राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इधर सिंधी तो उधर मुस्लिम
19-Dec-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : इधर सिंधी तो उधर मुस्लिम

इधर सिंधी तो उधर मुस्लिम

नागरिक संशोधन कानून से नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को बड़े फायदे की उम्मीद है। पाकिस्तान से आए सिंधी समाज के लोग दसियो हजार की संख्या में छत्तीसगढ़ में बसे हुए हैं और उन्हें नागरिकता नहीं मिल पा रही है। नए कानून के प्रभावशील होने के बाद उन्हें नागरिकता मिलने की उम्मीद है। भाजपा इस कानून को अपने पक्ष में भुनाने में लगी है और बाकी सिंधी वोटरों को लामबंद करने के लिए तगड़ी कोशिश चल रही है। खुद बृजमोहन अग्रवाल इस मुहिम में जुटे हुए हैं। 
बृजमोहन ने सिंधी समाज के अलग-अलग लोगों के साथ बैठकें की। सिंधी समाज के लोगों के लिए पापड़-पानी का खास इंतजाम भी किया गया था। पार्टी के रणनीतिकारों का अनुमान है कि सिंधी वोटर एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में मतदान करते हैं, तो दर्जनभर वार्डों में पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित हो सकती है। इन वार्डों में सिंधी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। मगर इस कानून के चलते नुकसान का भी अंदेशा है।  

और फिर सिख भी तो हैं...
नागरिक संशोधन कानून को मुस्लिम विरोधी प्रचारित किया गया है। यह सब देखकर रायपुर दक्षिण विधानसभा के एक वार्ड का भाजपा के लोगों ने सर्वे भी कराया। जिसमें यह बात उभरकर सामने आई कि एक भी मुस्लिम, भाजपा को वोट देने के पक्ष में नहीं है। जबकि उस वार्ड में भाजपा के अल्पसंख्यक नेता काफी सक्रिय भी हैं। भाजपा को सिख वोटों का झटका भी लग सकता है। पार्टी ने एक भी सिख उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है, इससे उनमें काफी नाराजगी है। सिख समाज के प्रमुख नेताओं की बैठक भी हुई है। हाल यह है कि सिख-पंजाबी वोटर कांग्रेस के पक्ष में लामबंद होते दिख रहे हैं। खैर, कौन-किसके पक्ष में है, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा। रायपुर शहर में ही कम से कम तीन-चार वार्ड ऐसे हैं जिनमें सिख वोट नाराजगी की हालत में संतुलन बिगाड़ सकते हैं।

यह बात मोटे तौर पर तो रायपुर को लेकर लिखी जा रही है लेकिन बाकी छत्तीसगढ़ में भी जगह-जगह इन तीन समुदायों की सघन बसाहट है, उन वार्डों के नतीजे वार्ड के बाहर के मुद्दों से प्रभावित होंगे, कई वार्डों में राष्ट्रीय मुद्दों का असर होगा।

धान को पसीने छूट रहे हैं...
धान खरीद नियम में बार-बार बदलाव से कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। नगर पालिका और नगर पंचायतों में खेतिहर लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं। नियमों में बदलाव से उन्हें काफी असुविधा का सामना करना पड़ा है। जिसके चलते उनमें नाराजगी है। जबकि विधानसभा चुनाव में नगर पालिका और नगर पंचायतों में कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा माहौल था। सरकार से जुड़े एक उच्च पदस्थ व्यक्ति ने आपसी बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का धान खरीदी का तुरूप का पत्ता अफसरों ने चिड़ी की दुक्की बनाने में कोई कसर नहीं रखी, अब बाद का डैमेज कंट्रोल कितना काम आता है, यह किसान आबादी के वोट गिने जाने पर पता लगेगा।

धान खरीदी की बदइंतजामी, और पारे की तरह अस्थिर नियमों-शर्तों के चलते जो नुकसान हो रहा था, उस पर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिश की है और इसका कुछ फर्क भी पड़ा है। मगर कर्जमाफी और 25 सौ क्विंटल धान खरीद के बाद जिस तरह छोटे-बड़े किसान कांग्रेस के पक्ष में लामबंद रहे हैं। वह स्थिति अब छोटे निकायों में देखने को नहीं मिल रही है। यहां भाजपा फिर से मजबूत दिख रही है। बस्तर और सरगुजा संभाग में तो कुछ निकायों को छोड़ दें, तो यहां कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिख रहा है। बस्तर में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

सौदान सिंह की सक्रियता फिर...
भाजपा संगठन के बड़े नेता सौदान सिंह छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सक्रिय दिख रहे हैं। उन्होंने सभी जिले के प्रभारियों और प्रमुख नेताओं से चर्चा कर चुनाव का हाल जाना और छोटी मोटी समस्याओं को हल करने के लिए खुद पहल की है। दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में बस्तर में दो विधानसभा के उपचुनाव हुए थे, लेकिन उन्होंने झारखण्ड चुनाव में व्यस्तता का हवाला देकर दूरियां बना ली थी। दोनों में ही भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। और तो और सौदान सिंह ने संगठन चुनाव से भी खुद को दूर रखा और यहां झगड़े को निपटाने के लिए भी कोई पहल नहीं की। ये अलग बात है कि झारखंड चुनाव के बीच में ही रायपुर आए और एक विवाह समारोह में शामिल होने चार दिन तक डटे रहे। अब झारखंड चुनाव के बीच में ही छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव की सुध ले रहे हैं, तो उसको लेकर पार्टी नेताओं में कानाफूसी हो रही है। कुछ का अंदाजा है कि विधानसभा चुनाव की तुलना में नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहेगा, इसलिए सौदान सिंह रूचि ले रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि वे दिलचस्पी ले रहे हैं इसलिए नतीजे बेहतर होंगे। ([email protected])

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