तैयार किया गया प्रतीत होता है। चिंतामणि महाराज के विरोधी न सिर्फ कांग्रेस में बल्कि भाजपा में भी हैं। ये अलग बात है कि जिनके नाम से आरोप पत्र जारी किया गया है, वो चिंतामणि महाराज के समर्थक हैं। उन्होंने बाकायदा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। फिर भी सोशल मीडिया पर जारी आरोप पत्र की काफी चर्चा हो रही है।
तेंदूपत्ता और वोट
पहले और दूसरे चरण की कुल 4 सीटों पर तेन्दूपत्ता संग्राहकों की भूमिका काफी अहम होगी। भूपेश सरकार तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि दे रही थी, लेकिन विष्णु देव साय सरकार ने बढ़ाकर 55 सौ रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया।
बस्तर के अलावा दूसरे चरण की 3 सीट कांकेर, राजनांदगांव, और महासमुंद में अच्छा खासा तेन्दूपत्ता संग्रहण होता है। भाजपा के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि तेन्दूपत्ता संग्राहक आदिवासी परिवारों का उन्हें भरपूर समर्थन मिलेगा। कांग्रेस के लोग भी तेन्दूपत्ता संग्राहक और फड़ मुशियों से समर्थन मांग रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि भूपेश राज में सबसे ज्यादा तेन्दूपत्ता संग्राहकों को फायदा पहुंचा था। दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में तेन्दूपत्ता संग्राहकों के समर्थन की वजह से ही कांग्रेस को जीत मिली थी। मगर विधानसभा आम चुनाव में अपेक्षाकृत समर्थन नहीं मिला। अब लोकसभा चुनाव में क्या होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
पानी की गारंटी कौन देगा?
चुनाव का बहिष्कार करने वाला प्रत्येक आह्वान माओवादियों की तरह अलोकतांत्रिक नहीं होता, बल्कि जनप्रतिनिधियों और सरकार से नाराजगी की प्रतिक्रिया होती है। प्रदेश में जगह-जगह से मतदाताओं की चेतावनी आ रही है कि उनकी समस्याएं दूर नहीं हुई तो वह चुनाव बहिष्कार करेंगे। एमसीबी जिले के गेल्हा पानी गांव को चिरमिरी नगर निगम में शामिल कर लिया गया है। वे स्थानीय प्रशासन, नेताओं से नाराज हैं। उनका कहना है कि पानी बिजली की मूलभूत समस्या से जूझ रहे हैं, मगर विधायक और मंत्री इसे दूर नहीं करते, सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने के लिए आ जाते हैं। कानून व्यवस्था दुरुस्त नहीं रखने के चलते हुए वे पुलिस से भी नाराज चल रहे हैं। गेल्हापानी में बाकायदा मतदान बहिष्कार के पोस्टर जगह-जगह चिपका दिए गए हैं। राजनांदगांव के हालाडुला के ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और जल संकट दूर नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। यहां जल स्तर भी काफी गिर गया है। बिगड़े हैंडपंपों को शिकायत के बावजूद भी सुधारा नहीं जा रहा है। जांजगीर चांपा के गोवाबंद गांव में सोलर पैनल खराब हो जाने के कारण पानी का पंप नहीं चलता है, जिससे ग्रामीण जल संकट से जूझ रहे हैं। पंप चालू नहीं होने पर ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।
सबसे गंभीर वाकया जगदलपुर जिले के आखिरी छोर पर बसे गांव चांदामेटा का है। यहां पहली बार सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के बीच बीते विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्र बनाया गया। आजादी के बाद पहली बार लोग अपने ही गांव के स्कूल में वोट डाल पाए। यहां पर भी मतदान बहिष्कार का ऐलान कर दिया गया है। लोगों को पीने का पानी गड्ढों से निकालना पड़ रहा है। यह पानी इतना गंदा है कि सुविधा पसंद लोग शायद इससे नहाना भी पसंद ना करें।
दूसरे जिलों से भी इसी तरह की खबरें हैं। चुनाव की वजह से यह बात बाहर निकाल कर आ रही है छत्तीसगढ़ के गांवों में पीने और निस्तार के लिए पानी की कितनी दिक्कत लोगों को हो रही है। मान मनौव्वल करके या थोड़ा बहुत तत्कालिक इंतजाम करके शायद इन्हें बहिष्कार से रोक लिया जाए, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं कि चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि और प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकालेंगे। बीते विधानसभा चुनाव में तो जबरदस्ती वोट डलवाने से नाराज बिल्हा क्षेत्र के बोदरी नगर पंचायत के ग्रामीणों ने पटवारी को बंधक भी बना लिया था। सडक़ नहीं बनने के कारण उन्होंने चुनाव बहिष्कार किया था।