राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : चुनाव से गणेश भक्ति बढ़ी
21-Sep-2024 4:26 PM
 राजपथ-जनपथ : चुनाव से गणेश भक्ति बढ़ी

चुनाव से गणेश भक्ति बढ़ी 

रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव, और म्युनिसिपल चुनाव के चलते इस बार गणेश विसर्जन के स्वागत पंडालों में विशेष रौनक देखने को मिली है। सबसे ज्यादा माहौल कोतवाली चौक के पास भाजपा नेताओं के पंडाल में था। यहां सांसद बृजमोहन अग्रवाल विशेष रूप से मौजूद थे। 

बृजमोहन हर साल कोतवाली चौक के पास गणेश विसर्जन झांकियों का स्वागत करते हैं। इस बार उन्होंने अपने साथ पूर्व सांसद सुनील सोनी को भी बिठा लिया। बाजे-गाजे के बीच सुनील सोनी ऊंघते हुए दिखे। उनकी जम्हाई लेते फोटो भी वायरल हुआ था। सुनते हैं कि सुनील सोनी सोने के लिए घर जाना चाहते थे लेकिन बृजमोहन ने उन्हें डपटकर बगल में बिठाए रखा। वो सूर्योदय के बाद ही घर जा सके। 

दूसरी तरफ, बृजमोहन अग्रवाल के छोटे भाई विजय अग्रवाल भी काफी सक्रिय दिखे। वो पहली बार झांकियों का स्वागत करते हुए सार्वजनिक तौर पर नजर आए हैं। विजय, बृजमोहन का चुनाव प्रबंधन संभालते आए हैं, और चर्चा है कि वो खुद चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। अभी तक तो बृजमोहन का रुझान सुनील सोनी की तरफ दिख रहा है। आगे क्या होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

लता समर्थकों में नाराजगी 

सीनियर विधायक सुश्री लता उसेंडी को बस्तर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। लता, रमन सिंह सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। वो नागरिक आपूर्ति निगम की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। यही नहीं, वो केन्द्र सरकार के उपक्रम में भी पदाधिकारी रह चुकी हैं। विष्णु देव साय के सीएम बनने के बाद उनके मंत्री बनने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन उन्हें प्राधिकरण का दायित्व सौंप दिया गया है। चर्चा है कि प्राधिकरण उपाध्यक्ष पद से लता खुश नहीं हैं, और उनके समर्थकों में भी मायूसी देखने को मिली है। 

लता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, और ओडिशा भाजपा की सहप्रभारी भी हैं। उन्होंने ओडिशा के विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण से लेकर प्रचार में अहम भूमिका निभाई थी। और जब ओडिशा में पार्टी की सरकार बनी, तो लता को भी पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं ने बधाई दी थी। लता की पार्टी के भीतर कद को देखते हुए उन्हें मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लता, पार्टी की अनुशासित कार्यकर्ता मानी जाती है। ऐसे में वो पार्टी फोरम में भी कोई प्रतिक्रिया देंगी, इसकी संभावना कम है। मगर उनसे जुड़े लोग निराश और हैरान हैं। 

पीएचक्यू बन गया स्टूडियो 

कल आधी रात के पहले ही छत्तीसगढ़ के पुलिस मुख्यालय में कई वीडियो टीमें पहुँच कर लाइट, कैमरा, एक्शन की तैयारी शुरू कर चुकी थीं। विश्व में सबसे अधिक वीडियो के नायक अफसर छत्तीसगढ़ के आईपीएस अभिषेक पल्लव को कवर्धा जिले से हटाकर पुलिस मुख्यालय भेजा गया है। कवर्धा से उनका आखिरी ऐतिहासिक वीडियो ख़ुद खड़े रहकर महिला पुलिस से एक निहत्थी नाबालिग लडक़ी को पिटवाने का रहा जो सुपर डुपर हिट गया। अब वीडियो टीमें और यूट्यूबर पुलिस मुख्यालय से सीधे प्रसारण करेंगे। कल रात तबादला आदेश आते ही कवर्धा से प्रोडक्शन टीमें नया रायपुर पहुँच गईं। 

पैसेंजर रिस्पांस ठीक नहीं 

दुर्ग- विशाखा वंदे भारत एक्सप्रेस ने शुक्रवार से रोज चलने लगी है। दुर्ग-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस में किसी सिनेमा हॉल की तरह सीटें तो बुकिंग का इंतजार कर रही हैं, लेकिन दर्शक नदारद हैं। कल पहले दिन रायपुर रेल मंडल ने अपने सहायक वाणिज्य प्रबंधक को पैसेंजर रिस्पांस चेकिंग ट्रिप पर भेजा था। साहब की रिपोर्ट पर मंडल  उत्साहित कम, मायूस अधिक है। बताया गया है कि कुल 1128 सीटों वाली ट्रेन में विशाखा जाने दुर्ग-रायपुर से 256 और वापसी में इन्हीं शहरों के लिए सौ यात्री रहे। आज दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं। मात्र 90 सीट बुक होने की खबर है।

इसके चलते रेल स्टाफ ही  ट्रेन के भविष्य को लेकर कयास लगा रहे हैं। उनके वाट्सएप ग्रुप की चर्चा में चिंता झलकती है। इनके सवाल जवाब पढ़ें:-एक ने बताया- रिटर्न जर्नी में करीब सौ यात्री रहे। दूसरे ने कहा-16 कोच में 100 यात्री, मतलब एक कोच में 10 भी नहीं। यह पूछा-क्या इन सौ में रेलवे स्टाफ भी शामिल है। जवाब मिला-अभी नई नई  सुविधा है, कुछ दिनों में भीड़ बढ़ जाएगी। छुट्टियों के सीजन में फुल जाया करेगी। तीसरे ने कहा-100 भी बहुत होते हैं । फिर जवाब मिला-मेरे हिसाब से तो एक सप्ताह के लिए लिंक एक्सप्रेस (कोरबा-विशाखा) को कैंसल कर देना चाहिए। आटोमेटिक वंदे भारत में पैसेंजर आ जाएंगे। इससे मना करते हुए कहा गया कि लिंक की अच्छी सुविधा जनक टाइमिंग है क्यों कैंसिल करें। एक अन्य ने कहा अपने आंध्र वासियों की इज्जत का प्रश्न है नहीं तो रेलवे  वंदेभारत ही कैंसल कर देगा। अभी दशहरा की छुट्टियां हैं तब फुल पैक चलेगी। ऐसा ही एक और सुझाव आया-इतना लड़ झगड़ कर लिए हैं गाड़ी, सब लोगों को इसी में जाना चाहिए । एक ने कहा-वंदे भारत की टाइमिंग ठीक नहीं है। कोरबा लिंक ही बेस्ट है। इसे कैंसल करेंगे तो बहुत परेशानी होगी। वंदे भारत को कैंसिल करेंगे तो उतना फक़ऱ् नहीं पड़ेगा, आदि आदि...!

वैसे बता दें कि चाहे सरकारी बसें हो या, ट्रेनें ये लोकसेवा सुविधाएं कहलाती हैं। और नो प्रॉफिट नो लॉस पर संचालित होतीं हैं। ये इतनी आसानी से बंद नहीं की जा सकतीं, भले ही फेरे या कोच कम कर दिए जा सकते हैं। 

खाली सीटों पर आप सो सकते हैं, डांस कर सकते हैं, मगर अफसोस ऐसा करने के लिए आपको कम वक्त मिलेगा। दूसरी ट्रेनों को 11 घंटे लगते हैं, यह सिर्फ 8 घंटे में पहुंचा देगी। विशाखापट्टनम जाने वाले अन्य ट्रेनों की जनरल सीटों की ओर भी नजर डालें। वे बमुश्किल सीट पाते हैं बहुतों को घंटों एक ही मुद्रा में खड़ा रहना पड़ता है। संडास गंदा होता है, अगर वहां पहुंच सकें। मानवाधिकार का हनन होता है और महिलाओं की गरिमा को क्षति पहुंचती है। इसी साल अप्रैल महीने में मध्यप्रदेश के एक आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे से पूछा था कि वंदेभारत से कितना मुनाफा हो रहा है। दो साल में कितनी आमदनी हुई। रेलवे ने कहा कि-इसका हिसाब अभी लगाया नहीं है, लगाया जा रहा है।  

कांवडिय़ों की आरती नहीं बचा पाई 

किसे ऐतराज हो सकता है कि कोई पुलिस कप्तान अपराधियों को नकेल कसे और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर समाज को जागरूक करने के लिए जारी करे। यह हर रोज होना चाहिए, और आईपीएस अभिषेक पल्लव इसे बखूबी समझते हैं। वे लगातार जुआ, सट्टा, चोरी, लूटमारी के आरोपियों से बात करते हैं, उन्हें नसीहत देते हैं और इन सबकी रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं।

लेकिन, असली चुनौती तब आती है जब जमीन पर हालात गंभीर हो जाएं। कबीरधाम की घटना इसका उदाहरण है, जहां दोहरी और तिहरी जान गई। रेंगाखार थानेदार को पहले ही पता चल चुका था कि कोई व्यक्ति फांसी पर लटका है, जिससे गांव में अशांति फैल रही है, मगर वर्चुअल मीडिया में सक्रिय कप्तान को जमीनी हालात की सही जानकारी ही नहीं थी। इतना ही नहीं, उनके नीचे काम कर रहे ट्रेनी आईपीएस जिला मुख्यालय में किसी को बुरी तरह पीटते हुए पाए गए। खुद भी एक नाबालिग लडक़ी को अपने हुक्म से पिटवाते वीडियो पर रिकॉर्ड हो गए थे।

पिछली सरकार में आराम से काम कर रहे अफसरों को नई सरकार के कड़े रवैये को समझने में देर नहीं लगनी चाहिए। सस्पेंशन की कार्रवाई उनके बाएं हाथ का खेल है। पिछली सरकार की तरह, ऐसा नहीं हो सकता कि मंत्री और विधायक अफसरों की शिकायत करते रहें और मुखिया कान में रुई डालकर बैठे रहें। पूरा थाना बुलाकर कांवडिय़ों पर फूल बरसाने और आरती उतारने से आप मंत्री जी को खुश नहीं कर सकते, अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।  

हटाए गए कलेक्टर जन्मेजय महोबे तो मासूम हैं। उन्हें अपने जिला दंडाधिकारी होने का आभास ही नहीं था और जिले में क्या हो रहा है, इसका पता ही नहीं था।

(rajpathjanpath@gmail.com)


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