राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : प्रवक्ता और कैद
02-Jun-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : प्रवक्ता और कैद

कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के एक प्रवक्ता आर.पी. सिंह को एक अखबार के संपादक के साथ-साथ छह महीने कैद सुनाई गई है। आर.पी. का बयान इस अखबार में छपा था जिस पर उस वक्त छत्तीसगढ़ सरकार के सबसे ताकतवर अफसर अमन सिंह और उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे, और उनके दुबई भाग जाने की बात कही गई थी। रायपुर की अदालत में यह तीसरा या चौथा ऐसा मामला है जिसमें अमन सिंह मानहानि का मुकदमा जीते हैं, और उन पर आरोप लगाने वाले लोगों को सजा हुई है। उनका दायर किया हुआ ताजा मुकदमा भोपाल की एक अदालत में है जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस के एक और प्रवक्ता विकास तिवारी पर मानहानि का केस किया है। 

अदालतों का रूख सरकार से परे का भी रहता है, और चर्चाएं चाहे जो हों, अदालतों के फैसले कई बार सरकार या सत्तारूढ़ लोगों के खिलाफ भी आते हैं। ऐसे में कांगे्रस और भाजपा को, दोनों को अपने प्रवक्ताओं को मानहानि के कानून की थोड़ी सी समझ देना चाहिए। दोनों ही पार्टियों में बहुत से वकील हैं, और अदालतों से फैसले भी बहुत से होते रहते हैं, इसलिए मिसालें कम नहीं हैं। पार्टी के विधि प्रकोष्ठ और मीडिया प्रकोष्ठ को एक साथ बिठाकर दस-बीस फैसलों पर चर्चा होनी चाहिए। पार्टियों की बयानबाजी सुधर जाए तो उनके चक्कर में साथ में पिसने वाले अखबार भी बचेंगे। आमतौर पर लोगों के दिए गए बयानों पर अखबार भी कुछ लापरवाही बरततें हैं, और बातों को ज्यों का त्यों छाप देते हैं। मानहानि का कानून टीवी या अखबार को कोई रियायत नहीं देता है, इसीलिए बड़े-बड़े अखबारों के संपादक भी कम से कम जिला अदालतों से तो सजा पा ही जाते हैं, बाद में ऊपरी अदालत में पहुंचने तक या तो समझौते का रास्ता निकाला जाता है, या फिर फैसले पलटते भी हैं। कांग्रेस और भाजपा इन दोनों को चाहिए कि अपने प्रवक्ताओं और नेताओं को फिजूल की कानूनी दिक्कत में पडऩे से बचना सिखाएं क्योंकि सजा के लायक बयानबाजी हवा में गंदगी भी घोलती है।
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