राजपथ - जनपथ
कोरोना और लालबत्ती
मोतीलाल वोरा के करीबी पूर्व विधायक रमेश वल्र्यानी से पार्टी के नेता छिटक रहे हैं। ऐसा नहीं है कि बाबूजी का संसदीय जीवन खत्म होने के कारण वल्र्यानी की पार्टी के भीतर हैसियत में कमी आई है, और इसके कारण पार्टी के लोग वल्र्यानी से कन्नी काट रहे हैं। बल्कि कुछ दिन पहले ही वे दुबई प्रवास से लौटे हैं। पूरी दुनिया में कोरोना का खौफ है। ऐसे में कोरोना के साए में विदेश प्रवास से लौटने पर वल्र्यानीजी को भी शक की नजर से देखा जा रहा है।
भारत के बाहर विदेशों में कोरोना वायरस बुरी तरह फैला हुआ है। विदेश से आने वाले लोगों की विशेष रूप से जांच-निगरानी की जा रही है। वल्र्यानीजी सिंधी समाज के 70 लोगों के साथ होली के मौके पर सैर-सपाटे के लिए दुबई गए थे। दुबई में भारत को छोड़कर अन्य देशों से आने वाले लोगों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। वैसे दुबई में समस्या भी नहीं है, लेकिन लौटते ही वल्र्यानीजी की समस्याएं शुरू हो गई।
दिल्ली एयरपोर्ट पर हेल्थ चेकअप हुआ। वैसे तो वल्र्यानी और उनके साथियों ने कोरोना से बचने के लिए हर संभव तैयारी कर रखी थी। वे पूरी यात्राभर मास्क लगाए रहे और जेब में सैनिटाइजर लेकर चलते थे। रायपुर एयरपोर्ट में भी वल्र्यानीजी और उनके साथियों से फार्म भरवाए गए और दोबारा चेकअप हुआ। सभी स्वस्थ हैं बावजूद इसके वे सभी चिकित्सकीय निगरानी में हैं। रायपुर आने के बाद सभी के घर डॉक्टरों की टीम जा चुकी है। उन्हें हिदायत दी गई है कि 14 दिन तक किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो तुरंत सूचित करें। किसी को कोई समस्या नहीं आई, लेकिन जिसे भी वल्र्यानी और उनके साथियों के विदेश प्रवास से आने की सूचना मिल रही है, ज्यादातर लोग दूर-दूर हो रहे हैं। अब अगले कुछ दिनों में निगम मंडलों में नियुक्तियां होनी हैं और वल्र्यानीजी को भी उम्मीदें हैं, लेकिन कोरोना के चक्कर में लाल बत्ती में देरी हो जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
मिसालों की शौकीन मीडिया...
लोगों को मिसालें ढूंढने में बहुत मजा आता है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने उनकी तस्वीर के साथ छत्तीसगढ़ के टी.एस. सिंहदेव और राजस्थान के सचिन पायलट की तस्वीर जोड़कर यह अटकल पोस्ट करना शुरू कर दी कि सिंधिया के बाद अब दूसरे कांग्रेसी राज्यों में भी बगावत हो सकती है, और सीएम बनने के महत्वाकांक्षी भाजपा जा सकते हैं। यह बात टी.एस. सिंहदेव के लिए अपमानजनक थी, जो कि कांग्रेस से परे कुछ नहीं देखते। अभी जब ऐसी अटकलों को लेकर उनको घेरा गया, तो मीडिया के सामने उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि लोग ऐसे दावे कर सकते हैं, लेकिन वे कभी भाजपा नहीं जाएंगे, अगर सौ जिंदगियां मिलेंगी, तो भी वे भाजपा की विचारधारा से कभी नहीं जुड़ेंगे। सिंधिया पर उन्होंने कहा कि ऐसा व्यक्ति जो मुख्यमंत्री न बनाए जाने की वजह से पार्टी छोड़ता है, उसे कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहिए।
राजनीति में ऐसी अटकलें लगाना कुछ लोगों के बारे में सही भी हो सकता है, और लोग सिंधिया के बाद पायलट की अटकल लगा रहे हैं, लेकिन टी.एस. सिंहदेव के बारे में ऐसी अटकल कल्पना की जंगली उड़ान लगती है। ([email protected])