राजपथ - जनपथ
मुकेश गुप्ता के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई पर कैट ने रोक लगा दी है। गुप्ता की तरफ से तर्क दिया गया है कि उन्होंने नान-जल संसाधन घोटाले को उजागर किया था, इसलिए प्रभावशाली लोग उनके पीछे पड़े हैं और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। कैट ने इस प्रकरण पर सरकार के जवाब भी मांगा है। मुकेश गुप्ता के करीबियों को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें राहत मिल जाएगी। मगर, यह सबकुछ आसान नहीं है।
निलंबन खत्म भी हो जाएगा, तो भी मुकेश गुप्ता को ड्यूटी ज्वाइन करने में दिक्कत हो सकती है। वजह यह है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी ने उनके खिलाफ जांच की कार्रवाई तकरीबन पूरी कर ली है और उनके खिलाफ चालान पेश कर सकती है। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। यही नहीं, मिक्की मेहता प्रकरण में भी उनके खिलाफ साक्ष्य पाए गए हैं और जल्द ही एक और जुर्म कायम हो सकता है। इसके अलावा भिलाई में साडा से प्लॉट आबंटन मामले में उनके खिलाफ एक प्रकरण और दर्ज है। यानी साफ है कि वे यहां आते हैं तो पुलिस के हत्थे चढ़ जाएंगे और निलंबन खत्म होने के बाद ड्यूटी ज्वाइन नहीं करते हैं तो एक बार और कार्रवाई हो सकती है। कुल मिलाकर मुकेश गुप्ता के लिए इधर कुंआ, उधर खाई वाली स्थिति है।
तबियत गड़बड़ाने की वजह
पिछले दिनों पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के दिल्ली दौरे के बीच खबर उड़ी कि उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बाद में पूर्व सीएम के करीबियों ने इसका खंडन किया और कहा कि वे रूटीन चेकअप के लिए गए थे। मगर, भाजपा के कई लोग बताते हैं कि वाकई रमन सिंह की तबियत बिगड़ गई थी। और वे इसके लिए लाभचंद बाफना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सुनते हैं कि रमन सिंह केन्द्रीय मंत्री-सांसदों से मिलने संसद भवन गए थे। उनके साथ लाभचंद बाफना भी हो लिए। वहां सेंट्रल हॉल में मेल मुलाकात के दौरान पकौड़ों का भी दौर चलता रहा। लाभचंद बाफना एक के बाद एक प्लेट में रमन सिंह के लिए पकौड़े मंगवाते रहे। वैसे तो, पूर्व सीएम खान-पान को लेकर काफी सतर्कता बरतते हैं, लेकिन लाभचंद की जिद के आगे उनकी नहीं चली और हरी चटनी के साथ तीन-चार प्लेट पकौड़े खा लिए। बाद में उन्हें तेज एसिडिटी और सीने में जलन होने लगी। इसके बाद उन्हें मेदांता अस्पताल ले जाया गया। वहां गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट ने उनका इलाज किया। तब कहीं जाकर थोड़ी देर बाद उन्हें राहत मिली फिर पूरा हेल्थ चेकअप कराकर ही लौटे।
जांच किसकी, और किसकी नहीं...
कल पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश निकाला कि 2010 से 2015 के बीच जिन लोगों को आऊट ऑफ टर्न प्रमोशन दिए गए हैं, उनकी जांच की जाए। इसके लिए बड़े अफसरों की एक कमेटी भी बना दी गई है। लेकिन इस जांच में वे लोग भी घेरे में रहेंगे जो बिना पात्रता प्रमोशन पा चुके हैं। ऐसे कई लोग मुकेश गुप्ता के चढ़ाए हुए कई मंजिल ऊपर जा बैठे हैं, और चूंकि मामला अब कैट और अदालत तक गया हुआ है इसलिए शायद सरकार सावधानी से चल रही है, और चुनिंदा लोगों की जांच के बजाय इन पांच बरसों के ऐसे सभी मामलों की जांच की जा रही है। पीएचक्यू के एक जानकार आईपीएस ने कहा कि अब सरकार चाहे तो इन पांच बरसों में डीएसपी से प्रमोशन पाने वाले लोगों की जांच भी करवा सकती है जिन्होंने विभागीय परीक्षाएं पास नहीं की हैं, और प्रमोशन पाकर ऊपर पहुंच चुके हैं। विभागीय परीक्षा की शर्त से किन-किन लोगों को कैसे ढील दी गई, यह भी देखने लायक बात है।
एक दूसरे अफसर का कहना है कि सभी अफसरों के पासपोर्ट जांचे जाएं, तो यह पता चल जाएगा कि बिना इजाजत पुलिस के छोटे-छोटे अफसर भी किस तरह तफरीह के लिए विदेश जाते-आते हैं। ([email protected])