राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सीधे मंत्री का बेकाबू विभाग
07-Sep-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सीधे मंत्री का बेकाबू विभाग

सीधे मंत्री का बेकाबू विभाग

ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में दो-चार मंत्रियों को छोड़ दें, तो ज्यादातर के निजी स्टाफ गंभीर शिकायतों के घेरे में आए हैं। सबसे ज्यादा विवादित स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह का स्टाफ रहा है। उनके स्टॉफ के खिलाफ तो कई विधायकों ने भी सीएम से शिकायत की है। 

सुनते हैं कि प्रेमसाय ने शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए स्टाफ के कुछ लोगों को बदल दिया है, लेकिन जिनके खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायत है, उसे बदलने का हौसला नहीं दिखा पा रहे हैं। बात राजेश सिंह की हो रही है, जो कि स्कूल शिक्षा मंत्री बंगले में सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं। 

चर्चा तो यह है कि तबादलों में उन्हीं की मर्जी चली है। राजेश सिंह सरगुजा के ही रहने वाले हैं और उन्हें टीएस सिंहदेव का वरदहस्त हासिल है। लोगों को उस वक्त बड़ी हैरानी हुई थी जब कांगे्रस के विधायक पे्रमसाय सिंह और मुख्यमंत्री दोनों पर नाराजगी के साथ चढ़ बैठे थे, और उसके बाद भी सिंहदेव ने मीडिया से बात करते हुए पूरी तरह पे्रमसाय सिंह का पक्ष लिया था, और कांगे्रस के विधायकों को गलत करार दिया था। नाजुक मौके पर इतने बड़े नेता का इतना बड़ा साथ मंत्री को एक तरीके से बचा ले गया।

ऐसे में सीधे-सरल प्रेमसाय सिंह उन्हें चाहकर भी नहीं बदल पा रहे हैं। मगर मंत्री के स्टाफ की मनमानी को सीएम हाउस ने गंभीरता से लिया है और लेन-देन में लिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची तैयार हो रही है। संभव है कि कुछ को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए कहा जा सकता है। पे्रमसाय सिंह को उनके कुछ शुभचिंतकों ने भाजपा के स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप का चुनावी हाल गिनाते हुए सलाह दी है कि वे अपने आसपास के लोगों को बदलें, और विभाग को साफ-सुथरा करें।

अपनों की सुरक्षा चाहते हैं लोग...
छत्तीसगढ़ ने राज्य बनने के पहले से यह देखा हुआ है कि सरकार जब-जब लोगों को हेलमेट पहनाने के काम में लगती है, विपक्ष उसके खिलाफ खड़े हो जाता है, और इसे गैरजरूरी बताते हुए सड़कों पर विरोध करने लगता है। और फिर यह बात महज इस राज्य की नहीं है, अभी 2008 की एक कतरन सोशल मीडिया पर तैर रही है जिसमें महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडनवीस हेलमेट अनिवार्य करने के खिलाफ सड़कों पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं। अब वह कतरन उनका मुंह चिढ़ा रही है। छत्तीसगढ़ में भाजपा विपक्ष में तो है, लेकिन हेलमेट का विरोध नहीं कर पा रही है क्योंकि नया ट्रैफिक कानून नरेन्द्र मोदी का लागू किया हुआ है, और बाकी देश की तरह छत्तीसगढ़ में भी उस पर अमल करवाने की बात अमित शाह ने की है। इसलिए इस राज्य में भाजपा चुप है, और जिस कांग्रेस सरकार को इस पर अमल करवाना है, वह पीछे हट रही है क्योंकि एक तो राजनीतिक रूप से मोदी सरकार के फैसले का विरोध करना है, दूसरी बात यह कि सत्तारूढ़ पार्टी को डरा दिया गया है कि नए ट्रैफिक नियम से, या सिर्फ हेलमेट अनिवार्य करने से भी आने वाले म्युनिसिपल चुनावों में जनता की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। 

सत्ता के साथ कई दिक्कतें रहती हैं, कई मोर्चों पर वह बददिमागी की हद तक दुस्साहसी हो जाती है, और कई मौकों पर वह बात-बात में भयभीत भी होने लगती है। किसी कड़े कानून को लागू करने के नाम से ही सत्ता को पसीना छूटने लगा है, इस तरह भाजपा को समर्थन या विरोध में से कुछ भी करने की नौबत नहीं आ रही, जो भी हो रहा है वह कांग्रेस और कांग्रेस सरकार के भीतर हो रहा है। पार्टी और सत्ता को डराने वाले लोगों को यह समझ नहीं पड़ रहा है कि आम घरों में लोग चाहते हैं कि उनके लोग बाहर निकलें तो हेलमेट लगाकर सुरक्षित होकर आएं-जाएं, वे हेलमेट के खिलाफ नहीं रहते हैं। सिर्फ कुछ बददिमाग लोग इसका विरोध करते हैं, सिर्फ राजनीति करने वाले कुछ लोग इसे बढ़ावा देते हैं, और अच्छे-भले नियम-कानून ताक पर धर दिए जाते हैं। 
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