राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऐसे वक्त त्रिपुरा छोड़ रायपुर में!
20-Dec-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऐसे वक्त त्रिपुरा छोड़ रायपुर में!

ऐसे वक्त त्रिपुरा छोड़ रायपुर में!

त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस रायपुर में डटे हैं। उनकी निगाह स्वामी आत्मानंद वार्ड में टिकी है, जहां से उनके सगे भतीजे ओंकार बैस चुनाव लड़ रहे हैं। वे पार्टी के लोगों से चुनाव का हाल भी सुन रहे हैं। बैस की निकाय चुनाव में दिलचस्पी को लेकर पार्टी के भीतर कानाफूसी हो रही है। उनका दौरा ऐसे वक्त में हुआ है जब पूर्वोत्तर राज्य नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ जल रहा है। यह कहा जा रहा है कि विपरीत परिस्थितियों में बैस को त्रिपुरा में रहकर वहां की सरकार का मार्गदर्शन करना चाहिए था। 

वैसे भी ओंकार नए नवेले नहीं हैं। वे एक बार पार्षद रह चुके हैं। उनके सगे छोटे भाई सनत अभी पार्षद हैं। ओंकार अनुभवी भी हैं। ऐसे में रमेश बैस को उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। मगर बैस के विरोधियों को कौन समझाए कि 40 साल की सक्रिय राजनीति से एकाएक अलग होना आसान नहीं होता है। वैसे भी प्रदेश में बैस की पार्टी की सरकार नहीं है। ऐसे में बैसजी अपने लोगों का थोड़ा बहुत मार्गदर्शन कर रहे हैं, तो इसको गलत नहीं कहा जा सकता। उत्तर-पूर्व तो वैसे भी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ही देख रहे हैं, और वे देख ही लेंगे।

भाजपा में कार्रवाई शुरू
भाजपा ने अपने बागियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है, जो अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ काम कर रहे हैं। पार्टी ने पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी के कट्टर समर्थक श्याम चावला को निलंबित कर दिया है। सुंदरानी की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

सुनते हैं कि सुंदरानी की सिफारिश पर तेलीबांधा के मंडल अध्यक्ष की टिकट काटकर दीपक भारद्वाज को प्रत्याशी बनाया गया। तेलीबांधा मंडल के तीनों प्रत्याशियों की हालत खस्ता है। इसके लिए अप्रत्यक्ष रूप से सुंदरानी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसके अलावा संजय श्रीवास्तव, प्रफुल्ल विश्वकर्मा और राजीव अग्रवाल, तीनों वार्ड का चुनाव लड़ रहे हैं। ये तीनों जीत कर आते हैं, तो ये रायपुर उत्तर विधानसभा टिकट के भी दावेदार हो जाएंगे। ऐसे में श्रीचंद के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं। 

फंड के रास्ते पर झगड़ा
नगरीय निकाय चुनाव में साधन-संसाधन को लेकर राजनांदगांव में दो नेताओं के बीच झड़प की गूंज रायपुर तक सुनाई दी है। सुनते हैं कि निकाय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का फंड पहुंचाने का जिम्मा एक बड़े कारोबारी के करीबी नेता को दिया गया। इसकी भनक लगने पर वहां के जिले के एक प्रमुख पदाधिकारी ने आपत्ति की और फंड पहुंचा रहे नेता से बहस शुरू कर दी। 

कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों को 'आर्थिक संकट' से उबारने गए नेता ने झगड़े का मुंहतोड़ जवाब देते 'ऊपरÓ से मिले आदेश का पालन की जानकारी दी। इसके बाद भी पदाधिकारी का गुस्सा कम नहीं हुआ। पदाधिकारी अपने जरिए प्रत्याशियों को फंड आबंटन चाहते थे। बढ़ते झगड़े के बीच दोनों नेता ने एक-दूसरे को धमकी दी। सुनते हैं कि आर्थिक मदद करने गए नेता सीधे पदाधिकारी के घर धमक गए। घर में भी दोनों में जमकर तकरार हुई। विवाद के बीच पदाधिकारी के पिता ने बीच-बचाव कर दूसरे को पुराने रिश्ते का हवाला देकर शांत किया। बताते है कि इस मामले को लेकर शीर्ष नेतृत्व को जानकारी दी गई। 

साल भर बाद महज शिकायत !
रायपुर की मेयर रही हुईं, और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी सहयोगी किरणमयी नायक ने आरडीए के अध्यक्ष रहे हुए और अभी भाजपा के वार्ड प्रत्याशी संजय श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का एक पुलिंदा एसीबी-ईओडब्ल्यू जाकर दिया तो मामला पहली नजर में बहुत बड़ा लगा। लेकिन प्रदेश में कांगे्रस की सरकार बनने की सालगिरह के बाद आज महज आरोप म्युनिसिपल-मतदान के 48 घंटे पहले आना कुछ अटपटा इसलिए है कि ये आरोप तो विधानसभा चुनाव के पहले से चर्चा में थे और राज्य की कांगे्रस सरकार चाहती तो इसकी जांच करके अब तक इस पर एफआईआर हो चुकी रहती, गिरफ्तारी हो चुकी रहती, और बहुत संभावना है कि बाकी कई मामलों की तरह हाईकोर्ट से जांच पर स्टे भी मिल गया होता। लेकिन ऐसा कुछ भी न होकर आज शिकायत होना थोड़ा सा अटपटा है, और यह वोटरों के गले कितना उतरेगा इस पर अटकल ही लगाई जा सकती है। ([email protected])

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