राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : निर्बाध ताकत ने पूरा भ्रष्ट कर दिया
09-Jan-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : निर्बाध ताकत ने पूरा भ्रष्ट कर दिया

निर्बाध ताकत ने पूरा भ्रष्ट कर दिया
अंग्रेजी में कहावत है-पॉवर करप्ट्स एण्ड एब्सोल्यूट पॉवर करप्ट्स एब्सोल्यूटली। यानी ताकत भ्रष्ट करता है और निर्बाध ताकत पूरी तरह भ्रष्ट करती है। यह कहावत रमन सिंह के पीए ओपी गुप्ता और अरूण बिसेन पर एकदम फिट बैठती है। अरूण बिसेन कंसोल नाम की कंपनी से रिश्तों और, पत्नी की नियम विरूद्ध नियुक्ति को लेकर सुर्खियों में रहे हैं, तो रिंकू खनुजा आत्महत्या मामले में पुलिस एक बार उनसे पूछताछ कर चुकी है। गुप्ता के कारनामे तो और भी भयंकर हैं। उनके खिलाफ नाबालिग ने बरसों से लगातार यौन शोषण का मामला दर्ज कराया है। आरोप है कि गुप्ता बरसों से पढ़ाने के नाम पर एक नाबालिग स्कूली छात्रा को रखकर उसका यौन शोषण कर रहे थे। 

पुलिस फिलहाल ओपी गुप्ता से पूछताछ कर रही है। रमन राज में मामूली हैसियत के दोनों पीए गुप्ता और बिसेन की ताकत सीनियर आईएएस अफसरों से कम नहीं थी। मंतूराम पवार प्रकरण हो, या फिर निर्दलीय प्रत्याशियों की दबावपूर्वक नाम वापसी का मामला हो, रमन सिंह के दोनों पीए का नाम चर्चा में रहा है। इन शिकायतों को नजरअंदाज करना आज रमन सिंह के लिए भारी पड़ रहा है। सौम्य और मिलनसार रमन सिंह की छवि को भी नुकसान पहुंचा है। सुनते हैं कि ये दोनों सहायक आर्थिक रूप से बेहद ताकतवर भी हैं। ओपी गुप्ता का राजेन्द्र नगर में भव्य बंगला है, तो अरूण बिसेन करोड़पतियों-अरबपतियों की कॉलोनी स्वर्णभूमि में निवास करते हैं। भाजपा के कई ताकतवर लोग इन दोनों के खिलाफ रहे हैं। मगर दोनों का बाल बांका नहीं हो पाया। अब जब दोनों जांच-पड़ताल के घेरे में आए हैं, तो पार्टी के लोग चैन की सांस ले रहे हैं। कहा भी जाता है कि जैसी करनी, वैसी भरनी। 

प्रेतनी बाधा से सीडी तक
वैसे ओपी गुप्ता इसके पहले भी बस्तर की एक स्थानीय निर्वाचित नेत्री के साथ रिश्तों को लेकर पार्टी और सरकार में सबकी जानकारी में विवाद में थे, और वे खुद आपसी बातचीत में मंजूर करते थे कि प्रेतनी-बाधा दूर करने में करोड़ों रुपये लग गए थे। दूसरी तरफ अरूण बिसेन का सीएम हाऊस में जलवा देखकर लोग हक्काबक्का रहते थे जब वे एक सबसे महत्वपूर्ण विभाग चला रहे आईएएस राजेश टोप्पो को राजेश कहकर ही बुलाते थे। इन्हीं दोनों के नाम मुंबई जाकर सेक्स-सीडी देखने से लेकर अंतागढ़ में पैसा पहुंचाने तक, चुनाव से नाम वापिस लेने तक के फोन जैसे कई मामलों में उलझे ही रहे।

भीतरघात की शिकायत
म्युनिसिपल चुनाव में भाजपा के कई बड़े नेताओं के खिलाफ भीतरघात की शिकायतें सामने आई है। इनमें पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी भी हैं। सुनते हैं कि रायपुर के एक वार्ड प्रत्याशी ने शिकायत की है कि श्रीचंद ने उनके खिलाफ काम किया है। प्रत्याशी ने पार्टी के प्रमुख नेताओं को मौखिक रूप से  श्रीचंद की चुनाव में गतिविधियों की जानकारी दी है। यह भी बताया गया कि श्रीचंद ने पार्टी के प्रत्याशी के बजाए निर्दलीय को सपोर्ट किया। भाजयुमो के महामंत्री संजूनारायण सिंह ठाकुर ने भी कई नेताओं के खिलाफ भीतरघात की शिकायत की है। हालांकि कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई तो की गई है, लेकिन बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का हौसला संगठन नहीं जुटा पा रहा है। ऐसे में देर सबेर मामला गरमा सकता है। 

कांग्रेस की बड़ी कामयाबी
म्युनिसिपल चुनाव में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली है। प्रदेश के 10 में से 9 म्युनिसिपलों में कांग्रेस के मेयर-सभापति बने हैं। कोरबा में शुक्रवार को चुनाव हैं। कांग्रेस नेता मानकर चल रहे हैं कि कोरबा में भी कांग्रेस का मेयर-सभापति बनेगा। इस सफलता के बाद भी कांग्रेस में शिकवा-शिकायतों का दौर चल रहा है। कहा जा रहा है कि पार्टी ने अनारक्षित सीटों में भी आरक्षित वर्ग के नेताओं को मेयर बना दिया। पंचायत चुनाव में वैसे भी अनारक्षित वर्ग के नेताओं की भागीदारी नहीं के बराबर रह गई है। क्योंकि दो को छोड़कर बाकी सभी जिला पंचायत के अध्यक्ष के पद आरक्षित हो गए हैं।
 
असंतुष्ट नेता बताते हैं कि पिछले चुनाव में सैद्धांतिक रूप से फैसला लिया गया कि अनारक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग से प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया गया था। मेयर पद के लिए सामान्य वर्र्ग के प्रत्याशी उतारने के अच्छा संदेश भी गया। पार्टी को सरकार न रहने के बावजूद सफलता भी मिली। अब जब डायरेक्ट इलेक्शन नहीं हुए हैं ऐसे में अनुभवी और योग्य सामान्य वर्ग के नेताओं को नजर अंदाज कर दिया गया। खुद सीएम के विधानसभा क्षेत्र पाटन के कुम्हारी में ऐसा हुआ है। दुर्ग को छोड़कर कहीं भी सामान्य वर्ग से मेयर नहीं बन पाया। पार्टी के आलोचक मान रहे हैं कि सरकार बनने के बाद जातिवादी ताकतें हावी हो गई। जिनके दबदबे के चलते पिछले चुनाव की तरह कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। 

सुनते हैं कि पार्टी के कुछ नेता ने एक सीनियर विधायक को इसके लिए तैयार कर कर रहे हैं और उनके जरिए जल्द ही पार्टी हाईकमान को इससे अवगत कराया जाएगा। 

उधर चंद्राकर की पहल...
इससे परे भाजपा में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर सामान्य वर्ग के नेताओं को संगठन में पर्याप्त महत्व मिले, इसके लिए मुखर रहे हैं। चंद्राकर ने धमतरी जिलाध्यक्ष के चयन के मौके पर बेबाकी से अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा कि जिले की तीन सीटों में खुद समेत दो पिछड़े वर्ग के विधायक हैं। एक सीट अजजा वर्ग के लिए आरक्षित है। ऐसे में संगठन में सामान्य वर्ग से अध्यक्ष बनाए जाने से संंतुलन बना रह सकता है और पार्टी की ताकत बढ़ सकती है। चंद्राकर के सुझाव की पार्टी के भीतर काफी प्रशंसा भी हो रही है। चंद्राकर के सुझाव को पार्टी बाकी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में ध्यान रख सकती है। 

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