राजपथ - जनपथ
तबादले और कर्मचारी नेता
तबादलों को लेकर सरकार इस बार कोई रियायत बरतने के मूड में नहीं नजर आ रही है। उसके इस मूड को कर्मचारी संगठन के नेता भांप चुके हैं । सरकार ने मंत्रालय में किए तबादलों से इसका कड़ा संदेश दिया है। मंत्रालय के कई मठाधीशों की कुर्सी दशक, डेढ़ दशक बाद बदली गई है। सबसे अच्छी बात है यह है कि तबादलों की पहल उनके अपने ही नेता ने की थी। वे चाहते हैं कि कोई भी कुर्सी किसी का विशेषाधिकार न रहे। सबको को काम करने का अवसर मिले। बस उसी आधार पर सीएम के सचिवों ने आचार संहिता के दिनों में एक एक की पड़ताल कर सूची बनाई और जारी करना शुरू कर दिया है।
आने वाले दिनों में कुछ और तबादला सूचियाँ आएंगी। इसके बाद मैदानी अमले की बारी है। वहां भी सीएम सचिवालय एक-एक की स्क्रूटनी कर रहा है। इसे देखते हुए कर्मचारियों ने तबादलों से बचने जुगाड़ शुरू कर दिया। कर्मचारी नेता, संगठन के अपने पदों पर मिलने वाली रियायत के पन्ने, पुराने आदेश की तलाश में जुट गए हैं। ताकि उस बिना पर बच जाए लेकिन इस बार शायद न बचे।
सबको मालूम है पार्षद की हकीकत...
नगरीय निकाय यानी पार्षद चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इसके साथ ही दावेदार शुरू हो गए हैं। दलीय, निर्दलीय दोनों। दलीय से ज्यादा निर्दलीय सक्रिय हो रहे हैं। वे सभी वर्तमान पार्षद पर निष्क्रिय होने, वार्ड में न विकास होने न सडक़ नाली पानी, सफाई होने जैसे मुद्दों को लेकर बयानबाजी करने लगे हैं। साथ ही त्यौहारी बधाई के प्लैक्स,पोस्टर, होर्डिंग भी तनने लगे हैं। यह सक्रियता और तेज होगी। कलेक्टोरेट, थाने, निगम के जोन और मुख्यालय में धरने-प्रदर्शन भी बढ़ेंगे। स्वयं को सच्चा जनसेवक बताने के लिए।
दरअसल होता ऐसा नहीं है। सभी की नजर में पार्षद के रूप में वेतन, लाखों की पार्षद निधि, ठेके पर कमीशन या भाई साले को ठेकेदार बनाने, नल कनेक्शन, नक्शा पास कराने के नाम पर होने वाली आय पर रहती है। सबसे बड़ी आय, दलों को बहुमत न मिलने पर जो महापौर के दावेदार से समर्थन के एक वोट के बदले मिलने वाला खर्च ।और एमआईसी पद का मोलभाव। सबसे बड़ी बात सदा के लिए माली हालत सुधर जाती है। इसलिए आगे देखते जाइए हर मोहल्ले से नारे गुंजेंगे—हमारा पार्षद कैसा हो ....।।
एमपी में एयर टैक्सी, और यहां?
छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों को आपस में और महानगरों से जोडऩे के लिए हवाई सेवा का विस्तार कछुआ चाल से हो रहा है। जगदलपुर और बिलासपुर ऐसे हवाई अड्डे हैं, जो कई दशकों से उड़ानों के लिए तैयार थे, लेकिन कई साल से गिनी-चुनी उड़ानें ही हैं। मार्च महीने में जारी शेड्यूल के बाद इन दोनों हवाई अड्डों से चार-पांच उड़ानें शुरू हुई हैं, जो अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। जगदलपुर से रायपुर, हैदराबाद, जबलपुर और दिल्ली से जोड़ा गया है। बिलासपुर जगदलपुर से सीधे जुड़ गया है। सप्ताह मे एक दिन प्रस्थान और दो दिन आगमन की सेवा दी जा रही है। इसके अलावा दिल्ली, जबलपुर, कोलकाता और प्रयागराज के लिए उड़ानें मिली हैं। इन दोनों ही हवाईअड्डों के पास इतनी जमीन है कि बड़े विमानों की सेवाएं भी शुरू हो सकती हैं। कुछ तकनीकी संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाकर। पर नाइट लैंडिंग जैसी सेवाएं भी नहीं मिल पाई हैं। बिलासपुर में सुविधाओं का मौजूदा विस्तार तो हाईकोर्ट की लगातार दखल और जन आंदोलनों के कारण ही हो पाया है। दूसरी ओर कोरबा और अंबिकापुर से भी लंबे समय से उड़ानें शुरू करने की मांग हो रही है। अंबिकापुर में तो छह महीने पहले लैंडिंग और टेक ऑफ का ट्रायल भी हो चुका है। अभी खबर आई है कि यहां के लिए तैयारी शुरू की जा रही है।
दूसरी ओर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में आज एक साथ 8 शहरों के लिए एयर टैक्सी शुरू हो गई । भोपाल, जबलपुर, इंदौर, रीवा, सिंगरौली, उज्जैन, खजुराहो और ग्वालियर इसमें शामिल है। यह पीएमश्री पर्यटन वायुसेवा योजना के तहत है, जिसमें कुछ फ्लाइट्स का किराया तो वंदेभारत एक्सप्रेस के आसपास ही है। राज्य सरकार अपनी ओर से भी एक महीने के लिए 50 प्रतिशत रियायत टिकटों पर देने जा रही है।
छत्तीसगढ़ के एयरपोर्ट अभी उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) योजना की ही राह देख रहे हैं, दूसरी ओर मध्यप्रदेश कई कदम आगे बढ़ चुका है। बावजूद इसके कि बस्तर से लेकर सरगुजा तक पर्यटन में विस्तार की संभावना और भौगोलिक विषमता के कारण काम तेजी से होना चाहिए।
कांग्रेस प्रत्याशी का विश्वास
लोकसभा चुनाव में कांकेर सीट को कांग्रेस महज 1800 वोटों से हार गई। मतगणना के दिन शुरू के कई राउंड ऐसे थे जिसमें प्रत्याशी बीरेश ठाकुर आगे चल रहे थे। 16वें राउंड के बाद फाइट नैक टू नैक हो गई और फिर अंतिम परिणाम भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग के पक्ष में गया। बीरेश ठाकुर सन् 2019 में भी यहीं से प्रत्याशी थे। तब सिर्फ 6900 वोटों से भाजपा उम्मीदवार मोहन मंडावी से हार गए। लोग कह सकते हैं कि किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया लेकिन बीरेश मानते हैं कि इस बार गड़बड़ी से परिणाम बदला गया। वे यह बात गंभीरता से कर रहे थे। इसीलिये अब उन्होंने 4 ईवीएम मशीनों को खुलवाकर दोबारा गिनती कराने का आवेदन दिया है। और इसके लिए 1.60 लाख रुपये प्लस जीएसटी भी जमा की है। उनका यह भी कहना है कि आरओ के मोबाइल फोन की जांच कराई जाए कि गणना के अंतिम दौर में उनके पास किस-किस के फोन आए। ठाकुर का कहना है कि उन्होंने ईवीएम मशीनों के नंबर बदल जाने की शिकायत की थी, जिस पर सुनवाई नहीं हुई। अब ईवीएम के खुलने पर ही पता चलेगा कि क्या वाकई परिणाम में कोई हेराफेरी हुई। जो भी हो, भोजराज नाग के सितारे तो मजबूत हैं। सन् 2014 में परिस्थितियां ऐसी बनी कि अंतागढ़ सीट से वे निर्विरोध ही विधायक बन गए थे। वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव में थोड़े से वोटों से सही, जीत गए।