राजपथ - जनपथ
अफसरों का अफसरों के लिए
कोई भी आयोग, निगम मंडल, प्राधिकरण, ट्रिब्यूनल, अथारिटी का गठन का प्रारूप बनाने वाले अफसर अपने और अपने साथियों के आफ्टर रिटायरमेंट पुनर्वास को देखते हुए ही, इनके गठन की सिफारिश करते हैं। इनमें से कई में सेवारत तो अधिकांश में रिटायर्ड ही बिठाए जाते हैं। बस फर्क इतना रहता है कि सेवारत रहते हुए मिला अंतिम वेतन या पेंशन के बराबर ही मानदेय मिलेगा। वैसे भी अफसरों को भी वेतन राशि से नहीं रिटायर होने के बाद भी बंगला, कार-पेट्रोल, नौकर और सरकारी जलवा बने रहना चाहिए। हम यह इसलिए कह रहे हैं कि रिटायर हो चुके या होने वाले अफसरों के लिए एक और सरकारी पद अधिसूचित कर दिया गया है।
वाणिज्यिक कर विभाग ने राज्य जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल में सदस्य तकनीकी ये पद के लिए आज से 15 अक्टूबर तक इच्छुक अफसर, जीएसटी कानून को जानने वाले कर सलाहकारों से आवेदन आमंत्रित किया है। वैसे बता दें कि अघोषित रूप से सरकार और उसके अफसरों ने नाम भी तय कर रखा होगा। यह केवल औपचारिकता ही होगी। आवेदक एक्स आफिशियो हो तो वह कम से कम अतिरिक्त आयुक्त वैट या जीएसटी के पद से रिटायर हुआ हो।
नियुक्ति के बाद के लाभ, आवेदन पत्र में पढक़र तो हर कोई जोड़ तोड़ में लग जाएंगे। इन्हें, 2.25 लाख वेतन, 30 दिनों का ईएल, 8 दिन का सीएल, कर प्रणाली के अध्ययन के लिए विदेश दौरे की सुविधा आदि आदि। चूंकि सरकारी करा रोपण के खिलाफ अपील होगी, तो पार्टी से आउट आफ ट्रिब्यूनल नेगोसिएशन भी। इसके लिए आयु सीमा 50-67 वर्ष, और पहले 4 वर्ष के नियमित कार्यकाल (अनहोनी न होने पर) और सरकार चाहे तो, 2 वर्ष और बढ़ा सकती है। अब देखना होगा कि लॉटरी किसकी लगती है।
ओलंपिक संघ और दिग्गज
छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के चुनाव को लेकर हलचल मची हुई है। चर्चा है कि ओलंपिक संघ के मसले पर सीएम विष्णुदेव साय की पिछले दिनों सांसद बृजमोहन अग्रवाल से बातचीत भी हुई है। साय प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष हैं, तो बृजमोहन तैराकी संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। अब ओलंपिक संघ के अध्यक्ष, और महासचिव का 29 तारीख को चुनाव होना है। पदाधिकारियों का निर्वाचन निर्विरोध कराने के लिए बैठकों का दौर चल रहा है।
सीएम साय का निर्विरोध ओलंपिक संघ अध्यक्ष बनना तय है। मगर सारा दांवपेंच महासचिव को लेकर है। इसके लिए बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष विक्रम सिसोदिया की मजबूत दावेदारी है। सिसोदिया भी सीएम के साथ-साथ बृजमोहन अग्रवाल से मिल चुके हैं। हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जो चाहते हैं कि बृजमोहन अग्रवाल को महासचिव बनाया जाए। ऐसे कई पदाधिकारी बृजमोहन के साथ बैठक भी कर चुके हैं।
हालांकि बृजमोहन ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन चर्चा है कि वो सिसोदिया के नाम पर सहमत होते हैं, तो उन्हें (बृजमोहन) को भारतीय ओलंपिक संघ के प्रतिनिधि के रूप में नामांकित किया जा सकता है। कुल मिलाकर बृजमोहन की ओलंपिक संघ में दखल रहेगी। अब आगे क्या कुछ होता है यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
ईमानदार चेतावनी
इस घी निर्माता को अंतर्यामी भगवान का डर हो या न हो, लेकिन आपकी सेहत की चिंता अवश्य है। वह अपने डिब्बे पर साफ-साफ नहीं बताता कि यह घी मिलावटी है। अगर यह घी शुद्ध होता, तो क्यों लिखता कि इसे खाने या दवाई के रूप में इस्तेमाल न करें? साथ ही, यह भी साफ लिखा है कि यह खाद्य पदार्थ नहीं है और केवल पूजा के लिए है।फूड वाला इस पर किस आधार पर रेड मारेगा?
बेचने वाले को अंदाजा है कि वह क्या बेच रहा है, खरीदने वाले को भी पता है कि वह सस्ते में कौन सा घी खरीद रहा है।
इस ईमानदारी की सराहना की जानी चाहिए। उसने चुनावी चंदा दिया या नहीं पता नहीं, पर यदि परवाह न होती तो डिब्बे पर ‘सर्वश्रेष्ठ खाने योग्य’ लिखा होता। तिरुपति मामले के बाद यूपी से कई खबरें आ रही हैं, जिनमें बताया जा रहा है कि पशुओं के चमड़े से घी बनाने के वहां कई ठिकाने हैं। ऐसी घी बहुत सस्ते में मिल भी रहे हैं।
दामिनी ऐप का कम उपयोग
छत्तीसगढ़ में कल आकाशीय बिजली गिरने से 10 लोगों की मौत हो गई। राजनांदगांव में आठ और बिलासपुर में दो लोगों की जान गई। इसके अलावा, एक दिन पहले जांजगीर-चांपा में भी बिजली गिरने से एक मौत हुई और आठ लोग घायल हो गए। इन मौतों में पांच बच्चे और एक गर्भवती महिला शामिल हैं। शहरों में ऊंचे मकान, इलेक्ट्रिक पोल और टावर तडि़त चालक का काम करते हैं, जिससे नुकसान कम होता है। गांवों में यह जनहानि का एक ऐसा सिलसिला है, जिसे रोकने पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।
हालांकि, भारत सरकार के मौसम विज्ञान विभाग ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से एक प्रमुख प्रयास है ‘दामिनी ऐप’, जो 2020 से कार्यरत है। यह ऐप बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले अलर्ट जारी करता है, लेकिन ज्यादातर लोग इसका उपयोग नहीं करते।
आंकड़ों के मुताबिक, हर साल भारत में आकाशीय बिजली गिरने से लगभग 2000 लोगों की मौत हो जाती है। छत्तीसगढ़ के लिए कोई स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन हर वर्ष 20-25 घटनाओं की खबरें आती ही हैं।
सरकारी प्रयासों की बात करें, तो जागरूकता केवल रेडियो पर मिलने वाली सूचनाओं तक सीमित है। ‘दामिनी ऐप’ का प्रचार-प्रसार करना बेहद आसान है, खासकर जब हर किसी के पास स्मार्टफोन है। हादसे कम करने में इससे मदद मिल सकती है।
(rajpathjanpath@gmail.com)