राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : शिक्षामंत्री और सत्तारूढ़ विधायक
26-Aug-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : शिक्षामंत्री और सत्तारूढ़ विधायक

शिक्षामंत्री और सत्तारूढ़ विधायक
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर अभी जो बवाल हुआ, वैसा इस राज्य के बनने के बाद से कभी भी किसी विभाग में नहीं हुआ था। सत्तारूढ़ पार्टी के आधा दर्जन से अधिक विधायक सीधे शिक्षामंत्री के बंगले पर पहुंचे, और तबादलों की जो लंबी लिस्ट निकली है, उसमें खुले भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मंत्री पर भारी नाराजगी दिखाई। इनमें से कुछ विधायक विधानसभा अध्यक्ष के बंगले पर जाकर विरोध दर्ज करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने फोन पर ही मना कर दिया था कि मंत्री उनके मातहत नहीं है, और वे इस बारे में कुछ भी नहीं बोलेंगे, जो बात करनी है मंत्री से करें। मंत्री पर नाराजगी के बाद विधायक मुख्यमंत्री तक पहुंचे, और लेनदेन के बहुत से मामले बताए। स्कूल शिक्षा विभाग राज्य सरकार का सबसे बड़ा विभाग है और इसके कर्मचारी तमाम सरकारी कर्मचारियों का बहुत बड़ा हिस्सा होते हैं। ऐसे में सारे विधायकों, और विधायकों से भी बड़े-बड़े बहुत से कांग्रेस नेताओं, मंत्रियों की तबादला सिफारिशों को स्कूल शिक्षा मंत्री के बंगले पर रद्दी में डाल दिया गया, और बंगले पर काम करने वाले लोगों के मार्फत ही तबादले के सौदे हुए। 

सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों ने इसके बारे में अफसरों के नाम गिनाए हैं कि कौन से अफसर तबादला उद्योग चला रहे हैं, और इनके नाम लेकर मुख्यमंत्री को और संगठन के केन्द्रीय नेताओं को बताया गया है कि किस तरह आरएसएस और भाजपा के करीबी रहे अफसर लेन-देन करके तबादला लिस्ट बनाते रहे, और प्रदेश सरकार के कुछ सबसे बड़े लोगों के दिए हुए एक-दो नाम भी सैकड़ों की लिस्ट में नहीं आ पाए। पिछली भाजपा सरकार के समय स्कूल शिक्षा विभाग में जो दलाल अलग-अलग स्कूल शिक्षा मंत्रियों के इर्द-गिर्द सक्रिय रहे, उनके स्टाफ में रहे, वे लोग भी अभी पर्दे के पीछे से मोलभाव में लगे रहे, और उनके करवाए काम बड़े भरोसे के साथ हो गए। 

बैटरी की तरह फूले पुल गिरे तो ? 
राज्य के सबसे बड़े निर्माण विभाग पीडब्ल्यूडी का भ्रष्टाचार दिन में दो की रफ्तार से सामने आ रहा है। इस विभाग के बनवाए हुए राजधानी के ही महंगे निर्माणों में घटिया काम, घटिया सामान, और तकनीकी खतरे इतने सामने आ चुके हैं कि किसी दिन शहर के बीच किसी बड़े पुल की दीवार गिरे, और सैकड़ों लोग दबकर मर जाएं, तो भी हैरानी नहीं होगी। पिछली सरकार के भ्रष्टाचार और उसकी मनमानी की एक सबसे बड़ी मिसाल राजधानी के बीच बनाया गया स्काईवॉक है जो भूपेश सरकार के गले में फंसी हड्डी बन गया है जिसे न उगलते बन रहा है, न निगलते बन रहा है। सरकार जो भी फैसला करेगी, वह आलोचना ही लाएगा। लेकिन सरकार और सरकार के बाहर के जानकार लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि इस विभाग के बड़े-बड़े अफसर इतने घोटालों, इतनी गड़बडिय़ों, और इतने भ्रष्टाचार के बावजूद ज्यों के त्यों बने हुए हैं। कुछ लोगों का अंदाज है कि नई सरकार में मंत्री कमाई के जमे-जमाए ढांचे और उसे चलाने वाले अफसरों का रेडी-टू-यूज इस्तेमाल कर ले रहे हैं, बजाय नए ढांचे को खड़ा करने के। इस विभाग को लेकर इतने किस्म की अप्रिय चर्चाएं सरकार में चल रही हैं कि बदनामी विभागीय मंत्री से परे भी पहुंच रही है, और किसी भी सरकार को ऐसी बदनामी के असर का पता तुरंत नहीं चलता है, लेकिन पन्द्रह बरस की रमन सरकार के जाने में जनता के वोटों का जितना हाथ था, उसका बड़ा हिस्सा इस किस्म की बदनामी से ही आया था। 

सुनते हैं कि पीडब्ल्यूडी की कमाई को लेकर नेता और अफसर इस विभाग में बने रहने के लिए अपना दायां हाथ भी दान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। अभी ताजा खबर राजधानी के सैकड़ों करोड़ से बने एक्सप्रेस हाईवे की है जिसकी दीवार जगह-जगह उसी तरह फूली हुई दिख रही है जिस तरह घटिया मोबाइल फोन की बैटरी फूल जाती है। अब इसके किनारे से सारे वक्त लोग निकलते रहते हैं, और अगर दीवार गिरी तो फिर नुकसान का अंदाज भी नहीं लग सकता। 

भाजपाई अफसरों के मजे
राज्य सरकार के कई विभागों में पिछली भाजपा सरकार के वक्त पार्टी कार्यकर्ता की तरह काम करने वाले अफसरों में से कई ऐसे हैं जिनके इस सरकार में भी उसी रफ्तार से उतने ही मजे चल रहे हैं। सरकार में किनारे पड़े हुए कई लोग यह नजारा देखकर हैरान हैं कि भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले लोग आज मंत्री हैं, और उन्हीं मातहत लोगों को आज भी सिर पर बिठाकर रखा हुआ है।  ([email protected])

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