राजपथ - जनपथ

प्रदेश पुलिस ने गांजा तस्करी के जितने भी मामले पकड़े हैं उनमें से अधिकांश गांजा ओडिशा के कालाहांडी और मलकानगिरी जिले से आता मिला है। नक्सल प्रभावित इन दोनों जिलों के जंगलों से गांजा निकलता है, जो ओडिशा सीमा से लगे रायगढ़, सरायपाली, बसना, सांकरा, पिथौरा, कोमाखान, मैनपुर, गरियाबंद, कांकेर, जगदलपुर से होकर छत्तीसगढ़ दाखिल होते हुए दीगर प्रदेशों के लिए निकलता है। इन जिलों में गांजे की खेती शायद इसलिए भी अधिक होती है कि वहां के जंगलों तक पहुंचकर गांजे की फसल को तबाह करने की हिम्मत नक्सलियों की वजह से किसी सरकारी अमले की पड़ती नहीं है।
तस्करी के लिए कई तरीके निकाले जाते रहे हैं। खुफिया चेंबर बने ट्रक पकड़ाते रहे तो अब टमाटर, कटहल, कद्दू आदि सब्जियों के नीचे गांजा रखकर ले जाते तस्कर पकड़े जा चुके हैं। इन दिनों तस्करों ने मौसम के मुताबिक आम को गांजा तस्करी का जरिया बना लिया है। आमों के नीचे गांजे के पैकेट! आम की खुश्बू में गांजे की महक दब जाती है पर इसी ने तस्करों का राज खोल दिया। कोरबा जिले के एक कस्बे में ट्रक पर बंदरों ने धावा बोल दिया। आम की जमकर दावत ली और उधर नीचे रखे गांजे से भरे बोरे सामने आ गए। सत्तर लाख का गांजा पुलिस ने बरामद किया। पुलिस महकमे के लिए अब तक खोजी कुत्ते काम करते आए हैं, यहां अनजाने ही सही, जंगल के इन बजरंगबलियों ने पुलिस की राह आसान कर दी।
महुआ, आदिवासी और हाथी
महुआ आदिवासियों की जीवनरेखा है। फूल-फल से लेकर पत्ते तक इन्हें रोजगार देता है। महुआ का फूल हाथी को लुभाता है, इनका प्रिय आहार भी है। आदिवासियों की तरह हाथियों को भी महुए की शराब काफी पसंद है। इसकी गंध कई कोस दूर से सूंघ लेते हैं। गंध मिलते ही वे उस ओर चलने लगते हैं। प्राय: देखा गया कि गांव की उन झोपडिय़ों और घरों पर हमला करते हैं जहां कच्ची शराब बन रही हो या जहां से शराब की गंध आ रही हो। घर में घुसकर हाथी शराब पी जाते हैं और फिर नशे में अधिक उपद्रव मचाने लगते हैं। सरगुजा-कोरिया के कई आदिवासियों की तब मौत हुई जब वे घर में मदमस्त थे या फिर शराब पीकर हाथियों के सामने आ गए।
बस्तर पहले हाथियों की आमद से महफूज था पर इन दिनों ओडिशा से भटककर कांकेर के परलकोट इलाके, नांदगाव मानपुर के जंगलों में हाथी जोड़े पहुंचने की खबर है। यह इलाका आदिवासी बहुल है और घरों में शराब बनना आम है। यहां के आदिवासियों को इसकी जानकारी कम है कि शराब से हाथी खिंचतेे हैं, उग्र हो जाते हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों का कहना है कि वन विभाग को चाहिए कि इसके लिए अभियान छेड़कर बस्तर के आदिवासियों को सचेत करे वरना हाथियों का ऊधम यहां भी शुरू हो जाएगा।
वीडियो ले जाकर योगी को दिखाएं
एक पत्रकार को पुलिस ने केवल इसलिए गिरफ्तार किया कि उसने किसी महिला के उस वीडियो को ट्वीट कर दिया था, जिसमें उसने दावा किया था कि उसने उप्र के मुख्यमंत्री योगी के साथ शादी करने का प्रस्ताव भेजा है। ब्रम्हचर्य का पालन करने वाले संन्यासी योगी को बुरा लगना स्वाभाविक है पर उन्होंने संन्यास व्रत पालन के साथ ही मुख्यमंत्री के रूप में राजकाज के दायित्व की भी शपथ ली है। यह उन्हें ध्यान रखना चाहिए। पौराणिक आख्यानों में संन्यासियों के व्रत तोडऩे तप भंग करने के लिए उर्वशी, मेनका, रंभा जैसी अप्सराओं का जिक्र करते कई कथाएं प्रचलित हैं। स्वामी विवेकानंद को भी विदेश में किसी कन्या ने आमंत्रण दिया था ताकि वह उनसे उनके जैसी ही संतान प्राप्त कर सके। तब विवेकानंद ने इस आमंत्रण का जवाब दिया था कि वह उन्हें ही अपनी संतान स्वीकार कर ले। संन्यास धर्म के साथ राजधर्म का पालन कर रहे योगी आदित्यनाथ को इस तरह की घटना ने उत्तेजित कर दिया, यानी एक तरह से उनकी तपस्या भंग हो गई। यह घटना याद दिलाती है कि एक वक्त देश के सबसे चर्चित संन्यासी-राजनेता, छत्तीसगढ़ के पवन दीवान से जब भी उनके ब्रम्हचारी रहने को लेकर कोई मजाक किया जाता था, तो वे एक आम इंसान की तरह मजाक का खूब मजा लेते हुए इतनी जोरों का ठहाका लगाते थे कि कोई मजाक उन पर चिपकता नहीं था। वे संन्यासी भी थे, मंत्री भी थे, और हास्यबोध से भरपूर भी थे। किसी को पवन दीवान के ठहाकों के वीडियो ले जाकर योगी को सिखाना चाहिए कि ब्रम्हचर्य के साथ हँसना भी मुमकिन है।
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