राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दंतेवाड़ा में तस्वीर साफ नहीं
24-Sep-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दंतेवाड़ा में तस्वीर साफ नहीं

दंतेवाड़ा में तस्वीर साफ नहीं
दंतेवाड़ा में पिछले विधानसभा के बराबर ही 61 फीसदी के आसपास मतदान हुआ। मतदान के दौरान कहीं भी अप्रिय वारदात नहीं हुई। अब चुनाव परिणाम को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। भाजपा को इस सीट पर कब्जा बरकरार रहने की उम्मीद है। वजह यह है कि दंतेवाड़ा, बचेली, किरंदुल और गीदम के नगरीय इलाकों में भाजपा के पक्ष में माहौल था। कुल मिलाकर इन इलाकों में भाजपा से ज्यादा, उम्मीदवार ओजस्वी मंडावी के पक्ष में सहानुभूति देखने को मिली। मगर ग्रामीण इलाकों में अच्छी खासी पोलिंग हुई है, जिससे कांग्रेस उम्मीद से है। इससे परे अंदरूनी इलाकों के वोटर सीपीआई के पक्ष में रहे हैं, जो कि इस बार कुछ हद तक बिखरते नजर आए। इससे भी कुछ हद तक कांग्रेस को फायदे की उम्मीद है। 

भाजपा की रणनीति को भांपकर कांग्रेस ने आखिरी चार दिनों में जमकर मेहनत की और सीएम भूपेश बघेल की सभा-रोड शो हुआ। इन सबके चलते कांग्रेस, भाजपा से सीट छीनने की उम्मीद लगाए बैठी है। मतदान के दो दिन पहले नक्सलियों ने ग्रामीणों की बैठक लेकर कुछ फरमान सुनाए थे, इसके बाद नक्सल प्रभाव के ग्रामीणों का रूझान किधर रहा, इसको लेकर कयास ही लगाए जा रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस और भाजपा के अपने-अपने दावे हैं। ऐसे में हार-जीत का अंतर कम मतों से होने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

कांगे्रस के एक बड़े नेता ने मतदान के सारे आंकड़े देखने के बाद कहा कि इस चुनाव अभियान में शुरूआत में कांगे्रस बहुत पीछे थी, और जैसे-जैसे प्रचार आगे बढ़ा कांगे्रस बढ़ती गई, लेकिन वे भी यह नहीं कह पा रहे थे कि कांगे्रस जीत की लकीर पार कर चुकी है।

भूपेश के दिमाग की टोह नहीं
छत्तीसगढ़ का सचिवालय हो या कोई और सरकारी दफ्तर, हर जगह लोगों के कामकाज में एक सावधानी दिख रही है, और बातचीत में एक सतर्कता। लोगों को यह तय नहीं है कि भूपेश बघेल सरकार अगली ट्रांसफर लिस्ट में किसे कहां करेगी। और तो और मुख्य सचिव किसे बनाया जाएगा, इसे लेकर भी आधा दर्जन अलग-अलग अटकलें चल रही हैं। लोग एन. बैजेंद्र कुमार की राज्य वापिसी से लेकर अजय सिंह की सचिवालय वापिसी तक की सोच रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं कि उनके दिमाग की टोह उनके मंत्रियों के पास भी नहीं है। उनका सचिवालय भी कोई जानकारी नहीं बता पाता कि क्या होने जा रहा है। यह मामला पिछली सरकार के मुख्यमंत्री-सचिवालय से एकदम अलग इसलिए है कि उसमें सीएम के करीबी अफसर फैसले लेने के लिए जाने जाते थे, और उनसे बातचीत से आने वाले कई फैसलों का अंदाज लग जाता था। लेकिन उस वक्त भी कुछ फैसले लोगों को चौंकाने वाले थे, मुख्य सचिव जॉय ओमेन को वक्त के पहले हटाना, डीजीपी विश्वरंजन को पल भर में हटा देना, या कई लोगों को समय के पहले प्रमोशन देना। 

एक खबर से खलबली
अब राज्य नए मुख्य सचिव की अटकलों से गुजर रहा है, और दिल्ली से आई हुई एक खबर से भी सरकार में कुछ खलबली है। यह खबर कहती है कि केंद्र सरकार एक नई नीति लागू कर रही है जिसके मुताबिक साठ बरस की उम्र या 33 बरस की नौकरी, जो भी पहले पूरी हो, उस वक्त रिटायर कर दिया जाएगा। इसमें सबसे अधिक नुकसान में वे लोग रहेंगे जो कि कम उम्र में नौकरी में आते हैं, और 60 बरस के पहले ही 33 बरस की नौकरी हो जाती है। अब इस चर्चा को करते हुए पुलिस अमले के लोग डीजीपी डीएम अवस्थी की तरफ देखने लगते हैं जो कि ऐसे किसी नियम के आने पर 2020 में रिटायर हो सकते हैं, ऐसा पुलिस के कुछ अफसरों का आंकड़ा कहता है। सबसे कम उम्र में आईएएस बनने वाले बाबूलाल अग्रवाल अब ऐसे किसी नियम-कायदे से परे हो चुके हैं क्योंकि उनके अपने कामों ने उनका जो हाल किया है, उसके बाद सरकारी सेवा का कोई भी नियम उनका भला नहीं कर सकता। 
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