राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : शहरी मतदाता यहाँ देखो
13-May-2024 3:57 PM
राजपथ-जनपथ : शहरी मतदाता यहाँ देखो

शहरी मतदाता यहाँ देखो

छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर व कोरबा के शहरी मतदाता भले ही चुनाव को लेकर उदासीन रहे, और कम संख्या में वोट डालने गए। मगर हैदराबाद और आसपास के शहरों में नजारा ठीक इसके उलट दिखा है।

हैदराबाद, और आसपास के शहरों में सोमवार को चौथे चरण में मतदान हुआ। यहां मतदान के लिए 1 हफ्ते पहले से ही सैकड़ों की संख्या में अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य देशों में कार्यरत युवा यहां आए हुए हैं।

मतदान के बाद ज्यादातर लोग आज-कल में अपने-अपने कार्यरत देशों में रवानगी की तैयारी कर रहे हैं। इसकी वजह से फ्लाइट की टिकट आसमान को छू रही है।

 हैदराबाद से न्यूयार्क के लिए फ्लाइट की टिकट सात लाख तक पहुंच गई है। जबकि आम दिनों में फ्लाइट टिकट एक लाख के आसपास रहती है। फिर भी मतदान कर युवा काफी खुश नजर आए। छत्तीसगढ़  के शहरी लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए।

कमल की जगह केला !!

छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को अन्य राज्यों में प्रचार के लिए भेजा गया है। इन्हीं में से सरकार के मंत्री रामविचार नेताम को झारखंड के गिरिडीह लोकसभा का प्रभार दिया गया है।

नेताम के साथ यहां के कई और नेताओं की ड्यूटी लगाई गई है। गिरिडीह लोकसभा सीट से भाजपा नहीं बल्कि सहयोगी दल ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट यूनियन के प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं।

चौधरी मौजूदा सांसद भी हैं। उनका चुनाव चिन्ह केला है। अब छत्तीसगढ़ के नेताओं को कमल से परे केला का प्रचार करना पड़ रहा है। पार्टी का आदेश है, इसलिए वो इसका पालन भी कर रहे हैं।

पंच बनना भारी पड़ा

सरगुजा संभाग के एक भाजपा विधायक ने एक कारोबारी झगड़ा निपटाने के चक्कर में आफत मोल ले ली। हुआ यूं कि विधायक ने पिछले दिनों अपने समाज के दो कारोबारियों के बीच सुलह सफाई के बीच घर पर बैठक रखी। विधायक और कारोबारी सभी वैश्य समाज से आते हैं।

विधायक ने समझाइश दी कि आपसी विवाद से माहौल खराब हो रहा है। लेकिन कारोबारी नहीं माने, और विवाद बढ़ गया। और विधायक की मौजूदगी में जमकर हाथापाई हुई। मामला पुलिस तक पहुंच गया था कि विधायक ने हस्तक्षेप कर मामले को रफा दफा कराया। हाल यह हुआ कि समाज के चौधरी बनने के चक्कर में विधायक महोदय के खुद के घर का माहौल खराब हो गया।

हाथी मूवमेंट के लिए पहला अंडरपास

एलिफेंट कॉरिडोर के प्रस्तावित कार्य छत्तीसगढ़ में बहुत धीमे चल रहे हैं पर उनके स्वच्छ विचरण के लिए एक कोशिश पहली बार की जा रही है। अंबिकापुर से झारखंड को जोडऩे के लिए नेशनल 343 का काम इन दिनों जारी है। यह सडक़ जिस क्षेत्र से गुजरनी है वह हाथियों के विचरण वाला है। वन मंत्रालय से इसलिए सडक़ की मंजूरी नहीं मिल रही थी और काम रुका हुआ था। अब इस सडक़ के कुछ हिस्सों को ऊपर उठाकर बनाने का निर्णय लिया गया है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और देश के अन्य राज्यों में अभयारण्यों से गुजरने वाली नेशनल हाईवे पर यह कार्य किया गया है, पर छत्तीसगढ़ में यह जंगल से गुजरने वाली पहली अंडरपास सडक़ होगी। इससे हाथियों के हताहत होने की संख्या तो कम होने की संभावना तो है, लेकिन उन पर दूसरे खतरे मौजूद ही हैं। हाथी प्रभावित क्षेत्रों से गुजरने वाली बिजली लाइन को सुरक्षित ऊंचाई तक उठाने की योजना पर इसलिये काम रुका हुआ है कि इसका खर्च कौन उठाए- वन विभाग या बिजली विभाग। सरगुजा-रायगढ़ जिले में हाथी मानव संघर्ष इतना बढ़ चुका है कि हाथियों को मार डालने की घटनाएं सामने आ रही है। हाथियों के हमले से भी आदिवासी मारे जा रहे हैं। 

मुठभेड़ पर फिर गंभीर सवाल...

बीजापुर जिले के पीडिया में मारे गए कथित नक्सलियों की पुलिस ने पहचान बताते हुए उन पर घोषित ईनाम की भी जानकारी दे दी है। उनसे हथियार बरामद होने की बात भी कही गई है। दूसरी तरफ मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों ने जिला मुख्यालय में पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। उनका कहना है कि ये साधारण ग्रामीण हैं जो तेंदूपत्ता तोडऩे के लिए जंगल की ओर गए थे। एक फड़ मुंशी का तो सनसनीखेज दावा है कि पहले इन्हें जंगल की ओर भागने के लिए कहा गया, फिर गोली चला दी गई। बस्तर में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और बेला भाटिया पहुंची हुई है। सोरी का बयान आया है कि पुलिस अफसरों ने दुधमुंहे बच्चों को लेकर पहुंची महिलाओं के लिए भोजन का इंतजाम करने से इसलिये मना कर दिया क्योंकि वे नक्सली हैं। पुलिस ने कहा कि ये नक्सली लोग हैं, इनके भोजन की व्यवस्था वे नहीं करेंगे। जो लोग मारे गए हैं, उनमें से अधिकांश ने गुरिल्ला की वर्दी पहनी नहीं है। वे स्थानीय ग्रामीणों के कपड़ों में थे। पुलिस के पास इसका भी जवाब है कि नक्सलियों ने अपनी वर्दी पुलिस से बचने के लिए उतार दिये थे और ग्रामीणों के कपड़े पहन लिए थे।

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद 100 से अधिक नक्सली अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं। हाल में एक साथ 27 कथित माओवादियों को जान गंवानी पड़ी। सुरक्षा बलों की पीठ सरकार ने थपथपाई। इसके बाद 12 लोगों को एक साथ मार गिराया गया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई ऐसे मुठभेड़ों पर सवाल उठे थे। पूरे बस्तर में जगह-जगह आंदोलन किये गए। हमलों की विश्वसनीयता पर एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है। सरकार बदली है पर सरकार के प्रति ग्रामीणों और ग्रामीणों के बीच सुरक्षा बलों की विश्वास की कमी दूर नहीं हो रही है। 

अब दिखाई नहीं देते

इस पीढ़ी में बहुत कम लोग होंगे, जो इस मोटे कपड़े की थैली से परिचित होंगे,  इसे छागल कहा जाता है ये नाम सुनकर कई लोग चौंक पड़ेंगे कि पानी कपड़े की थैली में !! ये उन दिनों की बात है जब न बाजार में बोतल बंद पानी मिलता था ना पानी का व्यापार होता था।

गर्मी में पानी पिलाना धर्म और खुद का पानी घर से लेकर निकलना अच्छा कर्म माना जाता था, गर्मी के दिनों मे उपयोग आने वाली ये छागल एक  मोटे कपड़े (कैनवास) का थैला होता था,जिसका सिरा एक ओर बोतल के मुंह जैसा होता था, और वह एक लकड़ी के गुट्टे से बंद होता था।

 छागल में पानी भरकर लोग, यात्रा पर जब जाते थे, कई लोग ट्रेन के बाहर खिडक़ी पर उसे टांग देते थे, बाहर की हवा उस कपड़े  के  थैले के छिद्र से अंदर जाकर पानी को ठंडा करती थी। उसकी प्राकृतिक ठंडक बेमिसाल थी ।

गर्मी में लोको पायलट, बस-ट्रक, जीप ड्राइवर और यात्रियों  की खिडक़ी के बाहर छागल लटकी रहती थी। किसान बैलगाड़ी,  हाथ मेला श्रमिक के खल्ले पर छागल  लटकाए मंडी की तरफ जाते देखे गए। ये हमारे पूर्वज की पानी व्यवस्था थी।

अंडर करंट

पिछले सप्ताह हुए वोटिंग के बाद प्रत्याशी, समर्थक कार्यकर्ताओं, समाज प्रमुख, रणनीतिकार सब संभावित नतीजों को लेकर गणित बाजी में लगे हुए हैं। सभी बूथों से पोलिंग एजेंट की शीट आने के बाद सबके अपने अपने दावे हैं। दुर्ग के मामले में कुर्मी समाज और साहू समाज अपने अपने अंडर करंट बता रहे हैं। साहू समाज कह रहा है कि स्व.ताराचंद साहू, ताम्रध्वज साहू के इतर पहली बार किसी नए को अवसर मिला है तो समाज ने झारा-झारा इस्तेमाल किया है। ताराचंद 4 बार, ताम्रध्वज एक बार सांसद रहे। शायद इसी डर से ताम्रध्वज को बाहर जाना पड़ा। समाज ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विरोधी गुस्से को डायल्यूट कर दिया है । इसी गुस्से की वजह से ही दुर्ग की पाटन छोड़ सभी हारना पड़ा। उधर कुर्मी समाज पहले ब्राह्मण और फिर एक ही परिवार को समर्थन से निकलना चाहा है।  यदि ऐसा है तो मोदी लहर में नतीजे एक पेटी का अंतर रहे तो कोई बड़ी बात नहीं। इसमें अंडर करंट का असर कितना हुआ यह देखने वाली बात होगी। ([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news