राजपथ - जनपथ
नए चुनाव की तैयारी
ऐसी प्रचलित परंपरा है कि किसी भी इवेंट का काउंटडाउन 90 दिन पहले शुरू हो जाता है। सो निकाय चुनावों की भी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उसी सिलसिले में 2019 में गठित वर्तमान सामान्य सभा की अंतिम विदाई बैठकें भी होने लगीं हैं। रायपुर की बैठक तीन अक्टूबर को होनी है। उसमें टाटा, बाय बाय होगा। ऐसी बैठकें प्रदेश के अन्य निगमों, पालिकाओं में भी होंगी। और उधर नगरीय निकाय विभाग, राज्य निर्वाचन आयोग ने नए चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है। पहले वोटर लिस्ट बनेगी। अंतिम प्रकाशन 29 नवंबर के बाद, वार्ड परिसीमन, महापौर, अध्यक्ष पार्षद पदों का आरक्षण। और फिर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होगी। वार्ड आरक्षण के लिए ओबीसी वर्गो की आबादी का सर्वे चल रहा है। जो 25 सितंबर को पूरा हो जाएगा।
नेताओं की शंकाओं के बीच दोनों आयोग प्रमुखों का कहना है सब कुछ समय पर होगा,चुनाव भी समय पर ही कराए जाएंगे। अभी यह उधेड़बुन चल रही है कि चुनावों का समय क्या होगा? वहीं पिछले 2019 के टाइम टेबल से दो तीन या 7 दिन आगे पीछे। पिछले चुनाव की घोषणा 30 नवंबर को हुई थी। पूरे प्रदेश भर के निकायों के चुनाव एक ही चरण में हुए थे। 6 दिसंबर 19 तक नामांकन, 21 दिसंबर को मतदान और 24 दिसंबर को मतगणना हुई थी। अब देखना है कि इस बार का टाइम टेबल क्या होगा। वैसे, 6 जनवरी से पहले सभी निकायों कि नई सामान्य सभा का गठन
करना होगा।
युवक कांग्रेस में अब कौन से पद मिलेंगे?
आखिरकार युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर जम्मू कश्मीर के उदयभानु चिब को नियुक्त कर दिया गया। इस पद की दौड़ में छत्तीसगढ़ से शशि सिंह, मोहम्मद शाहिद, और कोको पाढ़ी भी थे।
तीनों का इंटरव्यू भी हुआ था। अब जब अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई है, तो प्रदेश के तीनों नेताओं को राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाया जा सकता है। कोको पाढ़ी, छत्तीसगढ़ प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जबकि शशि सिंह राष्ट्रीय सचिव रही हैं। मोहम्मद शाहिद प्रदेश संगठन में दायित्व संभाल रहे थे। खास बात यह है कि प्रदेश के इन तीनों युवा नेताओं से पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व्यक्तिगत तौर पर परिचित भी हैं। इन तीनों को अलग-अलग राज्यों का प्रभारी बनाया जा सकता है। देखना है आगे क्या होता है।
भाई साहब के साथ हाई टी
रायपुर दक्षिण के उपचुनाव की घोषणा 5, 6 अक्टूबर को हो सकती है। इसके साथ ही कांग्रेस, भाजपा की ओर से टिकट के दावेदार एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। सर्वाधिक दावेदार भाजपा में नजर आ रहे हैं। एक अनार सौ बीमार। सरकार में होने का फायदा जो दिख रहा है, खर्च लिमिट ये 40 लाख में काम हो जाएगा। वहीं कांग्रेस में भी दावेदार कम नहीं हैं। पकड़ कर देने की स्थिति नहीं है।
भाजपा ने अब तक दौड़ में चल रहे 45 नामों में से अब आधा दर्जन ही शार्ट लिस्ट किए गए हैं। दो नए नहीं पुराने जुड़ते नजर आ रहे हैं। इनमें से दोनों ही पूर्व में संवैधानिक पद पर भी रहे हैं। एक, सांसद के बेहद करीबी दोस्त, दूसरे समाज के दिग्गज। कल इन्होंने संगठन खेमे के माने जाने वाले अपने साथियों के साथ हाई टी की। जो चंडीगढ़ वाले भाई साहब के साथ हुई। कभी ये सभी मिलकर सरकार संगठन चलाते रहे हैं। बस उन्हीं दिनों की यादें, सद्कर्म की बिना पर टिकट हासिल करने की जोड़ तोड़ है। देखें आगे क्या होता है।
गजब सर का कोचिंग सेंटर
यह पोस्टर वाकई अजब-गजब है। दिल्ली के राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर जैसे इलाकों में भारतीय प्रशासनिक सेवा की कोचिंग के लिए ऐसे विज्ञापन आम हैं। इस पोस्टर पर दावा किया गया है कि 2500 से अधिक छात्र चयनित हुए हैं। यानी, हाल के कुछ वर्षों में जितने भी आईएएस और आईपीएस बने हैं, लगभग सभी यहीं से निकले होंगे! यह कोचिंग सेंटर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में पढ़ाई करवाता है, और हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में।
दिल्ली ही नहीं, छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों में भी ऐसे कई कोचिंग संस्थान मिल जाएंगे जो इसी तरह के बड़े-बड़े दावे करते हैं। जैसे ही प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम घोषित होते हैं, ये संस्थान चयनित छात्रों को अपना बताते हुए विज्ञापन निकालते हैं। छात्र सलेक्ट हो गया तो कोचिंग सेंटर की काबिल पढ़ाने वालों की वजह से, नहीं हुए तो वह तो उसकी कमजोरी थी।
इस स्थिति के बावजूद कई कोचिंग संस्थानों में एडमिशन की मारामारी है। उसमें भी प्रवेश के लिए टेस्ट, एग्जाम से गुजरना होता है।
बात दोषियों पर नरमी की भी है
लोहारीडीह में प्रशांत साहू की पुलिस की कथित पिटाई से हुई मौत ने पहले से सुलग रही स्थिति में आग में घी का काम किया है। प्रशिक्षु आईपीएस को निलंबित करने के बावजूद लोहारीडीह के ग्रामीण और साहू समाज संतुष्ट नहीं दिखाई दे रहे हैं। प्रदेशभर में साहू समाज ने राजनीतिक झुकाव से परे जाकर विरोध प्रदर्शन किया है।
लोहारीडीह में दोनों उपमुख्यमंत्रियों के सामने कई प्रमुख मांगें रखी गई हैं, जिनमें प्रशांत साहू के बच्चे को कैबिनेट प्रस्ताव लाकर नौकरी देने, एक करोड़ रुपये मुआवजा देने और कचरू साहू के पांच बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी सरकार को सौंपने की मांग शामिल है। लेकिन सबसे अहम मांग यह है कि हटाए गए एसपी अभिषेक पल्लव को बर्खास्त किया जाए और पिटाई के दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज हो।
लोहारीडीह की घटना ने इतना तूल पकड़ लिया है कि टोनही और अंधविश्वास से जुड़ी दो बड़ी घटनाओं पर कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। परंपरागत रूप से भाजपा का समर्थन करने वाला साहू समाज इस घटना से बेहद आक्रोशित है। कांग्रेस के नेताओं ने बिरनपुर की पिछली घटना के बाद वहां पीडि़तों से मिलने की जरूरत तक नहीं समझी थी, लेकिन यह सरकार लगातार पीडि़तों और प्रभावित ग्रामीणों के साथ संवाद कर रही है।
कार्यशैली में इस बदलाव का ही था कि 10 लाख रुपये का मुआवजा और निष्पक्ष कार्रवाई के आश्वासन हाथों हाथ दिया गया। लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ है। खासकर पुलिस पर कथित हत्या और बेकसूरों से मारपीट के मामले में की गई कार्रवाई को ग्रामीण नाकाफी मान रहे हैं। आगजनी के बाद यदि स्थिति को बेहतर ढंग से संभाल लिया जाता, तो शायद लोहारीडीह में शांति जल्द लौट आती। लेकिन पुलिस की ज्यादती करके निपटाना चाहा। अब ठोस कार्रवाई के बिना ग्रामीणों का गुस्सा ठंडा होगा ऐसा लग नहीं रहा।