राजपथ - जनपथ
खुद दूल्हा बन बैठने का नुकसान
म्युनिसिपल चुनाव में इस बार रायपुर में वर्ष-1994 के चुनाव नतीजे रिपीट हुए हैं। उस समय महापौर बनने की चाह में अजेय माने जाने वाले विधायक तरूण चटर्जी, गौरीशंकर अग्रवाल, जगदीश जैन, राजीव अग्रवाल जैसे भाजपाई दिग्गज वार्ड चुनाव में उतर गए थे। लेकिन सभी को हार का सामना करना पड़ा। तरूण को रविशंकर शुक्ल वार्ड से दीपक दुबे ने बुरी तरह निपटा दिया। दिग्गजों के चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा का चुनाव प्रबंधन बुरी तरह गड़बड़ा गया था। ये सभी खुद तो हारे और प्रबंधन कमजोर होने के कारण कई भाजपा प्रत्याशी भी पिट गए।
भाजपा नेताओं की हार से झल्लाए विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने उस समय टिप्पणी की थी कि दुल्हन ढंूढने निकले थे और खुद ही दुल्हा बन गए...। उस समय म्युनिसिपल चुनाव में रायपुर में कांग्रेस को बहुमत मिला और कांग्रेस के बलवीर जुनेजा महापौर बने। अब 25 साल बाद भी भाजपा ने पिछली गलतियों से सबक नहीं सीखा। अपना वार्ड आरक्षित होने पर पार्टी के दिग्गज राजीव अग्रवाल, संजय श्रीवास्तव और सुभाष तिवारी, महापौर बनने की चाह में अड़ोस-पड़ोस के वार्ड से चुनाव मैदान में कूद गए। चूंकि छोटे चुनाव में स्थानीय कार्यकर्ताओं की काफी अपेक्षा रहती है और वे खुद चुनाव लडऩा चाहते हैं। ऐसे में इन सभी को अंतरविरोधों का सामना करना पड़ा। इसका प्रतिफल यह हुआ कि सभी कांगे्रस के नए नवेले युवाओं से हार गए।
लंबे भाषणों का दाम चुकाया?
धमतरी में राज्य बनने के बाद पहली बार भाजपा पिछड़ी है। इस बार भी भाजपा नेताओं को पूरी उम्मीद थी कि निगम में पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल जाएगा। यहां प्रचार की कमान पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने संभाल रखी थी। प्रचार के शुरूआती दौर में ऐसा लग रहा था कि भाजपा को आसानी से बहुमत मिल जाएगा। मगर आखिरी दो दिनों में प्रबंधन गड़बड़ा गया।
पार्टी के एक रणनीतिकार बताते हैं कि रमन सिंह के रोड शो-सभा के बाद माहौल बिगड़ गया। इसके लिए पार्टी संगठन के नेता जिम्मेदार हैं। हुआ यूं कि सभी 48 वार्ड के प्रत्याशियों को 5-5 हजार रूपए दिए गए थे। उन्हें भीड़ लाने के लिए कहा गया था। भीड़ तो काफी जुट गई, लेकिन हरेक प्रत्याशियों के 15-20 हजार रूपए खर्च हो गए।
चुनाव के वक्त में निचली बस्तियों के लोगों का समय काफी कीमती होता है। उन्हें एक दिन में कई रैलियों-प्रदर्शन में जाना होता है और बदले में अच्छी खासी कमाई हो जाती है। मगर लोगों के कीमती वक्त को इंदर चोपड़ा और विजय साहू जैसे नेताओं ने बर्बाद कर दिया। दोनों ने एक घंटा लंबा भाषण दे दिया। हाल यह रहा कि रमन सिंह के भाषण सुनने में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं रह गई और उनका गुस्सा वार्ड प्रत्याशियों पर निकला। धमतरी को मैनेज करने के चक्कर में अजय चंद्राकर अपने विधानसभा क्षेत्र कुरूद को ही भूल गए और वहां भी कांग्रेस का कब्जा हो गया। ([email protected])