राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भले की फजीहत, बुरों की हँसी
20-Jul-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भले की फजीहत, बुरों की हँसी

भारतीय वन सेवा के अफसर एसएस बजाज के खिलाफ बिना अनुमति सिंगापुर यात्रा की पड़ताल चल रही है। बजाज सबसे ज्यादा समय तक नया रायपुर विकास प्राधिकरण के सीईओ पद पर रहे। एक तरह से नया रायपुर में जो भी कुछ डेवलपमेंट हुआ है, कुछ हद तक उन्हें ही श्रेय जाता है। उनकी साख भी अच्छी रही है। परंतु विधानसभा में उनके खिलाफ मामला उठने पर आईएफएस अफसरों में हलचल है। 

सुनते हैं कि बजाज ने अपने खर्चें से विदेश यात्रा पर जाने के लिए दो महीने पहले विधिवत विभाग से अनुमति मांगी थी। उनका पूरा परिवार सिंगापुर में एकत्र होने वाला था। इसी बीच विभाग के सचिव बदल गए। अनुमति की फाइल इधर-उधर घूमती रही। न तो आवेदन निरस्त किया गया और न ही स्वीकृति दी गई। यह भी कहा जा रहा है कि बजाज ने विदेश जाने से पहले अपर मुख्य सचिव (वन) को  फोन से सूचित भी किया था। विदेश यात्रा के लिए 21 दिन पहले अनुमति लेनी होती है। यदि आवेदन निरस्त नहीं किया जाता है तो अनुमति स्वयमेव मान लिया जाता है। ऐसे में बजाज विदेश यात्रा पर निकल पड़े। लौटकर आए तो उनके खिलाफ जांच खड़ी हो गई। हालांकि विभागीय मंत्री मो. अकबर को नियम-कायदे के मुताबिक काम करने वाला माना जाता है। ऐसे में बजाज से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि हकीकत जानने पर उन्हें राहत मिल जाएगी। वन विभाग में कम ही लोग इतनी अच्छी साख वाले हैं, और उनकी फजीहत होते देखकर कई ऐसे आईएफएस खुश हो रहे हैं, जिनकी जगह जंगल में नहीं जेल में होनी चाहिए थी।

रायपुर से अगरतला
रायपुर के 7 बार सांसद रहे रमेश बैस पूरे ही समय पान-मसाला और तंबाकू चबाते रहते हैं। लेकिन वे जिस त्रिपुरा में राज्यपाल बनकर जा रहे हैं, वहां उन्हें कोई सांस्कृतिक दिक्कत नहीं होगी क्योंकि उस राज्य में सुपारी पैदा होती है, और खूब चबाई जाती है। त्रिपुरा का राजभवन एक पुराना महल है, और जिस तरह लखनऊ वगैरह के पुराने महलों में पीकदान का चलन रहता था, वैसा ही चलन रमेश बैस के वहां पहुंचने पर फिर शुरू हो जाएगा। छत्तीसगढ़ के पहले राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय यहां से त्रिपुरा के गवर्नर बनाकर भेजे गए थे, और उनके परिचित लोगों को हर वर्ष दीवाली पर उनका जो कार्ड मिलता था उस पर राजभवन की तस्वीर ही छपी रहती थी। छत्तीसगढ़ी लोगों को ऐसे विशाल राजभवन में राज्यपाल का मेहमान बनकर ठहरने का अब खूब मौका मिलेगा, और लगे हाथों उत्तर-पूर्व के बाकी राज्यों को भी छत्तीसगढ़ी सैलानी मिलने लगेंगे। ([email protected])

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