राजपथ - जनपथ

बस्तर के पखांजूर वाले इलाके में बैंकों और एटीएम में नोट की कमी की शिकायत को अब महीनों हो रहे हैं। कुछ बरस पहले जब नोटबंदी हुई थी, और मोदी सरकार ने देश में कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के दावे किए थे, वे बाकी देश में तो सही साबित नहीं हो सके, लेकिन बस्तर के इस इलाके में जरूर अर्थव्यवस्था कैशलेस चल रही है। यह इलाका सदियों तक बिना किसी नोट-सिक्कों के सामानों की अदला-बदली पर जीते रहा, और अब मानो हालत फिर वैसी ही हो रही है। इस इलाके में नक्सलियों की बड़ी मौजूदगी के चलते बैंकों की नगदी सुरक्षा बलों के हेलीकाप्टरों से ही होती थी, लेकिन चुनावों के चलते ये खाली नहीं रहे, और नोट पहुंच नहीं पाए।
अब हालत यह है कि दारू दुकानों में जो नगदी पहुंच रही है, वह जब बैंकों में जमा होती है, तो किसानों और दूसरे लोगों को बैंकों से भुगतान मिल पाता है। बस्तर के विधायक और मंत्री रहे भाजपा के महेश गागड़ा ने आज सुबह फेसबुक पर कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा है- गंगाजल की कसम विशेषांक, बीजापुर में शराब दुकान में तय रेट से अधिक पर मिल रही है शराब। शराब का पैसा बैंकों में जमा होने के बाद वहां हो पा रहा है लेन-देन। बैंकों में नगद नहीं है, और किसान से लेकर तेंदूपत्ता संग्राहक तक परेशान हाल में रोज आ-जा रहे हैं।
अब अधिक लोगों को तो यह याद भी नहीं होगा कि यह गंगाजल का जिक्र कहां से और क्यों आ गया?
लेकिन कांग्रेस की राजनीति को याद रखने वालों को याद हो सकता है कि विधानसभा चुनावों के पहले जब छत्तीसगढ़ कांग्रेस घोषणापत्र जारी कर रही थी तब दिल्ली से आए कांग्रेस के एक बड़े नेता ने हाथ में गंगाजल लेकर कई किस्म की कसमें खाई थीं, और जिसे लेकर बाद में पार्टी के भीतर भी कुछ खलबली मची थी कि अचानक यह गंगाजल किसे सूझा और कैसे मीडिया के सामने ही उसे पेश कर दिया गया। पार्टी के लोगों को याद होगा कि प्रदेश के कांग्रेस मीडिया प्रभारी शैलेष नितिन त्रिवेदी को भी हाथ में गंगाजल पहुंच जाने के पहले तक इसकी खबर नहीं थी। लेकिन जब पार्टी की जीत हो गई तो बाकी सब बातें हाशिए पर चली जाती हैं। महेश गागड़ा ने शायद यही बात याद रखी है।
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