राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल मिलने की ओर?
04-Dec-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल मिलने की ओर?

दिल मिलने की ओर?

पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की वीरेन्द्र पाण्डेय के साथ बैठक की राजनीतिक हल्कों में जमकर चर्चा है। अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि वीरेन्द्र पाण्डेय भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पाण्डेय पिछले 11 साल से भाजपा से बाहर हैं और उन्होंने विचारक गोविंदाचार्य के मार्गदर्शन में स्वाभिमान पार्टी का गठन किया है। इन सबके बावजूद रमन सिंह की वीरेन्द्र पाण्डेय से मेल मुलाकात के राजनीतिक निहितार्थ हैं।

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि रमन सिंह और वीरेन्द्र पाण्डेय के बीच सामान्य बोलचाल भी करीब एक दशक से बंद थी। वीरेन्द्र पाण्डेय, रमन सिंह के बड़े आलोचक रहे हैं और पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के प्रकरणों को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाईयां लड़ीं। अविभाजित मप्र की जनता पार्टी सरकार में संसदीय सचिव रह चुके वीरेन्द्र पाण्डेय, भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। आज भले ही उनके पास अपेक्षाकृत जनसमर्थन नहीं है, लेकिन उन्हें राजनीतिक-प्रशासनिक हल्कों में गंभीरता से लिया जाता है। करीब 2 साल पहले रमन सिंह के एक मंत्री के खिलाफ सिर्फ इस बात को लेकर शिकायत केन्द्रीय नेतृत्व से हुई थी कि वे वीरेन्द्र पाण्डेय को मदद कर रमन सिंह के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। 

खैर, रमन सिंह ने वीरेन्द्र पाण्डेय के साथ अपनी खटास को दूर करने के लिए खुद पहल की है। दिवंगत नेता ओमप्रकाश पुजारी की श्रद्धांजलि सभा में दोनों की मुलाकात हुई। रमन सिंह ने उनसे गर्मजोशी से मुलाकात की और फिर चाय पर घर आने का न्यौता दिया। इसके बाद डॉ. कमलेश अग्रवाल, वीरेन्द्र पाण्डेय को लेकर डॉ. रमन सिंह के घर गए और तीनों के बीच करीब 2 घंटे तक राजनीतिक और अन्य विषयों पर सामान्य चर्चा हुई। 

सुनते हैं कि रमन सिंह अच्छी छवि वाले नेताओं को साथ लाना चाहते हैं। ताकि भूपेश सरकार के खिलाफ लड़ाई मजबूती से लड़ी जा सके। वे कुछ मामलों को लेकर कानूनी लड़ाई भी लडऩा चाहते हैं। ऐसे में वीरेन्द्र पाण्डेय जैसे नेता उनके लिए मददगार हो सकते हैं। 

अभी हाल यह है कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने नान प्रकरण की जांच रोकने के लिए दायर जनहित याचिका की जिसको लेकर काफी किरकिरी हो रही है। बिलासपुर हाईकोर्ट की स्थापना के बाद अपनी तरह की पहली जनहित याचिका है, जो कि किसी जांच को रोकने के लिए लगाई गई है। रमन समर्थकों का मानना है कि इस तरह की याचिका वीरेन्द्र पाण्डेय जैसे लोगों ने लगाई होती, तो इसका कुछ अलग ही वजन होता। अब वीरेन्द्र पाण्डेय, रमन सिंह की मुहिम का हिस्सा बनते हैं या नहीं, यह देखना है। 

जितनी ऊंची जाति, उतना जुर्माना...
छत्तीसगढ़ की राजधानी के एक पेट्रोल पंप पर दो दिन पहले की एक तस्वीर सरकार के नियम-कायदे को धता बताते हुए अपने जातिगत अहंकार का सुबूत भी है। मामला तब और गंभीर हो जाता है जब यह पेट्रोल पंप प्रदेश के आरटीओ मंत्री मो. अकबर का हो। राजधानी की पुलिस कमजोर लोगों को पकडऩे का काम तो रोज करती है, लेकिन ऐसे दुस्साहसी लोग महंगी और तेज आवाज करती मोटरसाइकिलों को अनदेखा ही करते चलते हैं कि जिसकी इतनी हिम्मत हो, उससे क्यों उलझा जाए। लेकिन नंबर प्लेट पर अहंकार का यह अकेला मामला नहीं है, कांग्रेस-भाजपा से लेकर मीडिया तक के लोग नंबर की जगह अपना घमंड लिखाकर चलते हैं। कुछ लोग इस घमंड को गाडिय़ों के शीशों पर लिखवा लेते हैं, जो कि नंबर प्लेट के मुकाबले तो फिर भी बेहतर जगह है। अभी कुछ हफ्ते पहले भिलाई की एक फोटो आई जिसमें एक कार पर स्टिकर लगा था- भीतर कुर्मी है। 

ऐसे स्टिकर दिल्ली की याद दिलाते हैं जहां- भीतर जाट है जैसे स्टिकर दिख ही जाते हैं। महंगी मोटरसाइकिलों को छूने से रायपुर की ट्रैफिक पुलिस हीनभावना की शिकार दिखती है, और उनसे दूर रहती है। इन दिनों जितनी महंगी गाड़ी, उतना ही अधिक ट्रैफिक नियमों को तोडऩा। लेकिन पुलिस बड़े लोगों से उलझने के बजाय बाकी कामों में लगी दिखती है, और ऐसी नंबर प्लेटों वाली गाडिय़ां चौराहों को धड़ल्ले से पार करती रहती हैं। जो जितनी ऊंची जाति समझी जाती है, उस पर नंबर प्लेट देखकर उतना ही बड़ा जुर्माना लगाना चाहिए। 

भाजपा टिकट के लिए राज्यपाल की भी सिफारिश?
भाजपा में नगरीय निकाय पार्षद टिकट के लिए जमकर खींचतान चल रही है। चर्चा है कि कुछ दावेदारों के लिए राज्यपालों की भी सिफारिशें आई हैं। सुनते हैं कि एक विवाह समारोह में जिले के एक बड़े पदाधिकारी से एक राज्यपाल ने पूछ लिया कि उनके नामों का क्या हुआ? चर्चा तो यह भी है कि बिलासपुर के दो वार्डों में राज्यपाल की सिफारिश पर प्रत्याशी तय किए गए। रायपुर नगर निगम से लेकर बलौदाबाजार और अन्य जगहों पर भी एक राज्यपाल ने अपनी तरफ से नाम भेजे हैं। इनमें से कई नामों पर सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन टिकट काटने की हिम्मत भी पार्टी नेता नहीं जुटा पा रहे हैं।  ([email protected])

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