राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कोरोना इफेक्ट वन
27-Mar-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कोरोना इफेक्ट वन

कोरोना इफेक्ट वन 
छत्तीसगढ़ में भी कोरोना को लेकर खौफ है, लेकिन खौफ के इस माहौल में वार्ड और शहर स्तर के कई नेता मास्क लगाकर घूम रहे हैं। इतना ही नहीं कोई दवा छिड़कने वाला मशीन टांग के घूम रहा है, तो गली गली में पाउडर छिड़क रहे हैं। कोई राशन का पैकेट लेकर घूम रहा है तो कोई मास्क बांटने का काम कर रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोरोना को भगाना बड़ी चुनौती है और तमाम नेता इसमें अपने अपने हिसाब से भागीदारी निभा रहे हैं। वार्ड और शहर को साफ रखना जरुरी भी है, लेकिन एक नेताजी को उनके ही समर्थक ने निरुत्तर कर दिया। दरअसल, समर्थक का कहना था कि बड़े बड़े देश कोरोना वायरस से निपटने का तरीका ढूंढ नहीं पाए हैं और इस पर रिसर्च चल रहा है, और हम यहां डीटीटी और ब्लींचिंग पाउडर से कोरोना को भगा रहे हैं ? ये कैसे हो सकता है। नेताजी की थोड़ी देर के लिए बोलती बंद हो गई, फिर धीरे से उन्होंने अपने समर्थक को सझाया कि कोरोना के लिए यह उपाय कारगर हो या न हो, लेकिन नेतागिरी के लिए सौ फीसदी कारगर है।
 
कोरोना इफेक्ट  टू
राजधानी में कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन का भरपूर पालन कर रहे हैं। केवल मोबाइल के जरिए वार्ड और शहर के लोगों से संपर्क में है। ऐसे समय में जब कुछ नेता घूम-घूमकर कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, तो घर में दुबके नेताओं के बारे में तरह-तरह के किस्से चर्चा में है। चुनाव हारने वाले तो बड़ी राहत की सांस ले रहे हैं, लेकिन जीतने के बाद भी घर में रहने वाले नेताओं की परेशानी कुछ और है। उनकी दिक्कत है कि कुछ महीने पहले तो भारी भरकम खर्चा कर चुनाव लड़े थे, अब महामारी के डर से लॉकडाइन के कारण महंगाई के साथ किल्लत बढ़ रही है। ऐसे में लोग उनके पास मदद मांगने के लिए पहुंच रहे हैं। किसी को राशन की जरुरत है, तो कोई बीमारी के लिए खर्चा मांग रहा है। लिहाजा ऐसे नेता घर में दुबके रहने को बेहतर समझ रहे हैं। देखना यह होगा कि वे कितने दिन अपने आप को कोरोना के साइड इफेक्ट से अपने आप को बचाकर रख सकते हैं। 

कोरोना इफेक्ट थ्री
कोरोना के कारण ऐसे लोगों की पोल पट्टी खुलने लगी है, जो घर परिवार की जानकारी के बगैर विदेश यात्रा के लिए निकल जाया करते थे, क्योंकि पुलिस और प्रशासन दोनों ने ऐसे लोगों की पहचान करके धर-पकड़ शुरू कर दी है। बेचारे दोनों तरफ से फंस रहे हैं। विदेश दौरे के बारे बताएंगे तो घर वालों के सामने शर्मिंदगी और नहीं बताएंगे तो पुलिस वाले से खतरा। इसमें व्यापारी, बड़े अधिकारी और नेताओं की संख्या ज्यादा है, जो साल में एक दो विदेश यात्रा को शान समझते थे। अब इसी शान के कारण उनकी बदनामी शुरु हो गई है। बेचारे क्या करें, ऐसी स्थिति में उन्हें भगवान ही सहारा लग रहे हैं, तो वे सभी मन्नत मांग रहे हैं कि इस बार बचा लो.. अगली बार से विदेश जाना तो दूर उसके बारे में बात भी नहीं करेंगे। संभव है कि भगवान के पास ऐसी अर्जियों की भरमार हो गई होगी। अब भगवान भी कितनों का भला कर पाते हैं, यह तो नहीं पता, लेकिन खुदा ना खास्ता पोल पट्टी खुल गई तब तो ऐसे लोगों को भगवान भी नहीं बचा पाएंगे।

दूसरी तरफ, कुछ जानकारों का यह भी कहना है की अपने बच्चों के विदेश में पढऩे की बात पैसे वाले इसलिए भी छुपाते थे कि कहीं इनकंप टैक्स पीछे न लगे। अब पता नहीं यह बात सही है या नहीं, लेकिन पिछले कई हफ्तों से लोग इस बात को छुपाने लगे हैं। ([email protected])

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