राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : राजधानी में कॉफी हाउस
05-Oct-2024 3:14 PM
राजपथ-जनपथ :  राजधानी में कॉफी हाउस

राजधानी में कॉफी हाउस

रायपुर से राजधानी में बदले अपने शहर में आज से कुल दस कॉफी हाउस हो जाएंगे। इनमें से नौ तो राज्य बनने के बाद खुले हैं। रायपुर में पहला कब खुला इसकी डेट याद नहीं है। लेकिन त्रिशूर (केरल)में  8 मार्च 1958 में पहले आउटलेट से अब 66 वर्ष में 500 ब्रांच देशभर में खुल चुके हैं। अपने रायपुर में दस हैं। इससे शहर के विस्तार का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।

पुराने नौ में जीई रोड का पहला जो अभी न्यू सर्किट हाउस में संचालित, मंत्रालय, विधानसभा, एनआईटी, भाठागांव, सीएसईबी डगनियां, अटल नगर के सर्किट हाउस, और  एनटीपीसी, शास्त्री चौक, (जल्द ही मेकाहारा चौक ) पंडरी श्याम मार्केट और अब दसवां मोवा थाने के पास है। अमूल के बाद सहकारिता का दूसरा सफल संगठन माना जाता है। यहां का स्टाफ कभी मौर लगी सफेद टोपी पहनकर बैरा बन जाता है तो कभी मैनेजर बन कैश दराज भी सम्हालता। सीईओ, सीजीएम, जीएम, क्लर्क जैसे औहदों को लेकर  कोई ऊंच नीच नहीं । यहां तक कि हर बैरा, वेटर- ब्वाय नहीं अन्ना कहलाता है। प्लेट में बिल में छोड़े गए टिप पर सबकी हिस्सेदारी। अपने व्यंजनों के स्वाद  की मोनोपली और रेट देशभर में एक ही हालांकि मीनू समय काल के अनुसार बदलता रहा है। लेकिन नहीं बदला वही भिंडी, मुनगे-लौकी-गाजर के टुकड़ों से लैस खट्टा सांबर और नारियल की चटनी। अब लंच की थाली में रसम के साथ सूप, बझिए के साथ पनीर, बिरयानी भी मिलती है। आने वाले दिनों में मोमोज़ भी मिलने लगेंगे।

त्रिशूर से दिल्ली तक यह पीढिय़ों से साम्यवादी और समाजवादी आंदोलनों का केंद्र रहा हो, रायपुर नीलम होटल का कॉफी हाउस कांग्रेस की राजनीति का गढ़ रहा है। पास ही तहसील आफिस होने से यहां कई बड़े जमीनों के सौदे हुए तो आरडीए, नगर निगम  के टेंडर भरे जाते रहे। फिल्मों की समीक्षा के साथ, गोष्ठियां, पांच से छह अखबार वाले पुराने शहर के पत्रकारों के साथ पीसी भी हो जाया करतीं।

एक कप कॉफी उसमें भी वन बाय टू, के साथ घंटों गुजारने के लिए कोने के कुछ टेबल कांग्रेस नेताओं के लिए  रिजर्व रहते थे। यहां से निकले मैसेज हमारे अखबार के कॉलम- (कॉफी हाउस की दीवार से)  पर भी प्रकाशित होते रहे।

2010 में जब नवा रायपुर के मंत्रालय में कैंटीन खोलने की बात हो रही थी तब कई बड़े होटेलियर सूटकेस लेकर अफसरों के पीछे दौड़ रहे थे। ऐसे में तत्कालीन सीएस सुनील कुमार ने, नो प्राफिट नो लॉस वाले कॉफी हाउस को रियायतों को साथ एक फ्लोर का बड़ा हिस्सा दिया था जो सफलता के साथ चल रहा है । वहीं विधानसभा में भी कई होटलों की कैंटीन खुलने के बाद वहां भी कॉफी हाउस ही पसंद किया गया।

नए लोगों की दिक्कत 

कांग्रेस के दर्जनों नेता लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे। इनमें से ज्यादातर ने भूपेश बघेल से नाराजगी जताकर कांग्रेस छोड़ी थी। कुछ तो विधायक भी रह चुके हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद वैसा सम्मान नहीं मिल पा रहा है जिसकी उन्हें चाहत रही है। कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं का हाल यह है कि उन्हें लालबत्ती मिलना तो दूर, सक्रिय सदस्य बनने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है। भाजपा में सदस्यता अभियान चल रहा है। पार्टी का सक्रिय सदस्य बनने के लिए जरूरी है कि वो खुद अपने आईडी से 50 सदस्य बनाए। सक्रिय सदस्य बनने की स्थिति में ही पार्टी संगठन अथवा सरकार में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है। अब हाल यह है कि इन सभी नवप्रवेशी भाजपाईयों को सदस्य बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है।

सीधी-सादी गाय के सींग

जब सीधी उंगली से घी नहीं निकलता तो टेढ़ी करनी होती है। पर कुछ सींगधारी ऐसे होते हैं, जिनको यह सब नहीं करना पड़ता। कुदरत उनको ऐसे खतरनाक सींग देती हैं कि देखने वाले को समझ आ जाता है और इससे भिड़े तो अंजाम बुरा होगा। गाय अमूमन सीधी होती हैं, लेकिन ऐसे टेढ़े सींग वाली गाय बिलासपुर के मोहनभाठा में दिखी, जिसे प्राण चड्ढा ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।

([email protected])

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news