राजपथ - जनपथ

मी टू में फंसे नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रदेश संगठन जरूर कौशिक का बचाव कर रहा है, लेकिन पार्टी हाईकमान इसको लेकर गंभीर दिख रहा है। सुनते हैं कि हाईकमान ने महिला के आरोपों की वीडियो क्लिप मंगवाई है और देर शाम तक सारी जानकारी भेज भी दी गई। यही नहीं, मंगलवार को दिल्ली में अमित शाह के रात्रि भोज के मौके पर भी कुछ नेता इस प्रकरण पर बतियाते रहे। हाईकमान इस पूरे प्रकरण को लेकर गंभीर इसलिए है कि नेता प्रतिपक्ष के चयन के दौरान कौशिक की गैरमौजूदगी में एक पूर्व मंत्री ने उनके आचरण को लेकर काफी कुछ कहा था तब पार्टी नेता सन्न रह गए थे।
कौशिक का यह बयान भी लोगों को हजम नहीं हो रहा है कि दो साल तक महिला क्या कर रही थी। इस पर महिला के वकीलों का कहना है कि कौशिक के करीबी प्रकाश बजाज के खिलाफ पुलिस से लेकर तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह से भी मिलकर महिला ने छेड़छाड़ की शिकायत की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब प्रकाश बजाज जैसे मामूली नेता पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी तो कौशिक जैसे बड़े प्रदेशाध्यक्ष पर क्या कार्रवाई होती? सरकार बदली तो उनकी शिकायत पर अब जब प्रकाश बजाज पर कार्रवाई हुई, तो इसके बाद शिकायतकर्ता महिला का हौसला बढ़ा। खैर, कांग्रेस ने यह कह दिया कि कौशिक जिस एजेंसी से जांच कराना चाहे, वे इसके लिए तैयार हैं। अब कौशिक के अगले कदम पर निगाहें टिकी हुई है। अभी जब तक दिल्ली में एनडीए की सरकार बन न जाए, तब तक तो कौशिक के हिमायती यह चुनौती भी नहीं दे सकते कि मामले की सीबीआई से जांच करा ली जाए। महिलाओं की शिकायत मनमाने तरीके से खारिज करने के नुकसान देश भर में जगह-जगह समय-समय पर आते रहे हैं, और छत्तीसगढ़ में धरम कौशिक को लेकर पहले से कई अप्रिय चर्चाएं हवा में रही हैं, इसलिए इस शिकायत को खारिज करना भाजपा के कई लोगों के गले नहीं उतर रहा है। फिलहाल भाजपा नेत्री हर्षिता पांडेय महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नहीं हैं, इसलिए बखेड़ा बढऩे पर इसी आयोग से कोई नोटिस भी आ सकता है।