राजपथ - जनपथ
मोदी को गाली
भाजपा और मोदी विरोधी बयानों के लिए कन्हैया कुमार को सुनने और तालियां बजाने वाले बहुत लोग हैं, लेकिन शनिवार को तो हद हो गई। कन्हैया कुमार जब मीडिया में बाइट दे रहे थे, तब पीछे से किसी ने मोदी को भद्दी गाली दी। उस समय कन्हैया कुमार के साथ विधायक दिलीप लहरिया, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय केशरवानी साथ ही खड़े थे। किसी ने विरोध नहीं किया। यह वीडियो अब वायरल है, लेकिन कांग्रेस गाली देने वाले पर कार्रवाई तो दूर कुछ बोलने से बच रहे है। हालांकि पुलिस कन्हैया के पीछे खड़ी इसी भीड़ में से युवक को तलाश रही है।
किसका रिकॉर्ड टूटेगा, किसका बनेगा?
मप्र के गुना और विदिशा से खबर आ रही है कि श्रीमंत और मामा में कौन रिकार्ड वोट से जीतेगा। वैसे मामा ने 9 लाख वोट के अंतर का टारगेट रखा है । कुछ ऐसी ही चर्चाएं अपने यहां भी रायपुर और दुर्ग को लेकर हो रही हैं। भाजपा के दोनों ही प्रत्याशी लोकल ही हैं और सभी वर्गों में चर्चित स्वीकार्य । वैसे पिछली बार दुर्ग ने रिकॉर्ड बनाया था । क्या दुर्ग अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेगा या रायपुर। वैसे पिछली बार रायपुर ने भी अपने संसदीय इतिहास में सर्वाधिक लीड का रिकॉर्ड बनाया था और प्रदेश में दूसरे नंबर पर था। बिलासपुर, महासमुंद में भी दावे किए जा रहे हैं, लेकिन कुछ दिक्कतें हैं। 4 जून को देखना होगा कि पदक तालिका में कौन रिकार्ड बनाता है।
चुनाव और जॉइनिंग
चुनावी आपाधापी के बीच प्रशासनिक हलचल भी जारी है। 1991 बैच के आईएएस सोनमणि बोरा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर मंत्रालय में जॉइनिंग दे दी है। तो 2021 बैच के युवराज बरमट ने कैडर बदलकर तेलंगाना ज्वाइन कर लिया है। वहां की आईपीएस से विवाह के बाद कॉमन कैडर के तहत आईएएस पति ने यह च्वाइस किया है। बोरा को आए पखवाड़े भर से अधिक हो गया है, लेकिन चुनावी चक्कर में सरकार पोस्टिंग की जल्दबाजी नहीं करना चाहती। अभी करने पर आयोग से अनुमति लेनी पड़ सकती है। इसलिए बोरा को 4 जून को नतीजों के बाद तक इंतजार करना पड़ेगा। बोरा को पिछली सरकार में भी पहले पोस्टिंग और फिर डेपुटेशन के लिए रिलीविंग को लेकर महीनों लग गए थे। वैसे बता दें कि एक और एसीएस रिचा शर्मा भी दिल्ली से विदा हो गई हैं उनकी ज्वाइनिंग के बाद दोनों को एक साथ पोस्टिंग दी जा सकती है। फिलहाल वह अवकाश पर हैं। अवकाश को बोरा भी इंजॉय कर सकते थे लेकिन ज्वाइनिंग की जल्दबाजी क्यों कर गए समझ से परे है।
पहली बार गिद्धों की गिनती
गिद्ध दृष्टि, गिद्ध भोज जैसे मुहावरों के इस्तेमाल के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण में पोषक तत्वों की रि साइकिलिंग के लिए गिद्धों का होना जरूरी है। गिद्ध मृत जानवरों के शवों को खाते हैं। इससे बीमारियां फैलने से रोकने में मदद मिलती है और पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है। मगर, बीते वर्षों में गिद्धों की आबादी तेजी से घटी है। इसके चलते मृत जानवरों की सड़ चुकी लाश से मनुष्यों और पशुओं में बीमारी, महामारी फैलने का खतरा बढ़ा है। गिद्धों को बचाने के लिए वल्चर कंजर्वेशन एसोसिएशन ने एक खास अभियान चलाया है। छत्तीसगढ़ में पहली बार बीते सोमवार से शनिवार तक गिद्धों की गिनती हुई है। यह गिनती अचानकमार टाइगर रिजर्व के 500 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 जिलों में हुई। इनमें मध्यप्रदेश के भी 10 जिले शामिल थे।
गिद्धों के विलुप्त होने का बड़ा कारण सामने आया था, मवेशियों में सूजन होने पर दी जाने वाली दर्दनिवारक डिक्लोफेनाक दवा। सन् 1990 से इसका प्रयोग बढ़ा। पर यह दवा गिद्धों की किडनी पर असर डालने लगी। जानवरों का मांस खाने के बाद उनकी तेजी से अकाल मौत होने लगी। सन् 2008 में भारत सरकार ने इस दवा पर बैन लगा दिया। इसके विकल्प के रूप में मेलोक्सिकैम दवा सुझाई गई, पर इन 18 सालों में गिद्धों की कई पीढिय़ां और प्रजातियां नष्ट हो गईं।
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पिछले फरवरी में गिद्धों की गिनती कराई गई थी। वहां इनकी संख्या में वृद्धि पाई गई। छत्तीसगढ़ में कराई गई गणना की रिपोर्ट अभी जारी नहीं हुई है।
तमगे के साथ तोहमत भी...
छत्तीसगढ़ के सभी कलेक्टर अपने-अपने जिलों में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए स्वीप अभियान जोरों से चला रहे हैं। कोई दौड़ लगा रहा है, तो कोई जुंबा डांस कर रहा है, कहीं रंगोली बन रही है कहीं शपथ लिए जा रहे हैं। बलौदाबाजार में भी एक अभियान चला। ट्रैक्टर महारैली निकाली गई। इसे गोल्डन (गिनीज नहीं) बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया। कलेक्टर के एल चौहान को सम्मानित किया गया। रैली में एक ट्रैक्टर खुद चौहान ने भी चलाया।
पर, इसका दूसरा पहलू भी है। ट्रैक्टर रैली में यातायात नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी। कई गाडिय़ों से नंबर प्लेट गायब थे, लोग लटके और लदे हुए थे। जिस गाड़ी को कलेक्टर चला रहे थे, उसमें भी नंबर नजर नहीं आ रहा था। उनकी निगाह में आना था, इसलिये ट्रैक्टर और ट्राली के बीच अधिकारी ऐसे लटके थे, जैसा ओवरलोड टैक्सी में दिखता है। ट्राली की हालत भी कंडम थी। पीछे जो ट्रैक्टर लगे थे, उनमें से भी कई के नंबर प्लेट गायब थे।
छत्तीसगढ़ में कंडम गाडिय़ों और माल वाहक गाडिय़ों में सवारी ढोने के कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं। बलौदाबाजार जिले में भी भीषण दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हाल ही में इससे लगे जिले दुर्ग में एक खटारा बस के खदान में गिरने से 12 मौतें हो गईं। कलेक्टर ने मतदाताओं को तो जागरूक किया लेकिन उन लोगों को शह भी दे दी, जो नियमों को तोडक़र सडक़ पर मालवाहक डंपर, ट्रैक्टर दौड़ाते और जानलेवा हादसों को अंजाम देते हैं। ([email protected])