राजपथ - जनपथ
कहां बिठाए और कोई आए तो
बीत रहे मानसून में भले ही महानदी में बाढ़ न आई हो, लेकिन महानदी भवन में अफसरों की बाढ़ जैसी स्थिति है। अधीक्षण शाखा और रजिस्ट्रार के पास कमरों की समस्या आन पड़ी है। 24 वर्षों में पहली बार बेंच, फुल जैसी स्थिति है। रजिस्ट्रार परेशान हैं कि अब एक और अफसर आए तो उन्हें कहां बिठाए। सेक्रेटरी ब्लॉक, जैम पैक हो गया है। पिछली सरकार में तो कुछ अफसरों ने सीएम की निकटता के लिए मंत्री, और संसदीय सचिव ब्लॉक तक में कमरे ले रखे थे। और अब भी यह परंपरा बनी हुई है।
दरअसल, राज्य मंत्रालय में सचिवों की तादाद बढ़ गई है। इस समय 2002 से 2008 बैच के कुल 24-25 सचिव हो गए हैं। इनमें से कुछ स्वतंत्र प्रभार में हैं तो कुछ एसीएस, पीएस के मातहत पदस्थ हैं। मंत्रालय का सेटअप इसकी अनुमति देता है। लेकिन आईएएस लॉबी इससे संतुष्ट नहीं है। वह इसे प्रोटोकॉल के तहत नहीं मानती। उसका कहना है कि आईपीएस, आईएफएस को मंडी बोर्ड,पर्यटन मंडल, सीएसआईडीसी के एमडी जैसे 10 आईएएस के कैडर पदों पर बिठाए जाने से यह स्थिति बनी है।
हालांकि यह अभी नहीं 23-24 वर्षो से चली आ रही परंपरा बनी हुई है। अगले फेरबदल में सरकार को इस पर गौर कर कैडर पोस्ट आईएएस को लौटाने होंगे। इसे लेकर जल्द ही आईएएस एसोसिएशन सीएम से मिलने जा रहा है। ऐसी स्थिति डॉ. रमन सिंह के दूसरे कार्यकाल में भी आई थी, तब एसोसिएशन के सचिव रहे केडीपी राव सरकार के समक्ष अपनी बात रख आए थे।
मनोनयन के आगे-पीछे
दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव की पुत्र वधु प्रियम्वदा सिंह जूदेव को सरकार ने राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाया है। प्रियम्वदा, दिलीप सिंह जूदेव के बड़े बेटे दिवंगत शत्रुंजय सिंह जूदेव की पत्नी हैं। प्रियम्वदा के साथ ही ओजस्वी मंडावी, और सरला कोसरिया, लक्ष्मी वर्मा, और दीपिका सोरी को भी सदस्य बनाया है।
ओजस्वी दंतेवाड़ा के दिवंगत विधायक भीमा मंडावी की पत्नी हैं। जूूदेव परिवार की बात करें, तो प्रियम्वदा जशपुर इलाके में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करती रही हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जूदेव के परिवार के दो सदस्यों को चुनाव मैदान में उतारा था। उनके छोटे पुत्र दिवंगत पूर्व संसदीय सचिव युद्धवीर सिंह की पत्नी संयोगिता सिंह जूदेव, और मंझले पुत्र प्रबल प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया था। मगर दोनों ही चुनाव नहीं जीत पाए।
यही नहीं, सरगुजा राज परिवार के एक और सदस्य पूर्व राज्यसभा सदस्य रणविजय सिंह जूदेव भी लालबत्ती की दौड़ में बताए जा रहे हैं। रणविजय सिंह ने रायपुर पश्चिम विधानसभा सीट से दावेदारी की थी। वे कुछ समय पहले केन्द्रीय मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं। देखना है कि जूदेव परिवार के सदस्यों को और क्या कुछ मिलता है।
जुर्माना क्या पालकों की जेब से कटेगा?
राज्य की बोर्ड परीक्षाओं के लिए छात्रों के आवेदन समय पर जमा नहीं करने वालों पर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है। यह पोर्टल 4 दिन के लिए खोला जाएगा, पर एक्सेस तभी मिलेगा, जब जुर्माने की रकम जमा कर दी जाएगी। बोर्ड परीक्षा के लिए आवेदन पत्रों को ऑनलाइन जमा करने के लिए स्कूलों को 30 अगस्त तक का समय दिया गया था, उसके बाद बोर्ड ने पोर्टल बंद कर दिया। हर साल यही होता था कि बाद में शालाओं के अनुरोध पर पोर्टल दोबारा खोला जाता था। पर उसके लिए कोई अर्थदंड नहीं लगाया जाता था। इस बार 1247 स्कूलों ने फिर से पोर्टल खोलने के लिए आवेदन दिए हैं। इस तरह से यह राशि करीब 3 करोड़ 11 लाख पहुंचती है। यह जरूर है कि कई स्कूल समय पर आवेदन जमा करने में रूचि नहीं लेते, जिसके कारण पोर्टल दोबारा खोलना पड़ता है, लेकिन कई बार छात्रों के दस्तावेज भी अधूरे होते हैं, जिससे देर हो जाती है। अब सवाल यह उठ रहा है कि इस रकम की भरपाई कौन करेगा। निजी स्कूल जुर्माने की रकम की भरपाई छात्रों से ही ऐन-केन प्रकारेण वसूल करके कर लेंगे, लेकिन सरकारी स्कूल के पास तो इस तरह का कोई फंड ही नहीं होता। वहां उन तबकों के बच्चे भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं, जो फीस भी जमा नहीं कर पाते। क्या ये स्कूल भी छात्र-छात्राओं पर बोझ डालेंगे? सरकार एक तरफ नि:शुल्क शिक्षा को बढ़ावा देती है, दूसरी ओर माशिमं ने नई समस्या खड़ी कर दी है। इतना तो निश्चित है कि अगले सत्र में जब परीक्षा फॉर्म का समय आएगा, स्कूलों को माशिमं का यह तेवर याद रहेगा और शायद अगली बार समय पर सब आवेदन जमा हो जाएंगे।
पानी की बर्बादी का तरीका
इस बंदे ने कपड़े धोने के लिए अपने सिर पर पानी का पाइप बांध लिया है। वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि इसी तरह से उसने बर्तन भी धोये। कुछ लोगों को यह जुगाड़ अच्छा लग सकता है लेकिन सवाल पानी बर्बाद करने का भी है।