राजपथ - जनपथ
भाजपा में नए सदस्य बनाने का काम चल रहा है। बाकी राज्यों में तो यह अभियान जोर-शोर से चल रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में पार्टी नेता रूचि नहीं ले रहे हैं। राजनांदगांव के सांसद संतोष पाण्डेय प्रदेश में सदस्यता अभियान के प्रभारी हैं। अभियान से जुड़े लोग दावा कर रहे हैं कि नए सदस्यों की संख्या बढ़ रही है। मगर, पार्टी के अंदरूनी सूत्र इसको नकार रहे हैं। पिछली बार मिस्डकॉल के जरिए 50 लाख सदस्य बनाने का दावा किया गया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में कुल मिलाकर 47 लाख वोट ही मिले।
सुनते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद अमित शाह ने संगठन के प्रमुख नेताओं को जमकर फटकार लगाई थी। उनका स्पष्ट मानना था कि सदस्यता अभियान के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ है। यदि वास्तव में 50 लाख सदस्य बनाए गए होते, तो पार्टी चौथी बार सरकार बनाने में कामयाब रहती। इस बार के सदस्यता अभियान पर पार्टी हाईकमान की निगाह टिकी हैं।
बी.सतीश और सौदान
भाजपा के शीर्ष स्तर पर संगठन में बड़ा फेरबदल हुआ है। पार्टी के महामंत्री (संगठन) की जिम्मेदारी रामलाल की जगह फिलहाल बी सतीश को दी गई है। भाजपा में महामंत्री (संगठन) की हैसियत काफी ऊंची होती है और वे राज्यों में संगठन के गुटीय समीकरण को प्रभावित करते हैं। बी सतीश और सौदान सिंह, दोनों बराबरी के पद थे। पर अब सतीश का कद एक कदम बढ़ा है।
बी सतीश, कभी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे के सचिव रह चुके हैं। उनकी संभावित नियुक्ति के बाद पार्टी के भीतर सवाल उठ रहे हैं कि सौदान सिंह का क्या होगा? सौदान सिंह के हिसाब से प्रदेश भाजपा संगठन की गतिविधियां चलती रही है। लखीराम अग्रवाल, बलीराम कश्यप, दिलीप सिंह जूदेव जैसे नेताओं के गुजरने के बाद सौदान सिंह की ताकत काफी बढ़ी। इन नेताओं के रहते सौदान सिंह कभी भी मनमानी नहीं कर पाए। सौदान के खिलाफ पार्टी के कई नेताओं ने मोर्चा खोल रखा था।
सुनते हैं कि इन नेताओं ने रामलाल से शिकायत भी की थी। रामलाल भी सौदान सिंह को ज्यादा पसंद नहीं करते थे। मगर, बी सतीश के आने के बाद सौदान सिंह की हैसियत में कोई कमी आएगी, ऐसा लगता नहीं है। कई नेता बताते हैं कि बी सतीश से सौदान के बहुत अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में सौदान की ताकत और बढ़ सकती है। मगर, कुछ लोग याद दिलाते हैं कि बी सतीश के पास लंबे समय तक गुजरात का प्रभार रहा है। उस वक्त नरेन्द्र मोदी गुजरात के सीएम थे। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि मोदी-शाह जो चाहेंगे, वही होगा। यानी कुछ लोग अभी भी सौदान का पॉवर घटने की उम्मीद से है।