राजपथ - जनपथ
शराबियों से हमदर्दी जारी...
सोशल मीडिया पर छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों पर लगी भीड़ की सेहत की फिक्र अभूतपूर्व है। पहले किसी ने यह ध्यान नहीं दिया कि यह गरीब राज्य दारूखोरी में सबसे ऊपर का गरीब राज्य है, और तो और यहां की महिलाएं भी शराबी महिलाओं के मामले में देश में चौथे नंबर पर हैं। लेकिन अब अचानक जब लोगों का सिनेमा जाना, जिम या लाइब्रेरी जाना सरकार ने बंद करवा दिया है, तो लोगों को शराबियों की भीड़ खटकने लगी है। सरकारी शराब दुकानों पर मेला सा लगे रहता है, और भुगतान करके भी दारू लेकर निकलने वाले शराबी उसी अंदाज में बोतल लेकर भीड़ से बाहर आते हैं जिस अंदाज में वन-डे सिरीज जीतने के बाद कप्तान कप लेकर निकलते हैं। ऐसे शराबियों को सरकारी रेट से अधिक भुगतान करना पड़ रहा था, तो भी किसी की हमदर्दी नहीं थी, नशेड़ी से कैसी हमदर्दी? लेकिन अब अचानक लोगों को शराबियों की सेहत की फिक्र होने लगी है, और मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में उनके लिए बड़ी हमदर्दी उमड़ी पड़ रही है। ऐसा भी हो सकता है कि जो लोग दारू नहीं पीते हैं, उनको यह हमदर्दी अधिक हो रही हो, कि जब उनकी जिंदगी से सब तरह के मजे छिन गए हैं, तो शराबियों के ही मजे क्यों जारी रहें? दारू का धंधा ही ऐसा मजबूत होता है कि सरकार के लिए किसी एक दिन भी दुकान बंद करवाना मुश्किल हो जाता है, एक पूरा पखवाड़ा भला कैसे बंद हो जाएगी शराब दुकानें?
कोरोना से सबकी निकल पड़ी...
कोरोना को लेकर बाबा लोगों की भी निकल पड़ी है। कई बाबा ताबीज बेचने लगे हैं, कई बाबा धागा बांधने लगे हैं, रातों-रात पोस्टर छप गए, और चिपकने लग गए हैं। ऐसे माहौल में कोरोना और रजनीकांत की टक्कर के लतीफे बनने लगे हैं, भोजपुरी वीडियो गानों की इंडस्ट्री की निकल पड़ी है, और वयस्क गाने चारों तरफ छा गए हैं। छत्तीसगढ़ी का भी एक गाना कोरोना पर बनकर आ गया है, लेकिन उस ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ अभी नाम नहीं मिला है कि उसे गाया किसने है। दूसरी तरफ ऐसे कई वीडियो आ रहे हैं जिनमें मारवाड़ी महिलाएं कोरोना को भगाने के लिए गीत-संगीत के साथ धमकियां गा रही हैं। कुल मिलाकर कोरोना की वजह से कुछ अधिक ही ठलहा और बेरोजगार हो गया यह देश तरह-तरह से अपनी कल्पनाशीलता बता रहा है। मेडिकल साईंस की सीमा है, लेकिन कल्पनाओं की कोई सीमा नहीं है। फिलहाल इसी दौर में कई किस्म के झूठे इलाजों की अफवाह फैल रही है, यूनिसेफ और सरकारों की तरफ से कई किस्म की ऐसी चेतावनियां फैल रही हैं जिन्हें फर्जी बताया जा रहा है।
जानवरों में भी भेदभाव...
कुछ लोगों को लगता है कि भेदभाव महज इंसानों में ही होता है, धर्म का, जाति का, और अमीरी-गरीबी जैसी बातों का। लेकिन रायपुर के एक ऑटोरिक्शा से यह पता लगता है कि भेदभाव जानवरों में भी होता है, और घोड़े गधों को हिकारत की नजर से देखते हैं, वे गधों को अपनी दौड़ में शामिल नहीं करते। ठीक है, अभी कोरोना घोड़ों में फैला नहीं है, जिस दिन फैलेगा सब घुड़दौड़ धरी रह जाएगी। ([email protected])