राजपथ - जनपथ
एक ट्वीट से खलबली
कल दिल्ली की एक प्रमुख पत्रकार रोहिणी सिंह ने एक ट्वीट किया, जिस पर बड़ी बहस छिड़ गई। उन्होंने ट्वीट में कोई नाम तो नहीं लिखे, लेकिन इशारों में उन्होंने जिस बड़ी राजनीति की चर्चा की उससे छत्तीसगढ़ में भी सनसनी फैली, और हो सकता है कि कुछ दूसरे कांग्रेसी राज्यों में भी खलबली मची होगी। रोहिणी सिंह ने लिखा- एक कांग्रेस नेता ने एक बड़ी कार्पोरेट घराने, और राहुल (गांधी) की टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य की मदद से एक पब्लिक रिलेशन्स फर्म की सेवाएं लेकर एक कांग्रेस मुख्यमंत्री को अस्थिर करने का काम शुरू किया है। इस कार्पोरेट घराने के व्यवसायिक हित, और इस कांग्रेस नेता की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ यह गठजोड़ बनाया है।
अब इस पर गंभीर, और मजाकिया सभी किस्म की टिप्पणियां आने लगीं। लोगों ने नामों पर अटकल लगाना शुरू किया लेकिन बात किसी नतीजे तक पहुंची नहीं। कल शाम से लेकर रात तक दिल्ली के कुछ पत्रकार छत्तीसगढ़ के कुछ संपादकों से फोन पर इस राजनीति को समझने की कोशिश करते रहे। कुछ लोगों ने इस बारे में खुलकर भूपेश बघेल और टी.एस. सिंहदेव का नाम भी लिखा। कुछ लोगों ने लिखा कि राहुल गांधी यह सब जानते-समझते हैं, फिर भी चुप हैं। बहुत से लोगों ने रोहिणी सिंह के मोदी-विरोधी रूख को लेकर भी उन पर हमले बोले। कुछ लोगों ने लिखा कि यह छत्तीसगढ़ का मामला है और यह अडानी से जुड़ा हुआ है। कुछ ने रोहिणी को चुनौती दी कि वे केजरीवाल की तरह झूठों की रानी न बनें, और नाम बताएं। कुछ ने पूछा कि क्या यह अंबानी से जुड़ा मामला है? एक ने कहा कि इनकी पहचान का थोड़ा सा इशारा तो दिया जाए, बताया जाए कि ये तीन लोग किन जानवरों से मिलते-जुलते दिखते हैं, या ऐसा बता दिया जाए कि गणित के किसी फार्मूले में उनकी उम्र डालकर दुगुनी करें, और बच्चों की संख्या से गुणा करने तो कितना नंबर आएगा, या यह बताएं कि उद्योगपति कितने करोड़ का आसामी हैं। एक ने लिखा कि छत्तीसगढ़ के इस मामले में जिंदल भी शामिल है। एक-दो लोगों ने हेमंत सोरेन और गहलोत का नाम भी लिखा। एक ने लिखा कि भूपेश बघेल को छुआ भी जाएगा तो राहुल गांधी के हाथ से छत्तीसगढ़ चला जाएगा। बहुत से लोगों ने रोहिणी से यह भी पूछा कि यह पोस्ट करने के लिए उन्हें कितनी रकम मिली है, या कितना बड़ा मकान मिला है। एक ने कमलनाथ के न होने की संभावना लिखी कि वे गांधी परिवार के सबसे बड़े चमचे हैं, इसलिए तो वे हो ही नहीं सकते। कुछ लोगों ने राजस्थान के सचिन पायलट और मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की भी अटकल लगाई, कि वे अपने राज्यों के मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसा कर सकते हैं। एक व्यक्ति ने अधिक सावधानी बरतते हुए इन तीनों राज्यों की तीनों जोडिय़ों के नाम लिख दिए, ताकि कोई न कोई अंदाज तो सही साबित हो। कुल मिलाकर शाम से आज दोपहर तक सैकड़ों लोगों ने इस पर लिखा और अपना अंदाज भी बताया। रोहिणी सिंह को ट्विटर पर दो लाख साठ हजार लोग फॉलो करते हैं, और वे संघ परिवार, भाजपा, मोदी, अमित शाह की आलोचना से भरी अपनी ट्वीट के लिए लगातार हमलों का शिकार भी रहती हैं।
तैराक से हमदर्दी नहीं...
चार साल पहले सुकमा के अपने सरकारी बंगले में स्वीमिंग पूल बनवाकर चर्चा में आए आईएफएस अफसर राजेश चंदेला एक बार फिर जांच के घेरे में आ गए हैं। वैसे तो स्वीमिंग पूल प्रकरण की पिछली सरकार ने जांच कराई थी तब उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी। अब फिर से प्रकरण की जांच शुरू हो रही है। विभाग जल्द ही जांच कमेटी गठित करने वाला है।
सुनते हैं कि स्वीमिंग पूल प्रकरण पर चंदेला को अकेले आरोपी बनाना आसान नहीं है। जांच ज्यादा बारीकी से हुई, तो चंदेला का तो ज्यादा कुछ नहीं होगा लेकिन उनके चक्कर में कुछ और अफसर लपेटे में आ सकते हैं। बताते हैं कि चंदेला के बंगले के स्वीमिंग पूल के निर्माण पर करीब 70 लाख खर्च हुआ था। जिसमें से तत्कालीन कलेक्टर ने डीएमएफ फंड से 5 लाख दिए थे। बाकी की राशि का जुगाड़ स्थानीय बड़े ठेकेदारों के सहयोग से किया गया।
स्वीमिंग पूल का उपयोग भी चंदेला से ज्यादा कलेक्टर, एसपी ही करते थे। चूंकि उस समय कांग्रेस नेताओं ने इसके निर्माण को लेकर काफी हल्ला मचाया था। अब सरकार में आने के बाद सबकुछ सच सामने लाने के लिए जांच कमेटी पर काफी दबाव होगा। अब देखना है कि कमेटी किस हद तक जांच करती है।
वैसे इस भ्रष्टाचार से परे सैकड़ों और भ्रष्टाचार इस राज्य के बनने के बाद से हुए हैं, लेकिन यह भ्रष्टाचार जितना दर्शनीय है, उतना शायद ही कोई और भ्रष्टाचार हो। एक सरकारी बंगले में सरकारी या भ्रष्टाचारी पैसों से स्वीमिंग पूल बनवा दिया जाए, ऐसी बड़ी और दर्शनीय कोई दूसरी मिसाल सामने आई नहीं है। इसलिए सरकार के बड़े अफसरों में भी ऐसे तैराक के लिए कोई हमदर्दी नहीं है।
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