राजपथ - जनपथ
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मंडल तक, कमंडल उठाया
विधानसभा चुनाव में मेहनत कर पार्टी की सरकार बनाई। और उसके बाद छ: महीने कमर कसकर लोकसभा चुनाव में जुटे। भाजपा ने इन्हें देव तुल्य कार्यकर्ता कहा। इन्हें इन छ महीनों में उम्मीद थी कि छोटे छोटे काम होंगे। ठेके मिलेंगे। लेकिन नहीं। निगम मंडल में नियुक्तियां भी जनवरी तक टल ही गईं हैं। अब कार्यकर्ता संगठन प्रमुखों का इंतजार कर रहे हैं। 4 जून के बाद कार्यकर्ता भाई साहबों के सामने पहले अपनी बात रखेंगे। मंत्री, विधायकों को अवसर देंगे। उसके बाद भी सुधार नहीं आया तो निगम चुनाव में दिखा देंगे। यह स्थिति प्रदेश भर में है।
रायपुर जिले के कार्यकर्ता तो भरे पड़े हैं गुस्से से। खासकर आरंग, अभनपुर, राजिम, रायपुर ग्रामीण, बलौदाबाजार के। पांच साल जिन अवैध कामों के विरोध में मंडल स्तर तक कमंडल उठाया, लाठी खाया, वो काम विधायकों के पुराने दलीय समर्थक आज भी कर रहे हैं। क्योंकि विधायकों के साथ ये सभी दलबदल कर आए हैं। वे उन्हें नाराज नहीं करना चाहते और भले ही नई पार्टी के कार्यकर्ता नाराज रहें।
ऐसा पहला थानेदार
पुलिस को लेकर लोगों का अपना अपना नजरिए जैसे प्रभु मूरत देखी तिन जैसी। पुलिस ने मदद की तो अच्छी, न की तो उलाहना के ढेरों शब्द। अमूमन आम आदमी पुलिस के नाम पर धूमिल छवि रखता है। चाहे वह सिपाही हो, थानेदार हो या और भी बड़े-बड़े। शहर में एक ऐसे भी थानेदार हैं जो अपराध घटित होने के बाद पीडि़त पक्ष को रिपोर्ट दर्ज कराने अनुनय विनय करते हैं। क्योंकि प्रार्थी क्या होगा, कुछ नहीं मिलेगा का पूर्वानुमान लगा रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते। मगर पुलिस को तो अपना रोजनामचा भरना है। एक महीने पहले हुई चोरी को लेकर एक पीडि़त कि रूख कुछ वैसा ही है। 19 अप्रैल को चोरी के बाद से थानेदार 21 अप्रैल से लगातार कॉल कर प्रार्थी को रिपोर्ट दर्ज करवाने बुला रहे हैं। थाने से हवलदार, विवेचक सभी परेशान। जब कॉल करो एक बात पूछता आरोपी पकड़ाया क्या? लेकिन रिपोर्ट नहीं कराता। अंतत: पुलिस कल उससे रिपोर्ट कराने में सफल रही।
इससे पहले आशियाना अपार्टमेंट में हुई चोरी में भी प्रार्थी ने काफी मिन्नतों के बाद रिपोर्ट कराया। थानेदार कहते हैं बिलासपुर में भुगत चुका हूं, इसलिए पकड़-पकडकऱ रिपोर्ट करा लेता हूं।
कौन ख़ुद को ईमानदार नहीं कहेंगे ?
ई-वे बिल पर व्यापारियों का एक तबका उबल रहा है। वैसे तो ज्यादातर राज्यों में ई-वे बिल की व्यवस्था है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक जून से प्रभावशील होगा। इसमें 50 हजार से अधिक का माल भेजने पर व्यापारियों को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। व्यापारी संगठन यह कहकर विरोध कर रहे हैं कि इसमें छोटे व्यापारियों को नुकसान होगा।
सरकार से जुड़े लोगों का मानना है कि बोगस बिलिंग बंद होगी, और व्यापार में पारदर्शिता आएगी। चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी ई-वे बिल के मसले पर वित्तमंत्री ओ.पी.चौधरी से मिले। चौधरी ने उन्हें साफ-साफ बता दिया कि तकरीबन सभी राज्यों में यह व्यवस्था है, इसलिए छत्तीसगढ़ में इसे रोक पाना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कह दिया यह सब ईमानदार व्यापारियों के लिए हो रहा है। इस पर पारवानी के लिए ज्यादा कुछ कहने के लिए रह नहीं गया था, क्योंकि हर कोई ईमानदार व्यवस्था चाहता है।
बिजली सेवा खराब, पर दाम पूरा
बिजली उत्पादन में सरप्लस कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में इन दिनों आपूर्ति बिगड़ गई है। राजधानी होने के कारण रायपुर और नया रायपुर के कुछ वीआईपी इलाकों में जरूर निर्बाध बिजली आपूर्ति हो रही है, पर बाकी राज्य अघोषित कटौती, बार-बार गुल हो जाने, ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की समस्या से जूझ रहे हैं। क्या यह वाजिब है कि जहां निर्बाध और फुल वोल्टेज से बिजली दी जा रही हो उस पर भी वही बिजली दर लागू हो जो खराब आपूर्ति के कारण परेशान हैं? छत्तीसगढ़ के उद्योगपतियों ने यह सवाल विद्युत नियामक आयोग के सामने रखा है। हाल ही में उद्योगपतियों के संगठन ने आयोग को भेजे गए पत्र में कहा है कि बाजार में मिलने वाले किसी भी सामान की कीमत उसकी क्वालिटी के आधार पर होती है।
जब पूरी क्षमता से निर्बाध बिजली आपूर्ति हो तब तो उनसे 100 प्रतिशत दर लागू किया जाए लेकिन जब बिजली रुक-रुक कर आ रही हो, घंटों बंद रहती हो, फेज़ उड़ जाता हो, तो बिल में रियायत मिले। बिजली विभाग के पास रिकॉर्ड तो होता है कि उसने कब-कब उपभोक्ताओं को खराब सेवा दी। आखिर वह एक कंपनी है, व्यवसाय कर रही है। गुणवत्ता के अनुसार भुगतान करना उपभोक्ता का हक है। बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाने की शुरुआत कर दी है।
अब उसे बिल वसूलने के लिए भी संसाधन नहीं लगाना पड़ेगा। लोग एडवांस रिचार्ज कराएंगे, फिर बिजली का इस्तेमाल करेंगे। अप्रैल माह में छत्तीसगढ़ की पॉवर कंपनी को 84.45 प्रतिशत पॉवर लोड फैक्टर (पीएलएफ) हासिल हुआ था, जो पूरे देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन था।
दूसरी ओर, यह सवाल भी है कि गुजरात जैसे राज्यों में लाइन लॉस 3 फीसदी है, फिर छत्तीसगढ़ में यह 15 फीसदी क्यों है?
बहरहाल, उद्योगपतियों के सुझाव पर निर्णय लेना नियामक आयोग का काम है। वह यह भी कह सकता है कि 400 यूनिट तक बिजली में आधी रकम की छूट इन्हीं सब कमियों की वजह से तो दी जा रही है।
नगरीय निकायों में फिर उठापटक
लोकसभा चुनाव के परिणाम के दो दिन बाद आचार संहिता हट जाएगी। इसे देखते हुए उन निकायों में भाजपा सक्रिय हो गई है, जहां पर अब भी कांग्रेस के अध्यक्ष उपाध्यक्ष नहीं हटाए जा सके हैं। डोंगरगढ़ नगर पालिका में कांग्रेस का कब्जा है। चुनाव के समय कांग्रेस भाजपा दोनो को बराबर मत मिले थे लेकिन टॉस से यह सीट कांग्रेस के हाथ आ गई। उपाध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा हो गया। भाजपा पार्षदों ने अभी से अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दे दिया है ताकि लोकसभा की मतगणना खत्म होते ही तुरंत सम्मेलन बुलाया जा सके। यहां भाजपा के 14 और कांग्रेस के 10 पार्षद चुने गए थे। एक कांग्रेस पार्षद की मौत के बाद अब संख्या 9 रह गई है। मौजूदा अध्यक्ष को हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए। इसका भी इंतजाम हो गया है।
दो निर्दलीय पार्षदों ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सीएम की सभा में भाजपा की सदस्यता ले ली थी।अब भाजपा की ताकत बढक़र 16 हो गई है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाकी कई नगरीय निकायों की तरह यहां भी कांग्रेस के पार्षदों को भाजपा तोडऩे में सफल रहेगी। फिलहाल तो कांग्रेस एकजुट दिख रही है। भाजपा ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बुलाने का आवेदन दिया है तो कांग्रेस ने भाजपा पार्षदों को टटोलने के लिए उपाध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव दे दिया है।
वैसे नगर निकायों का कार्यकाल इसी साल के आखिरी में खत्म होने वाला है।
यदि कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्षों को हटाया जाता है तब भी नए अध्यक्ष को काम करने के लिए चार-पांच माह ही मौका मिलेगा।
गर्मी से बचने फाटक पर टेंट...
देश के अधिकांश हिस्से लू और भीषण गर्मी की चपेट में हैं। काम पर घरों से निकलने वाले बाइक सवार झुलस रहे हैं। कई शहरों में दोपहर के वक्त चौराहे के सिग्नल बंद कर दिये जा रहे हैं क्योंकि ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा के लिए रुकना भी कड़ा इम्तेहान है। मगर, जब रेलवे फाटक बंद हो तो क्या किया जाए? राजस्थान के बीकानेर में, जहां आज तापमान 46 डिग्री सेल्सियस है, नगर-निगम प्रशासन ने एक नया प्रयास किया है। उसने फाटक के दोनों ओर टेंट लगवा दिए हैं। यहां बाइक सवार फाटक खुलने तक इंतजार करते हैं, फिर आगे बढ़ रहे हैं। ([email protected])