राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कई के खिलाफ शिकायत
14-May-2024 2:15 PM
 राजपथ-जनपथ : कई के खिलाफ शिकायत

कई के खिलाफ शिकायत

विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई प्रमुख नेताओं के खिलाफ भीतरघात की शिकायत हुई थी। मगर सरकार बनने के बाद इन शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया। जिन नेताओं के खिलाफ शिकायतें हुई थी, उनमें से कुछ को तो पार्टी ने अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में प्रचार  की जवाबदारी दी थी। अब लोकसभा चुनाव में भी कई के खिलाफ अपेक्षाकृत सक्रिय नहीं रहने की शिकायत आई है।

चर्चा है कि पार्टी संगठन को चुनाव नतीजों का इंतजार है। यदि संबंधित क्षेत्रों में नतीजे अनुकूल आए, तो कोई बात नहीं, लेकिन खिलाफ गए, तो फिर स्थानीय नेताओं की जिम्मेदारी तय होगी। फिलहाल पार्टी संगठन के दो प्रमुख नेता पवन साय झारखंड, और अजय जामवाल मध्यप्रदेश में संगठन का काम देख रहे हैं। कुल मिलाकर चुनाव नतीजों पर ही सब कुछ निर्भर करेगा।

गिरोहबाज अधिकारी फिर सक्रिय

कांग्रेस सरकार के अंतिम महीनों में सामने आए 2800 से अधिक स्कूल शिक्षकों के प्रमोशन पोस्टिंग घोटाले के मुख्य किरदार रहे कई जिला शिक्षाधिकारी नई सरकार में सम्मानित अधिकारी हो गए हैं। हाईकोर्ट ने भी इस पर इन अधिकारियों को दोषी ठहराया था।  तब विपक्ष में रहे भाजपा के विधायक, नेता पानी पी पी कर पूर्व शिक्षा मंत्री,मुख्यमंत्री को कोसते रहे। तब के एक मंत्री को कुर्सी तक गंवानी पड़ी। और छह माह के लिए बने शिक्षा मंत्री चार जेडी, इतने ही डीईओ तक को निलंबित किया।

उनका कहना था कि ये लोग एक गिरोह की तरह शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र को बदनाम करते रहे। उनके रुख को देखते हुए कई डीईओ, आरोपी मंत्री के ओएसडी तक फरार हो गए थे। सरकार जाने के बाद महीनों तक दफ्तर नहीं आए। उम्मीद थी कि नई सरकार और कड़ी कार्रवाई करेगी। नए शिक्षा मंत्री पूरी तरह सफाई करेंगे। मगर जो सोचा जाता है वो भला कभी सच नहीं होता, पूरा नहीं होता। इन अफसरों ने छोटे भाइयों को पकड़ा और पूरी नाराजगी को धुएं में उड़ाने में सफल हो गए। इसमें ग्रीन, ब्लू, पिंक सभी रंग में रंगे गांधीजी की भी भूमिका रही। और अब ये सभी विभाग के सम्मानित अधिकारी होकर नए सिरे से घोटाला करने सक्रिय हो गए हैं। इतना ही नहीं ये सभी प्रशासन अकादमी में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए प्रशिक्षण और उपाय तलाश रहे हैं।

खाक हुई कारों से सबक

पिछले एक सप्ताह में छत्तीसगढ़ में कार में आग लगने की दो घटनाएं हुई हैं। कोरबा और रायगढ़ के बीच हुए हादसे में कार चालक गाड़ी के भीतर फंसा रह गया, जबकि बिलासपुर से कोरबा के रास्ते में हुई दुर्घटना में पति-पत्नी की जान समय रहते गाड़ी से बाहर निकल जाने के कारण बच गई। दोनों ही दुर्घटनाओं के बाद लोगों की जिज्ञासा थी कि क्या ये इलेक्ट्रिक वाहन थे? ऐसा नहीं था। ये पेट्रोल या डीजल से ही चलने वाली गाडिय़ां थी। छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों में इस समय तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है। गाडिय़ों को नेशनल हाईवे की सपाट सडक़ों पर पूरी रफ्तार से दौड़ाया जा रहा है। भीतर चल रहे एसी के चलते अंदाजा नहीं लगता कि गाड़ी कितनी हीट हो चुकी है। दोनों ही दुर्घटनाओं में शार्ट सर्किट की आशंका जताई गई है। शार्ट सर्किट तब होता है जब भीतर फैले तार पिघलकर आपस में जुड़ जाते हैं। गाड़ी के गर्म होने के पीछे लगातार ड्राइव और कूलेंट की मात्रा पर ध्यान नहीं देना भी है। इन दो दुर्घटनाओं ने गर्मी के दिनों में हिफाजत और सावधानी के साथ चलने के लिए सतर्क कर दिया है।

प्रत्याशी को नए घर की तलाश

बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र यादव के खिलाफ भाजपा ने बाहरी होने का आरोप लगाया। यही आरोप कांग्रेस ने कोरबा की प्रत्याशी सरोज पांडेय पर लगाया था। अब यह पता चल रहा है कि देवेंद्र यादव बिलासपुर में नए घर की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने कुछ कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दे दी है कि एक ठीकठाक घर ढूंढ लें। इसके बाद से लोग पूछ रहे हैं कि क्या अपनी जीत को लेकर देवेंद्र यादव इतने अधिक आशान्वित हैं? उनके समर्थकों का कहना है कि ऐसी बात नहीं है। यदि सांसद बने तो उन्हें तो सरकारी आवास वैसे भी मिल जाएगा। वे तो यहां स्थायी निवास दोनों ही परिस्थितियों में बनाना चाहते हैं। वजह यह बताई जा रही है कि बिलासपुर लोकसभा में  उनके समाज के लोग बहुत हैं। कांग्रेस में ठीक ठाक ओबीसी नेता नहीं जो भाजपा को टक्कर दे सके। यदि इस बार मौका नहीं मिला तो वे सन् 2029 की तैयारी शुरू कर देंगे। तब तक बाहरी उम्मीदवार का इल्जाम भी धुल जाएगा। इस चुनाव में जीत हार को लेकर कांग्रेसी अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कह पा रहे हैं, क्योंकि 2014 और 2019 के चुनावों में डेढ़ पौने दो लाख के अंतर से कांग्रेस की हार हुई थी। पर वे यह जरूर कहते हैं कि तीन सप्ताह का समय मिलने के बावजूद यादव ने चुनाव अच्छी तरह से लड़ा। इतने अच्छे से शायद कोई स्थानीय उम्मीदवार लड़ नहीं पाता।

बाल विवाह रोकने के लिए

अक्षय तृतीया के आसपास छत्तीसगढ़ में बाल विवाह के कई मामले सामने आते हैं। लगातार चलाये जाने वाले जागरूकता अभियान और नई पीढ़ी में खुद से समझदारी बढऩे के कारण ऐसे मामले कम जरूर हो रहे हैं, पर यह प्रथा पूरी तरह बंद नहीं हुई है। ऐसे में कोंडागांव जिले में लोगों के बीच बाल विवाह के विरुद्ध संदेश पहुंचाने के लिए अनूठा अभियान चलाया जा रहा है। स्टेशनरी दुकानों में कापी किताब से साथ दिए जाने वाले कैरी बैग में बाल विवाह नहीं करने की जागरूकता के संदेश छाप दिए गए हैं। कॉपी किताब के खरीदार या तो स्कूली बच्चे होते हैं या फिर उनके अभिभावक। इसलिये यह संदेश बैग के जरिये सीधे उन तक पहुंच रहा है। ([email protected])

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