राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : विधायक लग गए बचाने में
01-Jul-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : विधायक लग गए बचाने में

छत्तीसगढ़ राज्य के दवा निगम में भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं। सरकार ने निगम में भ्रष्टाचार की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। चर्चा है कि निगम के पूर्व एमडी का करीबी दुर्ग का एक ट्रांसपोर्टर भी भ्रष्टाचार के लपेटे में आ सकता है। सुनते हैं कि एमडी ने ट्रांसपोर्टर को दवा सप्लायर बना दिया था। और ट्रांसपोर्टर ने करोड़ों की दवा सप्लाई भी की। अब प्रकरण की जांच शुरू हो रही है, तो जांच-पड़ताल को प्रभावित करने की हर स्तर पर कोशिश हो रही है। इसके लिए कांकेर जिले के एक कांग्रेस विधायक की मदद भी ली जा रही है। ट्रांसपोर्टर का कांकेर जिले में बड़ा काम है और कांग्रेस विधायक को अक्सर उनके साथ देखा जा सकता है। अब विधायक महोदय, जांच-पड़ताल की रफ्तार को धीमा करने में कितनी मदद कर पाते हैं, यह देखना है, वैसे एमडी रहे हुए इस आईएफएस को अब बाकी जिंदगी, और कई पीढिय़ों के लिए कोई काम करने की जरूरत रह नहीं गई है, बस इतना सब कुछ बाहर रह जाए, और खुद भीतर चला जाए, ऐसा न हो इसी की कोशिश चल रही है।

राहुल पूछते हैं कल्लूरी के बारे में
सरकार में सबसे ऊपर के लोगों के बीच यह चर्चा होती है कि पूरे छत्तीसगढ़ के पुलिस अफसरों में राहुल गांधी अकेले कल्लूरी के बारे में ही पूछताछ करते हैं क्योंकि देश के अलग-अलग बहुत से तबकों के लोगों ने राहुल गांधी से कई बार बस्तर में कल्लूरी के काम के बारे में बताया है। अब जब तीनों एडीजी हो गए हैं, तो दुर्ग में आईजी की कुर्सी पर एडीजी हिमांशु गुप्ता हैं, और चुनाव के पहले के प्रभारी आईजी, डीआईजी डांगी भी वहीं पर उन्हीं के दफ्तर में हैं जिन्हें राजनांदगांव जिले का प्रभार दिया गया है। एक ही आईजी रेंज में अधिक काम न होने से हो यह रहा है कि डांगी बच्चों की पे्ररणा के लिए लेख लिखकर चारों तरफ भेज रहे हैं। यह एक अलग बात है कि राजधानी रायपुर में पुलिस ने जो एक नया स्कूल शुरू करने की तैयारी की थी, और जिसके लिए डीएवी नाम के शैक्षणिक संस्थान से समझौता हो रहा था, वह स्कूल अधर में लटका हुआ है। डीएवी की अपनी स्कूलों का खराब नतीजा देखते हुए मुख्यमंत्री की बैठक में इसका नाम खारिज कर दिया गया, और अब पुलिस महकमा अपने भीतर से एसपी के दर्जे का प्राचार्य और बाकी नीचे के कर्मचारी ढूंढ रहा है ताकि स्कूल शुरू हो सके। रतनलाल डांगी को बच्चों की जितनी फिक्र है उसे देखते हुए स्कूल का प्रिंसिपल बनाना भी अच्छा काम हो सकता है।

मीडिया की जुबान...
मीडिया की जुबान बड़ी तेजी से जनता की असल जिंदगी में भी इस्तेमाल होने लगती है। अभी रायपुर के एक मॉल में कपड़ों के एक बड़े ब्रांड की सेल लगी हुई है और एक परिवार में लड़की ने पिता से कहा कि उसे वहां से कुछ कपड़े दिलवा दें। पिता खुशी-खुशी तैयार हुए, तो बेटा खड़ा हो गया कि एक ब्रांड के जूतों पर भी डिस्काउंट चल रहा है, और वह भी मॉल चलेगा, जूते लेने के लिए। अब घर में अकेले बच गई महिला कहां पीछे रहती, उसने भी अपनी कई जरूरतों पर उसी मॉल में डिस्काउंट बताया, और कहा कि वह भी साथ जाएगी।
यह सब देखकर हड़बड़ाए हुए आदमी ने कहा-इसी को मॉब-लिंचिंग कहते हैं...

दुर्ग पुलिस में अटपटी बातें

पुलिस विभाग में लोगों की तैनाती में कई दिक्कतें चल रही हैं। अब दुर्ग में लोकसभा चुनाव के पहले डीआईजी रतन लाल डांगी को आईजी का काम दिया गया था। लेकिन चुनाव के दौरान यह नहीं चलता, इसलिए हिमांशु गुप्ता को आईजी बनाकर भेजा गया जिन्हें कि उस वक्त तक प्रमोशन पाकर एडीजी हो जाना था। खैर, प्रमोशन लेट होता गया और डीपीसी हो जाने के बाद भी महीनों तक वह फाईल रूकी रही क्योंकि जिन तीन आईजी को एडीजी होना था, उसमें से एक, एसआरपी कल्लूरी की शोहरत देश भर में ऐसी थी कि सरकार लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें प्रमोशन देना नहीं चाहती थी। नतीजा यह हुआ कि हिमांशु गुप्ता और जीपी सिंह भी महीनों तक आईजी ही बने रहे, और फाईल पर उनका प्रमोशन प्रस्तावित होकर पड़े रहा।

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