राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दोनों अध्यक्ष बस्तर के?
27-Jun-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  दोनों अध्यक्ष बस्तर के?

नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की खोज चल रही है। चूंकि स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने बस्तर से अध्यक्ष बनाने की वकालत की थी। यह तकरीबन तय माना जा रहा है कि बस्तर के नेता को ही प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जाएगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस सिलसिले में पूर्व मंत्री मनोज मंडावी और कोंडागांव के दूसरी बार के विधायक मोहन मरकाम का इंटरव्यू ले चुके हैं। दोनों में से अध्यक्ष कौन बनेगा, इसको लेकर पार्टी हल्कों में कई तरह की चर्चा है। सुनते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव, पूर्व मंत्री मनोज मंडावी को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में बताए जाते हैं। जबकि सीएम भूपेश बघेल, मोहन मरकाम का नाम आगे किया है। देखना है कि हाईकमान, दोनों में से किसकी राय को महत्व देता है। लेकिन इनमें से किसी के भी प्रदेश अध्यक्ष बनने से यह होगा कि कांगे्रस और भाजपा दोनों के प्रदेश अध्यक्ष बस्तर के रहेंगे, और राज्य सरकार और केंद्र सरकार, दोनों में सरगुजा से मंत्री रहेंगे। प्रदेश के दो आदिवासी इलाके बिल्कुल अलग-अलग किस्म के हैं, और इनकी राजनीति भी इनको अलग-अलग मानकर ही तय की जाती है। इसके पहले बस्तर से प्रदेश भाजपा के कोई अध्यक्ष नहीं बने थे, और वहां से मंत्री ही मंत्री रहते थे। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष अमूमन सरगुजा से आते थे। 

ताकतवरों की जांच...
प्रदेश के एक डीजी, गिरधारी नायक ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ एक लंबी जांच रिपोर्ट तो बना ली है, लेकिन ऐसी चर्चा है कि उसके आधार पर अगर मुकेश गुप्ता पर कोई कार्रवाई करनी हो, तो उस पर सरकार को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। जांच रिपोर्ट में बहुत सी बातें ऐसी भी जुड़ जाती हैं जिनको अदालत में साबित करना मुमकिन नहीं रहता है। इसीलिए जांच रिपोर्ट का वजन मुकदमे के मुकाबले बहुत कम रहता है। अब सरकार के सामने एक दिक्कत यह है कि मुकेश गुप्ता, अजीत-अमित जोगी, पुनीत गुप्ता के खिलाफ इतने सारे मामले खड़े हो गए हैं कि उन्हें पहले तो जांच में, और फिर अदालत में किसी तर्कसंगत-न्यायसंगत नतीजे तक कैसे पहुंचाया जाए? एक चर्चा यह भी सुनाई पड़ती है कि जांच में लगे हुए कई अफसर किसी और जगह जाने की फिराक में भी हैं। जिन लोगों के खिलाफ मामले हैं, उन्हें इतने बड़े-बड़े वकीलों की मदद हासिल है, या जोगी पिता-पुत्र हैं जो कि मुकदमेबाजी के बड़े लंबे तजुर्बेकार हैं, इसलिए वे बरसों तक किसी फैसले से दूर चल सकते हैं। जांच में लगे अफसरों को भी उम्मीद है कि इस बीच वे खिसक पाएंगे, और उनका खिसकना लोगों के बचने के लिए भी मददगार हो सकता है। कुल मिलाकर ये सारी जांच बहुत आसान नहीं रह गई हैं।
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