राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सांसदों के सम्मान में कमी?
25-Jun-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सांसदों के सम्मान में कमी?

नए-नवेलेे भाजपा सांसद भूपेश बघेल सरकार से नाखुश चल रहे हैं। सांसदों की शिकायत है कि सरकार प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रख रही है। मसलन, पिछले दिनों योग दिवस पर सभी जिलों में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इन कार्यक्रमों में सांसदों को भी अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। कई जगहों पर सत्तारूढ़ विधायक मुख्य अतिथि थे जबकि अध्यक्षता सांसदों से करवाई गई। रायपुर में तो शंकर नगर ओवरब्रिज के उद्घाटन कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में सांसद सुनील सोनी का नाम आमंत्रण पत्र में छपा था, लेकिन उन्हें विधिवत इसकी कोई सूचना तक नहीं दी गई। और तो और आमंत्रण पत्र भी विभाग के चपरासी के हाथों भेजा गया। अभी तो सांसद  चुप हैं, लेकिन आने वाले दिनों में इसी तरह का प्रोटोकॉल का फिर उल्लंघन होता है, तो वे सामूहिक रूप से विरोध दर्ज करा सकते हैं। 


पुलिस का हाल खासा बेहाल...
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के अपने जिले दुर्ग का पुलिसिया हाल खासा गड़बड़ है। अभी भिलाई में दिनदहाड़े खुली सड़क पर एक स्कूली छात्रा का एक लड़के ने शायद एकतरफा प्रेम के चलते कत्ल कर दिया। अब पुलिस की जांच का हाल यह है कि कत्ल करने वाले लड़के को, और कत्ल के गवाह लोगों को पुलिस एक ही गाड़ी में बिठाकर इधर से उधर ले गई है। वर्दी को तो ऐसे में कोई खतरा नहीं रहता, लेकिन ऐसा खुला कत्ल करने वाले कातिल के ठीक सामने बैठे गवाहों का हौसला इससे पस्त न होता हो, ऐसा तो हो नहीं सकता। कुछ दूसरी जगहों पर छत्तीसगढ़ की पुलिस बलात्कार की शिकार लड़की या महिला को बलात्कार के अभियुक्त के साथ एक ही गाड़ी में मेडिकल जांच के लिए ले जा चुकी है। पुलिस की बहुत सी बैठकों में अफसरों के मुंह से महिलाओं के खिलाफ जिस तरह पूर्वाग्रह से ग्रस्त बातें सुनाई पड़ती हैं, उनसे यह साफ हो जाता है कि इस पुलिस में महिला को इंसाफ मिलने की गुंजाइश बड़ी कम है क्योंकि अधिकतर अफसर बलात्कार के मामलों में महिला को जिम्मेदार ठहराने पर उतारू दिखते हैं। और तो और महिला पुलिस अफसर भी अक्सर इसी रूख की दिखती हैं कि बलात्कार की अधिकतर शिकायतें फर्जी होती हैं। भूपेश-सरकार के सामने लंबा कार्यकाल बाकी है, और उसे सरकारी मशीनरी को संवेदनशील बनाने पर भी मेहनत करनी चाहिए जो कि एक मुश्किल और धीमा काम है, और जो चुनाव पास रहने पर किसी प्राथमिकता में नहीं आ सकता। 

खेल संघों का निशाना...
प्रदेश के खेल संघ सीएम भूपेश बघेल को अपना मुखिया बनाने के लिए बेताब हैं। खेल संघों के कई पदाधिकारी तो इतने प्रभावशाली हैं कि विभाग भी उनके आगे नतमस्तक रहता है। सीएम ही ओलंपिक संघ के अध्यक्ष बनते रहे हैं। पहले अजीत जोगी, फिर रमन सिंह और अब भूपेश बघेल भी अध्यक्ष बनने की राह में हैं। सीएम अध्यक्ष बनने से प्रभावशाली पदाधिकारियों की निकल पड़ती है। सीएम से नजदीकी बनाकर अनुदान पर निगाहें रहती है। सुनते हैं कि भिलाई के एक प्रभावशाली खेल पदाधिकारी अनुदान का बड़ा हिस्सा अपने संघ को आबंटित कराने की कोशिश में जुटा है। उन्हें कुछ खेल अफसरों का साथ मिल रहा है। अगर इसमें सीएम की नजरें इनायत हो जाती हैं, तो बड़ा 'खेल' हो सकता है। खैर, फिलहाल तो सीएम की ताजपोशी का इंतजार किया जा रहा है। ([email protected])

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