राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : छत्तीसगढ़ के सुझाव की तारीफ
09-Oct-2024 4:58 PM
राजपथ-जनपथ :  छत्तीसगढ़ के सुझाव की तारीफ

छत्तीसगढ़ के सुझाव की तारीफ 

सीएम विष्णुदेव साय की केन्द्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक के कई सकारात्मक नतीजे निकले हैं। पीयूष काफी सख्त माने जाते हैं, और वे राज्यों में विभाग की गतिविधियों पर बारीक नजर रखते हैं। यही नहीं, कई बार अफसरों को डपट भी देते हैं। मगर इस बार गोयल के सामने उद्योग सचिव रजत कुमार ने राज्य के उद्योग से जुड़े विषयों को लेकर प्रेजेंटेशन दिया, तो उनके तेवर काफी बदले दिखे। पीयूष काफी खुश नजर आए, और बैठक में ही रजत की तारीफ कर दी।  

रजत ने मौका पाकर केन्द्रीय मंत्री को सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक सम्मेलन आम तौर पर दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में होते हैं। छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य, जहां अपार संभावना है वहां इस तरह के सम्मेलन से न सिर्फ निवेशक को नए क्षेत्र में निवेश के अवसर मिलेंगे। इससे राज्य की भी पहचान बनेगी। 

पीयूष ने रजत के सुझाव की सराहना की, और भरोसा दिलाया कि भविष्य में छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यथा संभव पहल की जाएगी। ऐसा नहीं है कि डबल इंजन की सरकार होने की वजह से कोई फायदा मिल रहा है। रमन सिंह सरकार में पीयूष गोयल ने बैठक में राज्य के कई प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मगर इस बार जिस तरह विभाग ने बैठक को लेकर बेहतर तैयारी कर रखी थी, उसका फायदा मिलता दिख रहा है।  

इसकी जरूरत नहीं

एंग्लो इंडियन समुदाय से विधायक मनोनयन को लेकर संगठन सरकार स्तर पर कोई हलचल नहीं है। हालांकि अभी 9 माह ही हुए हैं। वोट बैंक की चिंता करने वाली कांग्रेस ने भी पिछले पांच वर्ष में मनोनयन नहीं किया था। हालांकि दो तीन बार हलचल हुई थी। लेकिन 69 के स्पष्ट बहुमत के चलते जरूरी नहीं समझा गया। इस बार भी स्थिति कुछ वैसी ही है। भाजपा के 54 विधायक हैं, तो कांग्रेस के 35। यह अंतर  मत विभाजन की स्थिति में खतरे से कोसो दूर। इन मनोनीत विधायक को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव छोड़ कर  सदन के भीतर बाहर,हर तरह के मतदान में भाग लेने का अधिकार है। 

भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रदेश में सरकार हर वर्ग के साथ एंग्लो इंडियन समुदाय के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ रही। और इस समुदाय की आबादी (करीब 900- 1 हजार) भी मेनेजेबल है। इन सभी के परिवार सक्षम भी हैं। इसलिए एक सदस्य की नियुक्ति से विधायक निधि, वेतन भत्ते सुविधाओं पर बड़े स्थापना व्यय से बचा जा सकता है। यही वजह है कि मनोनीत विधायक को लेकर कोई हलचल नहीं। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से अब तक तीन ही विधायक मनोनीत किए गए हैं इनग्रिड मैक्लॉड, रोजलीन बैकमेन एक-एक, बर्नार्ड जोसेफ दो कार्यकाल। पूर्व सीएम स्व.अजीत जोगी ने,अपने बहुमत के संकट से निपटने (मैक्लॉड)मनोनयन किया था। 

हालांकि बाद की राजनीति के दौर में में इन दंपत्ति ने जोगी पर कई आरोप लगाए। उसके बाद रमन सिंह ने अपने दो कार्यकाल में  दो सदस्य नियुक्त किए थे। पांचवीं विधानसभा में सीट खाली रही। वैसे संसद से 3-1-20 को पारित संविधान के 126 संशोधन के मुताबिक एंग्लो इंडियन विधायक का मनोनयन पर चुप्पी है। इस संशोधन में एससी/एसटी सीट आरक्षण को 10 वर्ष बढ़ाया गया लेकिन एंग्लो इंडियन पर कोई जिक्र नहीं। यही तात्पर्य निकाला जा रहा कि अब मनोनयन नहीं किया जाएगा। समझा जा रहा है कि बघेल सरकार ने भी इसी वजह से नहीं किया।

कांग्रेस की छत्तीसगढ़ जैसी विफलता

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों से कुछ मिलते-जुलते रहे। छत्तीसगढ़ में चुनाव अभियान के दौरान से लेकर मतदान के बाद तक एग्जिट पोल में यह दावा किया गया कि कांग्रेस फिर से सरकार बनाएगी। हालांकि, 2018 के मुकाबले कांग्रेस की सीटें घटने का अनुमान था और भाजपा को कुछ मजबूत बताया गया था, लेकिन किसी भी सर्वे एजेंसी ने यह नहीं कहा कि भाजपा की वापसी होगी।

परिणामों के बाद जब ईवीएम खुली, तो सबके अनुमान ध्वस्त हो गए। भाजपा ने राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा। हरियाणा के चुनाव को लेकर भी कुछ ऐसा ही हुआ। कोई भी एग्जिट पोल भाजपा की जीत का दावा नहीं कर रहा था, कुछ तो भाजपा को केवल 25-27 सीटों पर सीमित बता रहे थे। वहीं, कई सर्वेक्षण कांग्रेस को 60 से अधिक सीटें दे रहे थे।

सोशल मीडिया और चुनाव विश्लेषकों ने भी बड़े दावे किए थे। विश्लेषक देवेंद्र यादव का कहना था कि कांग्रेस की 'सुनामी' चल रही है। भाजपा ने इन अनुमानों को नकारते हुए अपनी रणनीति जारी रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस मध्य प्रदेश की तरह मुगालते में है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने छत्तीसगढ़ की तरह बाजी पलटने की बात कही।

परिणाम आने के बाद, जो लोग भाजपा की हार की भविष्यवाणी कर रहे थे, वे कांग्रेस की गलतियों पर चर्चा करने लगे। भले ही हरियाणा और छत्तीसगढ़ के चुनाव अलग समय पर हुए और मुद्दे भी अलग थे, लेकिन कांग्रेस की एक रणनीति ने उन्हें नुकसान पहुंचाया। यह रणनीति थी कि किसी एक नेता के प्रभाव में टिकटों का बंटवारा किया गया, उनके विरोधी माहौल को नजरअंदाज कर दिया गया।

एग्जिट पोल के गलत साबित होने का मतलब यह भी है कि कई सर्वेक्षण केवल कागजों पर ही तैयार हो जाते हैं। इसके बावजूद, एग्जिट पोल का बाजार कभी बंद नहीं होगा, क्योंकि जब तक ईवीएम नहीं खुलती, दर्शकों को जो भी दिखाया जाता है, वह देखा जाता है।

(rajpathjanpath@gmail.com)


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