राजपथ - जनपथ

सुनील सोनी की मांग
रायपुर सांसद सुनील सोनी चुनाव प्रचार के लिए महाराष्ट्र जा सकते हैं। वहां उल्हास नगर के भाजपा प्रत्याशी कुमार आयलानी ने महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल को पत्र लिखकर इंदौर के सांसद शंकर लालवानी और रायपुर के सांसद सुनील सोनी को प्रचार के लिए बुलाने का आग्रह किया है।
सुनते हैं कि सुनील सोनी को प्रचार में बुलाने के पीछे उल्हास नगर का सामाजिक समीकरण भी है। वहां ज्वेलरी व्यवसाय से जुड़े करीब 25 हजार लोग रहते हैं, जो कि सोनी (सुनार) समाज के हैं। सोनी ज्वेलरी कारोबार से जुड़े विषय को लोकसभा में उठा चुके हैं। इसके चलते प्रदेश के बाहर भी उनकी पहचान बन गई है। यही वजह है कि सोनी को महाराष्ट्र में भी व्यापारी-सराफा व्यवसायी को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी प्रचार में बुला रही है।
न सिर्फ सुनील सोनी बल्कि बृजमोहन अग्रवाल भी विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए महाराष्ट्र जा सकते हैं। बृजमोहन महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडऩवीस के विधानसभा क्षेत्र नागपुर में पिछले चुनाव में भी प्रचार के लिए गए थे। इसके अलावा गोंदिया में उनका ससुराल भी है। गोंदिया और नागपुर में बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के लोग रहते हैं। इन सबको देखते हुए बृजमोहन और अन्य भाजपा नेताओं की वहां ड्यूटी लग सकती है।
अब भी ताकत की चाह...
पिछली सरकार के मंत्रियों के कई निज सचिवों का दबदबा अभी भी बरकरार है। हालांकि धीरे-धीरे इन कुख्यात निज सचिवों का प्रभाव कम करने की कोशिश की गई है, और उन्हें किनारे लगाया गया है। एक का हौसला तो इतना बढ़ गया था कि मंत्री स्टाफ से बाहर होने के बाद मलाईदार चार्ज पाने के लिए हाईकोर्ट तक चला गया, लेकिन उसे राहत नहीं मिल पाई। बात सिंचाई अफसर एके छाजेड़ की हो रही है।
छाजेड़ जोगी सरकार में मंत्री रहे दिवंगत गंगूराम बघेल के स्टॉफ में रहे। गंगूराम सीधे-सरल नेता थे। तब छाजेड़ ने उनके पीएचई डिपार्टमेंट में जमकर खेल खेला। जोगी सरकार के जाते ही वे भाजपा के मंत्रियों के करीबी हो गए। लंबे समय तक बृजमोहन अग्रवाल के यहां छाए रहे। इसके बाद प्रेमप्रकाश पाण्डेय के ओएसडी बन गए। नई सरकार में मंत्रियों के उन्होंने फिर जगह बनाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। अलबत्ता, उन्होंने विभाग में अनुसंधान अधिकारी का पद हासिल कर लिया, लेकिन जल्द ही उन्हें हटाकर अधीक्षण अभियंता कार्यालय में पदस्थ कर दिया गया। जो कि लूप लाइन माना जाता है। उन्होंने तबादला आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने प्रकरण के निपटारे के आदेश दिए। विभाग ने तमाम कोशिशों के बावजूद उनका अभ्यावेदन निरस्त कर दिया।
रावण का क्या होता अगर...
दशहरे का मौका रावण को बनाने और फिर मिटाने का रहता है। लोग रंगीले-चमकीले पुतले बनाते हैं, और फिर उसे जलाते हैं। लेकिन रावण पर क्या गुजरती होगी, उसे कोई नहीं सोचते। अभी फेसबुक पर किसी ने इस बारे में लिखा है-
1. अगर रावण के दस सिरों में से दो सिर शाकाहारी होते, तो वह तंदूरी-चिकन कैसे खाता?
2. अगर वह किसी लड़की को देखकर सीटी बजा देता तो जवाब में थप्पड़ सीटी वाले मुंह को पड़ती, या सभी दस चेहरों को?
3. उसे सारे दस चेहरों की दाढ़ी बनाने, सभी दस मुंह के दांतों पर ब्रश करने, और सभी दस सिरों के बाल बनाने के बाद समय पर दफ्तर पहुंचने का वक्त रहता?
4. अगर दो सिर बीड़ी-सिगरेट पीने वाले होते, तो बाकी के आठ सिर पैसिव स्मोकिंग की शिकायत नहीं करते?
5. बाल कटाने की जरूरत पडऩे पर नाई को हर सिर के लिए अलग-अलग स्टाईल बतानी होती, या एक सरीखी?
6. अगर वह किसी बार में जाता तो हर सिर की पसंद अलग-अलग शराब होती, या एक सरीखी? और अलग-अलग शराब भीतर जाकर मिलकर कैसा असर करती?
7. सर्दी होने पर एक सिर की नाक साफ करनी होती, या सभी दस नाक?
8. किसी से गुस्सा होने पर एक मुंह से गालियां निकलतीं, और बाकी मुस्कुराते रहते तो क्या होता?
9. मोबाइल फोन का ब्लूटूथ किस सिर के किस कान में लगाता?
10. अगर एक सिर माइकल जैक्सन सुनना चाहता, और दूसरा दलेर मेहंदी तो क्या होता?
(rajpathjanpath@gmail.com)