राजपथ - जनपथ
नए कष्ट खड़े कर दिए
छत्तीसगढ़ में मां बमलेश्वरी के श्रद्धालुओं के लिए डोंगरगढ़ जाना किसी संजीवनी पहाड़ पर जाने से कम नहीं रह गया है। यह भी सच है कि कई कष्ट झेलने के बाद ही मां दर्शन देती है। लेकिन यहां तो कष्ट प्रशासन ने खड़े किए हैं। वह भी दो दो। पहला यह कि कुम्हारी के पास रोड ओवर ब्रिज को बंद कर रास्ता घुमावदार कर लंबा कर दिया गया है। और पहले डोंगरगढ़ में कई ट्रेनों के स्टापेज देकर उतने ही रद्द भी कर दिए गए । एनएच ने रोड मेंटेनेंस तो रेलवे ने आरओबी में गर्डर लांच करने के लिए । यह सब कुछ अष्टमी नवमी तक। यही वे पवित्र दिन होते हैं जो हवनादि के आयोजन के लिए निर्धारित हैं।
आत्मानंद स्कूल कॉलेजों का क्या होगा?
छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद भाजपा के मंत्रियों ने कहा कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूलों में कई खामियां हैं। इन्हें दूर किया जाएगा और संचालन के लिए नई पॉलिसी बनाई जाएगी। पर बड़ी गारंटियों पर काम कर रही सरकार लोकसभा चुनाव घोषित पहले कोई फैसला नहीं कर पाई। अब प्रदेश के स्कूलों का नया सत्र शुरू होने वाला है। इधर जून के पहले सप्ताह तक आचार संहिता लागू रहेगी। अगले सत्र में इन स्कूलों का स्वरूप क्या होगा, इस पर छात्र और अभिभावक असमंजस में हैं। कुछ प्रतिनियुक्तियां थीं, पर संविदा शिक्षकों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका रहेगा। इधर दूसरे बाकी स्कूलों में नए सत्र के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पिछली कांग्रेस सरकार की यह एक महत्वाकांक्षी योजना थी। इनके प्राइवेट पब्लिक स्कूलों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर दाखिले की होड़ मची रही। हालांकि सरकार के आखिरी साल में निर्माण कार्य, खरीदी और नियुक्ति में भ्रष्टाचार की बात उठने लगी। भाजपा ने सरकार में आने के बाद इनकी जांच की घोषणा की। स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सत्र के तीन चार माह बाद भी नहीं की गई। इससे छात्रों का मोहभंग होने लगा। इसकी बढ़ती मांग को देखकर उत्साहित पिछली सरकार ने योजना का विस्तार कर दिया और हर जिले में उत्कृष्ट कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी। इनका हाल स्कूलों से भी बुरा रहा। स्कूल और कॉलेज की संरचना में बड़ा अंतर है। साइंस क्लास तो शुरू कर दिए गए पर लैब नहीं खुले। दो चार प्राध्यापक ही नियुक्त किए जा सके। साफ दिखाई दे रहा था कि कॉलेजों की घोषणा बिना सर्वे विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई है। इसका नतीजा यह निकला कि अधिकांश कॉलेजों में सीट ही नहीं भरे। महासमुंद, रायगढ़ जैसे कई शहरों के आत्मानंद कॉलेजों में दाखिला 100 से ऊपर नहीं पहुंचा जबकि यहां सीटें 270 हैं। इन अतिथि प्राध्यापकों की भी नियुक्ति चालू सत्र में ही समाप्त हो जाने वाली है। चुनाव निपटने के तुरंत बाद कोई फैसला नहीं लिया गया तो इन उत्कृष्ट स्कूल और उत्कृष्ट कॉलेजों के छात्रों का एक सत्र खराब हो सकता है। ऊपर से भाजपा ने सरकार बनते ही घोषणा कर दी है कि प्रदेश के 25 हजार स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम बनाया जाएगा। अभी यही मालूम नहीं है कि पहले से चल रही स्कूलों और कॉलेजों का क्या होगा?
दर्शनार्थी प्लेटफॉर्म पर
इस वर्ष फिर माल परिवहन का रिकार्ड तोडऩे वाली रेलवे ने नवरात्रि पर डोंगरगढ़ में एक्सप्रेस ट्रेनों को रोकने की घोषणा की, तब यह नहीं बताया कि दर्शनार्थियों को वह कितनी देर से पहुंचाएगी और दर्शन करने के बाद अगली ट्रेन के लिए कितना इंतजार कराएगी। स्टेशन के दोनों ओर पटरियों पर मालगाड़ी और बीच में प्लेटफॉर्म पर यात्री ट्रेन के इंतजार में बैठे बमलेश्वरी दर्शन करके लौटे लोग। जिस वक्त यह तस्वीर ली गई, स्टेशन के सूचना पटल पर बताया जा रहा था कि बिलासपुर इतवारी इंटरसिटी 4 घंटे, रायगढ़ गोंडवाना 3 घंटे 10 मिनट और आजाद हिंद एक्सप्रेस 5 घंटे 30 मिनट देरी से चल रही है। ([email protected])