राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सुबोध दिल्ली की ओर
21-Aug-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सुबोध दिल्ली की ओर

सुबोध दिल्ली की ओर

श्रम सचिव सुबोध सिंह जल्द ही केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। पहले भी उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अनुमति नहीं मिल पाई थी। सुनते हैं कि उन्होंने दोबारा आवेदन देकर प्रतिनियुक्ति जाने की इच्छा जताई है। वे केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव पद के लिए इम्पैनल हो चुके हैं। राज्य सरकार भी उनके कॅरियर को देखकर कोई ज्यादा रोकने के मूड में नहीं है। वैसे भी सोनमणि बोरा विदेश प्रवास से लौट आए हैं। ऐसे में संभावना है कि सुबोध सिंह को केंद्र में जाने की अनुमति मिल जाएगी। वर्तमान में केंद्र सरकार में आधा दर्जन अफसर पदस्थ हैं। ये सभी पिछली सरकार के रहते ही वहां चले गए थे। 

वर्तमान में अमित अग्रवाल, निधि छिब्बर, विकासशील केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के पद पर हैं। रोहित यादव भी संयुक्त सचिव पद के लिए इम्पैनल हो चुके हैं। यादव केंद्र सरकार में पहले से ही पदस्थ हैं और वे वहां संयुक्त सचिव के पद पर प्रमोट हो जाएंगे। यहां खाद्य सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह भी संयुक्त सचिव पद के लिए इम्पैनल हो चुके हैं। 

लैंडयूज बदल सकेंगे?
एक तरफ तो देश भर के हर राज्य में निर्माण में मनमानी रोकने के लिए बिल्डरों और कॉलोनाईजरों पर लगाम लगाने रेरा नाम की संस्था बनाई गई है। दूसरी तरफ सरकार को ऐसा लगता है कि वह अपनी कॉलोनियों में अपने खुद के नियम चला सकती है जबकि वहां रहने वाले, वहां मकान और प्लॉट खरीदने वाले भी ऐसे फैसलों के खिलाफ रेरा जा सकते हैं। 

छत्तीसगढ़ में राजधानी के रायपुर विकास प्राधिकरण को पिछली सरकार के चलते जो लंबा-चौड़ा घाटा हुआ है उससे उबरने के लिए इस संस्था के विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि कमल विहार के भू-उपयोग को बदलकर उसे महंगे दाम पर बेचकर घाटा पूरा किया जाएगा। लेकिन लोगों को याद होगा कि आरडीए को भी नगर एवं ग्राम निवेश से अपनी कॉलोनी का नक्शा पास करवाना पड़ता है जिसमें हर तरह का भू-उपयोग दर्ज रहता है। ऐसे में अगर कोई फेरबदल होता है, किसी जमीन को महंगे भू-उपयोग का बनाकर बेचा जाता है, तो यह उस कॉलोनी के लोगों के अधिकारों के खिलाफ रहेगा, और वे रेरा भी जा सकते हैं, और अदालत भी जा सकते हैं क्योंकि कमल विहार का मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाकर वहां तय हुआ है।

छत्तीसगढ़ में रेरा ने पिछले महीनों कॉलोनियों और रिहायशी इमारतों में बिल्डर-कॉलोनाईजर द्वारा किए गए फेरबदल या वहां वायदे पूरे न करने पर उनके खिलाफ फैसले दिए गए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आरडीए किस तरह यह काम करके बच सकता है।

 

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