राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : राजनीतिक सलाहकार ?
01-Aug-2024 3:42 PM
राजपथ-जनपथ : राजनीतिक सलाहकार ?

राजनीतिक सलाहकार ?

चर्चा है कि प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के लिए सीएम विष्णुदेव साय राजनीतिक सलाहकार की नियुक्ति कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन, क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल, और महामंत्री (संगठन) पवन साय के बीच एक बैठक में सहमति बन गई है।

सीएम साय के साथ डॉ.रमन सिंह भी राजनीतिक सलाहकार की नियुक्ति के लिए सहमत हैं। बताते हैं कि अकलतरा के पूर्व विधायक और संभागीय प्रभारी सौरभ सिंह को राजनीतिक सलाहकार बनाया जा सकता है। 

चर्चा यह भी है कि लोकसभा चुनाव के पहले ही सौरभ को राजनीतिक सलाहकार बनाने की तैयारी थी, लेकिन किन्हीं वजहों से सौरभ की नियुक्ति अटक गई। अब रायपुर दक्षिण के उपचुनाव के साथ-साथ नगरीय निकाय चुनाव भी होने हैं। ऐसे में जल्द ही राजनीतिक सलाहकार की नियुक्ति आदेश जारी हो सकता है। देखना है आगे क्या होता है। 

बृजमोहन ने दर्ज कराई मौजूदगी 

लोकसभा के मानसून सत्र में जाति जनगणना की मांग पर भाजपा सदस्य अनुराग ठाकुर, और बृजमोहन अग्रवाल के भाषण की खूब चर्चा हो रही है। अनुराग ठाकुर ने तो राहुल गांधी पर यह कहकर कटाक्ष किया कि जिसकी जाति का पता नहीं वो गणना की बात कर रहे हैं। इस पर राहुल ने अनुराग पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया।

बृजमोहन अग्रवाल ने भी राहुल गांधी को जाति जनगणना के मसले पर जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, एससी-एसटी और ओबीसी की बात करते हैं। राहुल जी आप क्यों बन गए, नेता प्रतिपक्ष।  आपने क्यों एसटी-एससी नेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं बनाया? क्या कांग्रेस से एससी-एसटी का कोई सांसद जीतकर नहीं आया है? आपने पिछड़े वर्ग से नेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं बनाया? उनकी इस टिप्पणी पर भाजपा के सदस्यों ने मेज थपथपाई। कुल मिलाकर पहले ही भाषण में बृजमोहन अपने दल के सदस्यों की वाहवाही बटोरने में कामयाब रहे। आने वाले दिनों में पार्टी उनका किस तरह उपयोग करती है, यह देखना है। 

यादगार बना दी विदाई

जिस तरह पुलिस, अस्पताल से अच्छी खबरें नहीं निकलती, वैसा ही कुछ तहसील ऑफिस का हाल होता है। मगर, मस्तूरी तहसील दफ्तर की यह एक घटना जरूर याद रखी जा सकती है। यहां के कानूनगो तुकाराम भार्गव लंबी सेवा देने के बाद बुधवार को रिटायर हो गए। फूल माला पहनाकर सभी के योगदान को ऐसे मौके पर याद किया जाता है और जीवन की नई पारी शुरू करने के लिए शुभकामनाएं दी जाती हैं। पर इससे अलग हटकर तहसीलदार प्रांजल मिश्रा ने एक काम किया। उन्होंने रिटायर कर्मचारी को सम्मान के साथ एक सजे-धजे रिक्शे में बिठाया और खुद चलाते हुए गेट तक छोडऩे गए। तहसीलदार की इस सरलता की तारीफ हो रही है। मस्तूरी तहसील में जिनके काम रुके हैं, उन्हें अब उम्मीद बंध गई है कि तहसीलदार उनके प्रति भी ऐसी सहृदयता और संवेदनशीलता दिखाएंगे, और उन्हें उनके रहते दफ्तर में ज्यादा भटकना नहीं पड़ेगा।

10 हजार आदिवासी कहां गए ?

राज्यसभा सदस्य फूलोदेवी नेताम के एक सवाल पर केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने संसद में बताया है कि सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा के 103 गांवों के 2389 परिवारों के 10 हजार 489 लोग विस्थापन कर चुके हैं और अपना मूल निवास त्याग चुके हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या सुकमा के लोगों की हैं। संसद में यह भी बताया गया कि केंद्र के पास इसका डेटा नहीं है। यानि जो संख्या उपलब्ध कराई गई है वह छत्तीसगढ़ और उन राज्यों से मिली हो सकती है, जहां आदिवासियों ने प्रवास किया है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि यह मामला राज्य को देखना है।

सरकार की भाषा में इसे आईडीपी (आंतरिक विस्थापित जनसंख्या) कहते हैं। कश्मीरी पंडितों को भी आईडीपी ही कहा जाता है। इन्हें तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में वन विभाग के लोग प्रताडि़त भी करते हैं। मगर, वापस लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। सैकड़ों लोग ऐसे हैं जो अन्य दूसरे राज्यों में भी मजदूरी करने चले गए हैं, क्योंकि उनके पास यहां काम नहीं है। बस्तर से आदिवासियों के पलायन का मुद्दा कई बार अलग-अलग मंचों से उठाया जाता रहा है। कांग्रेस शासनकाल में सरकारी स्तर पर इन्हें वापस उनके गांवों में लाकर बसाने पर ठोस काम नहीं हुआ। कांग्रेस सांसद नेताम ने यह मुद्दा एक बार फिर उठाया है। देखना है, मौजूदा सरकार, जो बस्तर में शांति लाने की अपनी प्रतिबद्धता को अधिक ठोस बताती है- वह इनके लिए क्या करती है।

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