राजपथ - जनपथ
राजनीतिक हड़बड़ाहट...
नान घोटाले की एसआईटी जांच से पिछली सरकार में प्रभावशाली रहे नेता-अफसर हड़बड़ाए हुए हैं। पिछले दिनों प्रकरण के आरोपी एसएस भट्ट के बयान के बाद तो खंडन-मंडन के लिए पूरी भाजपा सामने आ गई। उनकी हड़बड़ाहट का अंदाजा इस बात से लगाया जा रहा है कि सोशल मीडिया में खबर उड़ी कि भट्ट के धारा-164 के आवेदन को जिला अदालत ने खारिज कर दिया है, भाजपा ने सीएम भूपेश बघेल का इस्तीफा तक मांग लिया। पूर्व सीएम रमन सिंह ने तो एक कदम आगे जाकर सीबीआई जांच की मांग कर दी। जबकि वस्तु स्थिति यह है कि भट्ट ने अब तक धारा-164 का बयान देनेे के लिए अदालत में आवेदन तक नहीं लगाया है।
कुछ इसी तरह की हड़बड़ाहट हाईकोर्ट में भी बहस के दौरान देखने को मिली। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर हस्तक्षेप याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने कहा कि कोर्ट ऑर्डर करती है, तो प्रकरण की जांच के लिए सीबीआई तैयार है। इस पर जज ने पूछा कि क्या आपने लिखित में जवाब दिया है? वकील ने कहा कि जवाब जमा नहीं हुआ है। इस पर जज ने कहा कि जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चार साल से चल रही है, लेकिन सीबीआई को नोटिस का जवाब देने के लिए समय तक नहीं मिला। जज की टिप्पणी से सीबीआई के वकील खामोश होकर रह गए।
गुंडागर्दी और पुलिस
छत्तीसगढ़ में एक तरफ ट्रैफिक पुलिस सड़क-चौराहों पर छोटे-छोटे दुपहिए वालों को बिना हेल्मेट पकड़कर जुर्माना कर रही है, दूसरी तरफ इसी प्रदेश में पुलिस के सामने ही सत्ता और राजनीति से जुड़े हुए लोगों की बड़ी-बड़ी गाडिय़ां बिना नंबरप्लेट, शीशों पर काली फिल्म लगाए, पूरी तरह गैरकानूनी सायरन बजाते हुए अंधाधुंध दौड़ती हैं, और अगर पुलिस जरा भी हौसला दिखाती तो ये मिनटों के भीतर किसी न किसी चौराहे पर धरी गई होतीं, और अदालत से इन्हें दसियों हजार का जुर्माना हुआ होता। अब जब सत्ता और विपक्ष की ताकत वाले लोगों की ऐसी गुंडागर्दी पर पुलिस कुछ नहीं करती, तो आम लोगों के मन में न सिर्फ कानून के लिए, बल्कि पुलिस के लिए भी भरपूर हिकारत खड़ी हो जाती है। जिन लोगों पर सबसे बड़ा जुर्माना लगना चाहिए, एबुंलेंस, दमकल, या पुलिस की गाड़ी जैसे सायरन बजाने पर जिनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए, उनको छुआ भी नहीं जाता तो लोग सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें पोस्ट करने लगते हैं जो कि पुलिस के लिए एक आईना होना चाहिए। लोगों को याद पड़ता है कि एक वक्त देश की राजधानी दिल्ली में देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार का चालान कर दिया था, तो इंदिरा ने उन्हें बुलाकर अपने साथ खाना खिलाया था। अबके नेताओं को भी उससे कुछ सीखना चाहिए।
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