राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कैसा भी हो, बने तो सही
27-Dec-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कैसा भी हो, बने तो सही

कैसा भी हो, बने तो सही
खबर है कि म्युनिसिपलों में अपना मेयर बिठाने के कांग्रेस हर तरीके अपना रही है। वैसे तो कोरबा को छोड़कर सभी जगहों पर कांग्रेस पार्षदों की संख्या ज्यादा हैं, ऐसे में पार्टी नेताओं की इस तरह की कोशिश स्वाभाविक है, मगर भाजपा भी अपनी कोशिशों में कमी नहीं कर रही है। भाजपा कोरबा में तो मेयर बनाने के लिए जुटी हुई है, धमतरी और अन्य जगहों पर भी निर्दलियों का सहयोग लेकर अपना मेयर बनाने की कोशिश कर रही है। इन म्युनिसिपलों में आर्थिक रूप से ताकतवर पार्षद को मेयर प्रत्याशी के रूप में आगे करने की सोच रही है।

सुनते हैं कि एक म्युनिसिपल में तो भाजपा एक बड़े सटोरिए पर दांव लगाने के लिए भी तैयार दिख रही है। फटाका उपनाम से मशहूर उक्त सटोरिए को पार्टी के कुछ नेताओं ने संकेत भी दे दिए हैं और उसे निर्दलीय पार्षदों का जुगाड़ करने के लिए कह दिया है। फटाका ने एक निर्दलीय पार्षद को अपने प्रभाव में ले लिया है। इसकी भनक कांग्रेस के रणनीतिकारों को हो गई है। फटाका का कैरियर रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। चर्चा है कि पुलिस भी इस पूरे मामले में दखल देे सकती है। अब मेयर के चक्कर में भाजपा का 'फटाका' फूट जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 

दिग्गजों को लेकर एक कहानी
रायपुर-बिलासपुर और राजनांदगांव में तो कांग्रेस का मेयर बनना तय है। मगर भाजपा के दिग्गज केंद्रीय नेतृत्व को यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी तरफ से प्रयासों में कोई कमी नहीं की गई थी। इन 'कोशिशोंÓ  पर पार्टी के एक नेता ने चुटकी ली और पंचतंत्र की कहानी सुनाई कि जंगल में एक शेर बूढ़ा हो चला था। उसे शिकार करने में दिक्कत होती थी। जिसके कारण कई दिनों तक उसे भूखा भी रहना पड़ता था। शेर की दशा को देखकर उसके मंत्री सियार ने सलाह दी कि वह राजा का पद त्याग कर दें और सबसे माफी मांग लें। सियार ने शेर के कान में अपने आगे की योजना भी बताई। 

शेर को सियार की बात जम गई। उसने सियार के जरिए सारे जानवरों  की मीटिंग बुलाकर अपना पद त्याग करने की घोषणा की। साथ ही निर्दोष जानवरों का शिकार करने के लिए माफी भी मांगी। योजना अनुसार राजा का पद बंदर को दे दिया। राजा बनने के बाद बंदर ने सभी को भरोसा दिलाया कि शेर से डरने की जरूरत नहीं है। वह अब शिकार नहीं करेगा। भरोसा जीतने के लिए कुछ दिन तक शेर ने शिकार भी नहीं किया। बकरी-हिरण और अन्य जानवर निडर होकर उसके पास से गुजरने भी लगे। एक दिन मौका पाकर हिरण के बच्चे को चुपचाप दबोच लिया। रोज एक-एक कर बकरी-हिरण के बच्चे गायब होने लगे। 

सभी जानवर एक दिन गुस्से से राजा बंदर के पास पहुंचे और उनसे गायब बच्चों के बारे में पूछा। फिर क्या था बंदर एक डाल से दूसरे डाल फिर तीसरे डाल में उछलकूद करते रहा। काफी देर तक यह नजारा देख रहे  जानवरों ने बंदर से पूछा कि आखिर वह कर क्या रहा है? बंदर का जवाब था कि उसे बच्चों के बारे में नहीं पता, लेकिन उसके प्रयासों में कमी है तो बताएं। कुछ इसी तरह मेयर बनाने के लिए उछलकूद तो सभी दिग्गज कर रहे हैं, लेकिन निर्दलियों को अपने पाले में करने के लिए जरूरी संसाधन झोंकने के लिए कोई तैयार नहीं हैं। 

झारखंड और छत्तीसगढ़ 
झारखंड चुनाव में कांग्रेस गठबंधन सरकार की जीत के बाद विशेष रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव का कद बढ़ा है। भूपेश पर झारखंड में आक्रामक चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी भी थी, और उन्हें वहां चुनाव खर्च में पार्टी की तरफ से योगदान भी करना था। भूपेश वहां चुनावी सभाओं में छत्तीसगढ़ की किसान-आदिवासी बिरादरी की खुशहाली गिनाकर माहौल बना पाए। 

दूसरी तरफ सिंहदेव को टिकट वितरण में भी शामिल रखा गया था, और अब झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य सहयोगी दल के साथ चर्चा कर नई सरकार का खाका खींचने की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह पहले से ही तय है कि हेमंत सोरेन सीएम होंगे और वे जल्द शपथ भी लेंगे, लेकिन गठबंधन सरकार के साझा घोषणापत्र के क्रियान्वयन और अन्य विषयों पर सिंहदेव की राय भी अहम रहेगी। यानी साफ है कि भूपेश और सिंहदेव का छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखंड सरकार में भी कांगे्रस की भागीदारी की हद तक दखल रहेगा।

ऐसी भी चर्चा है कि छत्तीसगढ़ सरकार की कुछ नीतियां बाकी कांग्रेस-राज्यों में भी अपनाई जा सकती हैं, लेकिन ऐसा होता या नहीं यह आने वाले महीने बताएंगे।  ([email protected])

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news