राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कथावाचक का खुद का हाल
02-Jun-2024 2:11 PM
राजपथ-जनपथ : कथावाचक का खुद का हाल

कथावाचक का खुद का हाल

कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने हिन्दुओं को चार बच्चे पैदा करने अजीबोगरीब सलाह दे दी। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि दो बच्चे खुद के लिए, और एक सनातन धर्म की ऊर्जा बढ़ाने के लिए रखिए। एक बच्चा देश की रक्षा के लिए होना चाहिए। पं. मिश्रा के बयान की सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।

नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने लिखा, महाराज जी के तो केवल दो बच्चे हैं। एक लडक़ा, एक लडक़ी। पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा के करीबी डॉ. सुरेश शुक्ला ने लिखा कि महाराजजी शिव भक्त हैं। अपने आराध्य देव भगवान शिव से प्रेरणा लें। जिनके दो ही पुत्र भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेशजी हैं।

उन्होंने आगे लिखा कि सीएम योगी आदित्यनाथ भी बोल रहे हैं कि दो बच्चों को सरकारी योजना का लाभ मिलेगा। तीसरे, चौथे, और पांचवें को नहीं। तो फिर धर्म प्रचारकों को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।

एग्जिट पोल का अपना रिकॉर्ड

एग्जिट पोल के नतीजे आने से भाजपा में खुशी का माहौल है। सट्टा बाजार ने भाजपा को वर्ष-2019 से ज्यादा मिलने का अनुमान लगाया है। फलौदी सट्टा बाजार के मुताबिक भाजपा को अकेले 312 सीटें मिलेंगी।  एग्जिट पोल के नतीजे आने से पहले सट्टा बाजार भाजपा को 306 सीट पर मिलने का अनुमान लगा रहा था।

कांग्रेस का भी प्रदर्शन सुधरा है। सट्टा बाजार ने कांग्रेस को अकेले के दम पर 62 सीट मिलने का अनुमान लगाया है। जबकि 2019 में कांग्रेस को 52 सीटें मिली थी। एग्जिट पोल में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अधिकतम 1 सीट मिलने का अनुमान लगा रहे हैं। इस पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल का बयान चर्चा में हैं। उन्होंने कहा कि सारा खेल टीआरपी का है। चार तारीख को दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। क्योंकि बहुत सारे सर्वे हम लोगों ने देखे हैं। जो बताते थे कि जीत रहे हैं तो पता चला कि रिजल्ट निगेटिव आया है, और जब कहते हैं निगेटिव है, तो रिजल्ट पॉजिटिव आया।

पूर्व सीएम का कथन एकदम सही है। 6 महीना पहले विधानसभा चुनाव में तकरीबन सभी एग्जिट पोल में भूपेश सरकार की वापसी की बात कही थी, लेकिन नतीजे ठीक इसके उलट रहे। उस समय एग्जिट पोल के नतीजे देखकर भूपेश बघेल गदगद थे। अब पूर्व सीएम एग्जिट पोल पर संदेह जाहिर कर रहे हैं, तो वो कहीं से गलत नहीं है।

एग्जिट पोल के बाद की चर्चा

एग्जिट पोल के आंकड़ों ने भाजपा को खुश कर दिया है। ज्यादातर रिपोर्ट बता रही है कि सभी 11 सीटों पर वह जीत रही है। किसी-किसी ने कांग्रेस को एक दो सीट दे दी है। कांग्रेस दावा कर रही थी कि वह भाजपा से अधिक सीटें जीतेगी, उसने एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं होने की बात कही है। वैसे तो मतदान के हर चरण के दौरान चौक-चौराहों और बैठकी में चुनाव नतीजों पर तरह-तरह के दावे और अनुमान लगाए जा रहे थे लेकिन एग्जिट पोल के बाद चर्चा का विषय बदल गया है। लोग मोटे तौर पर मान चुके हैं कि मोदी सरकार फिर बनेगी, पर क्या 400 के करीब पहुंचेगी? कांग्रेस क्या सौ का आंकड़ा छू पाएगी? क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल पाएगी? भाजपा को सबसे अधिक लीड किस सीट से मिलने जा रही है? कांग्रेस ने तगड़ी टक्कर किस सीट पर दी...? बहस खत्म इस बात पर होती है कि इतने दिन इंतजार कर लिया, दो दिन और कर लो।

मंत्रियों का अपना स्टाफ

महानदी भवन में पदस्थ ओएसडी मंत्रालयीन  कामकाज (बिजनेस रूल) में बड़ी बाधा,समस्या बनकर उभरे हैं। फील्ड में काम करने वाले इंजीनियर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, प्रोफेसर मंत्रियों से निकटता का फायदा उठा कर ओएसडी नियुक्त हो जाते हैं। राजधानी में बंगला,नौकर, कार की सरकारी सुविधा के साथ बड़े बड़े अफसरों से मेल मुलाकात संबंध बनाने का अवसर पुरोनी में अलग। मंत्री एक काम बताए तो उसकी आड़ में अपने दो काम और हो जाते हैं।

मंत्रालयीन सेक्शन स्टाफ, इनकी वर्किंग से परेशान है। मंत्रालय और फील्ड सी वर्किंग दोनों के ही अलग तरीके हैं, प्रक्रिया है। लेकिन ये लोग मंत्री के मुंह से निकली बात और हाथ से निकली फाइल के मूवमेंट को मिसाइल की गति से करने दबाव बनाते हैं। सेक्शन स्टाफ को नस्ती पढऩे ही नहीं देते। वह बिजनेस रूल के तहत है या नहीं यह भी देखने नहीं देते। इनके हाथ की हर फाइल, मंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली होती है। पेमेंट के बिलों की बात तो छोड़ ही दें।

 इन्हें कोई एसओ,एएसओ, अवर सचिव, उप सचिव नियम बता दे तो, नियम तुम लोग समझो का जवाब। और जब यही फाइल, आईएएस सचिव तक जाती है तो लतियाये ये ही जाते हैं। दो तरफा परेशानी से त्रस्त है। मंत्रालय कैडर। कल जीएडी ने हाऊ टू डील आफिसर्स एंड पब्लिक को लेकर निज सचिवों को ट्रेनिंग दी। उन्हें, इन ओएसडी के लिए भी  गवर्नमेंट बिजनेस रूल की ट्रेनिंग देनी चाहिए।

विचरण करते मिले वाइपर

प्रकृति में हजारों किस्म के जीव-जंतु हैं जो हमारी जैविक विविधता को समृद्ध बनाने में मदद करते हैं। सांपों की दो प्रजातियों को मैनपाट से एक सोशल मीडिया यूजर ने अपने कैमरे में कैद की है। गूगल से मिली जानकारी के मुताबिक ये वाइपर या पिट वाइपर हैं। सांपों का यह परिवार अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य द्वीपों को छोडक़र दुनिया के अधिकांश हिस्सों में पाया जाता है। ये विषैले होते हैं और उनके पास लंबे दात होते हैं, जो इनके जहर को गहराई तक पहुंचा देते हैं।

ट्रेनों में भीड़, बसें खाली वापस

ट्रेनों में टिकट कंफर्म नहीं होती, बस में किराया ज्यादा लगता है पर तुरंत सीट भी मिल जाती है। इसलिये बसों की जगह ट्रेन कभी ले सकती। बात जब बस्तर की हो तो यहां तो प्रमुख शहरों के लिए यात्री ट्रेनों की सुविधा भी नहीं है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के बस्तर और ओडिशा के ट्रांसपोर्टरों के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पिछले 10-12 दिनों से छत्तीसगढ़ से ओडिशा जाने वाली बसों को यात्रियों को तो उतारने दिया जा रहा है पर बस खाली ही वापस लौटाई जा रही है। वहां की बस यूनियन ओडिशा से यात्रियों को ले जाने नहीं दे रहा। बस्तर के बस मालिकों के संगठन ने इस विवाद की वजह बताई है कि छत्तीसगढ़ की बसों का किराया कम है, सुविधाएं अधिक। ओडिशा की बसों में लोग इसीलिये बैठना नहीं चाहते। परिवहन विभाग के अफसरों से शिकायत हो चुकी है पर कोई समाधान नहीं निकला है। बस्तर के बस मालिकों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार पहल करके कोई रास्ता नहीं निकालती है तो 11 जून से ओडिशा की बसों को हम भी खाली लौटाएंगे, सवारी नहीं भरने देंगे। यदि ऐसी नौबत आती है तो अभी जो यात्री किसी तरह ओडिशा की बसों में आना-जाना कर रहे हैं वह भी बंद हो जाएगा। इस तरह का विवाद करीब 23 साल बाद देखने को मिला है। जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तो तत्कालीन अजीत जोगी सरकार ने राज्य परिवहन निगम को भंग कर दिया और निजी ऑपरेटरों को बस चलाने की अनुमति दी। इन्होंने प्रतियोगिता में कम किराया रखा और सुविधाएं दीं। मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के लिए वहां के राज्य परिवहन निगम की जर्जर बसें ही चल रही थीं। विवाद करीब 6 माह तक चला तब जाकर मध्यप्रदेश ने निजी बसों को अपने यहां घुसने की परमिट दी थी।

बस्तर के बस यातायात मालिक संघ ने 11 जून तक का समय दिया है। यानि अभी दोनों राज्यों के बीच बातचीत कर सुलह की पूरी गुंजाइश है। ([email protected])

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